दो ध्रुवीयता का अंत | The End of Bipolarity | Class 12 Political Science CBSE 2022

दो ध्रुवीयता का अंत | The End of Bipolarity

The End of Bipolarity – दो ध्रुवीय विश्व व्यवस्था का अर्थ है पूरी दुनियाँ का मौटे रूप से दो ध्रुवों में बंटना, 1991 में सोवियत संघ का पटाक्षेप होने के बाद दो ध्रुवीय विश्व व्यवस्था का अंत का अंत हो गया और दुनियाँ एक ध्रुवीय विश्व व्यवस्था में बदल गई जिसका मुखिया अमरीका हो गया| अर्थात दुनियाँ में अमेरिका की दादागिरी का बोलबाला हो गया|

सोवियत संघ का विघटन

The End of Bipolarity – सन् 1991 के दिसंबर महीने में बोरिस येल्तसिन के नेतृत्व में सोवियत संघ के तीन बड़े गणराज्यों ( रूस, युक्रेन, बेलारूस ) नें सोवियत संघ के समाप्त होने की घोषणा की |

सोवियत संघ

The End of Bipolarity – रूस में 1917 में एक क्रांति हुई यह क्रांति पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ थी इस क्रांति के बाद सोवियत संघ (USSR) अस्तित्व में आया, सोवियत संघ 15 गणराज्य को मिलाकर बना था |

1) रूस
2) यूक्रेन
3) जॉर्जिया
4) बेलारूस
5) उज़्बेकिस्तान
6) आर्मेनिया
7) अज़रबैजान
8) कजाकिस्तान
9) किरतिस्थान
10) माल्डोवा
11) तुर्कमेनिस्तान
12) ताजीकिस्तान
13) लताविया
14) लिथुनिया
15) एस्तोनिया

सोवियत संघ की विशेषताएँ

The End of Bipolarity – सोवियत संघ की विशेषताओं को निम्नलिखित बिन्दुओं में देखा जा सकता है –

  • विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
  • उन्नत संचार प्रणाली
  • विशाल ऊर्जा संसाधन
  • उन्नत घरेलु उपभोक्ता उद्योग
  • आवागमन की अच्छी सुविधाए
  • राज्य का स्वामित्व
  • रोजगार
  • स्वास्थ्य सुविधा

सोवियत संघ – विघटन के कारण

The End of Bipolarity – सोवियत संघ के विघटन के कारणों को निम्नलिखित बिन्दुओं में देखा जा सकता है –

  • राजनीतिक आर्थिक संस्थाओ में कमजोरी
  • संसाधनों का दुरूपयोग
  • कम्युनिस्ट पार्टी का बुरा शासन
  • जनता की इच्छा को पूरा करने में सरकार असमर्थ
  • जनता को गलत जानकरी की सोवुयत संघ विकास कर रहा है
  • कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओ को विशेष अधिकार
  • गोर्बाचेव की सुधारो की नीति

सोवियत संघ – विघटन के परिणाम

  • शीतयुद्ध की समाप्ति
  • दुसरी दुनिया का पतन
  • हथियारों की होड़ की समाप्ति
  • अमेरिका एकमात्र महाशक्ति बचा
  • नए देशो का उदय
  • विचारधाराओ की लडाई ख़त्म
  • शॉक थेरेपी को अपनाया गया
  • अन्तराष्ट्रीय आर्थिक संस्थानों का महत्त्व बढ़ा

एक-ध्रुवीय विश्व-व्यवस्था

1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद में अमेरिका एकमात्र महाशक्ति बचा अब विश्व में कोई भी देश अमेरिका को टक्कर देने वाला नहीं था विश्व में अमेरिकी वर्चस्व स्थापित हुआ अमेरिका का वर्चस्व हमें सभी क्षेत्रों में देखने को मिलता है|

जैसेआर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक, सैन्य, अंतरिक्ष, प्रौद्योगिकी, व्यापार

प्रथम खाड़ी युद्ध – मुख्य बिंदु

  • 1990 में इराक ने कुवैत पर कब्ज़ा कर लिया.इसे समझाया गया पर यह कब्ज़ा हटाने को नहीं माना.फिर संयुक्त राष्ट्र संघ ने बल प्रयोग की अनुमति दी.
  • ये एक नाटकीय फैसला था क्योकि.पिछले 45 वर्षो में UNO ने इतना बड़ा फैसला नहीं लिया था.
  • जोर्ज बुश ने इसे नयी विश्व व्यवस्था की संज्ञा दी.इस युद्ध में 34 देशो के 6,60,000 सैनिको ने भाग लिया.
  • अमेरिकी जनरल नार्मन शवार्जकांव इस सैन्य अभियान के प्रमुख थे.इसे Operation Desert Strom कहा गया.
  • इस युद्ध में स्मार्ट बमों का प्रयोग किया गया.इसे सारी दुनिया में लाइव दिखाया गया.
  • इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने कहा कि यह.“सौ जंगो की एक जंग” साबित होगी.इराक यह युद्ध हार गया था.
  • इससे यह पता लगता है कि अमेरिका की सैन्य क्षमता कितनी मजबूत है.

दूसरी खाड़ी युद्ध – मुख्य बिंदु

ईराक पर अमेरिका का हमला

19 मार्च 2003 को अमेरिका ने Operation Iraqi Freedom चलाया,संयुक्त राष्ट्र संघ ने हमले की अनुमति नहीं दी थी | लेकिन फिर भी अमेरिका ने हमला किया इस युद्ध में अमरीका के साथ 40 देश शामिल थे|अमेरिका ने कहा ईराक खतरनाक जनसंहार के हथियार बना रहा है जबकि ऐसे सबूत ईराक में नहीं मिले |

ईराक पर अमेरिका हमले के उद्देश्य

  • तेल –भण्डार , संसाधनों पर कब्ज़ा |
  • ईराक में अपनी मनपसंद सरकार बनाना |

स्वतंत्र राष्ट्रों का राष्ट्रकुल

  • सोवियत संघ के विघटन के बाद |
  • स्वतंत्र राष्ट्र का राष्ट्रकुल अस्तित्व में आया |
  • पूर्व सोवियत संघ में 15 देश शामिल थे |
  • इनमे से कुछ विघटन के बाद इस संगठन में शामिल हुए |

स्वतंत्र राष्ट्रों का राष्ट्रकुल – उद्देश्य  

  • आपसी एकता बनाए रखना |
  • व्यापार नीतियों को बढ़ावा देना |
  • एक दूसरे की सहायता करना |
  • शांति व्यवस्था स्थापित करना |
  • राष्ट्रीय सुरक्षा और निरस्त्रीकरण को बढ़ावा देना |

मोहम्मद बउजिजी Md. Bouazizi कौन थे?

  • मोहम्मद बउजिजी एक गरीब परिवार से थे औरउनका जन्म 29 मार्च 1984 को ट्यूनीशिया में हुआ था |
  • ट्यूनीशिया अफ्रीका महाद्वीप में छोटा सा देश है यह जब 3 साल के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई इन्होंने अपने जीवन में अत्यधिक परिश्रम किया है, यह फल बेचते थे10 वर्ष की उम्र में उन्होंने काम करना शुरू कर दिया था |
  • इन्होंने टाउन हॉल के पास एक दुकान के लाइसेंस के लिए आवेदन किया हुआ था लेकिन इन्हें अनुमति नहीं मिल रही थी |
  • 17 सितंबर को जब यह अपना फल बेचने के लिए उसी जगह पर पहुंचे जहां यह फल बेचते थे लेकिन वहां पर कोई और व्यक्ति अपना सामान बेच रहाथा |

ट्यूनीशिया की तानाशाह सरकार

इसके बाद इन्होंने पुलिस से बात करने की कोशिश की लेकिन वहां की पुलिस ने इनके फल और उनका सामान छीन लिया। और इनकी बेज्जती की गई पुलिस के द्वारा और पुलिस ने इन्हें मारा पीटा भी क्योंकि वह तानाशाह सरकार थी इसके बाद इन्हें बहुत धक्का लगा और यह बहुत दुखी हुए|

इसके बाद उन्होंने गुस्से में अपने ऊपर केरोसिन छिड़का और खुद को आग लगाकर आत्मदाह लिया। इनको बचाने की कोशिश की गई पर यह बच नहीं पाए, इनके चचेरे भाई अली ने इस घटना का वीडियो बना लिया।इस घटना की वीडियो और फोटो फेसबुक के जरिए सोशल मीडिया में वायरल हो गए|

ट्यूनीशिया में तानाशाह सरकार थी, वहाँ का मीडिया सरकार के खिलाफ कुछ भी नहीं दिखा सकता था, वहाँ लोगों के साथ अत्याचार होते थे, यहां लोगों को इंसाफ नहीं मिलता था। लेकिन इस घटना ने यहां क्रांति ला दी। फोटो दुनिया के विभिन्न देशों में वायरल हो चुके थे |

ट्यूनीशिया में विद्रोह

  • मोहम्मद बौउजिजी की मृत्यु के बाद ट्यूनीशिया में लोगों ने भारी संख्या में विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। ट्यूनीशिया की सरकार ने उनके विरोध को दबाने के लिए लोगों पर गोलियां भी चलाने के आदेश दिए, राष्ट्रपति ने यह सोचा कि लोगों को डरा कर उनके प्रदर्शन को रोका जा सकता है|
  • लेकिन लोगों ने प्रदर्शन को नहीं रोका रोजाना प्रदर्शन में लोगों की संख्या बढ़ने लगी थी बहुत सारे लोगों ने हड़ताल शुरू कर दिया था जनता ने अपने रोजगार पर जाना बंद कर दिया था और सभी लोग विरोध प्रदर्शन में शामिल होने लगे थे |
  • ट्यूनीशिया की सरकार ने भारी विरोध प्रदर्शन को देखते हुए देश में कर्फ्यू लगा दिया. ट्यूनीशिया में आपातकाल लगाना ही एकमात्र रास्ता बच गया था। बेन अली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था|
  • बेन अली का भारी विरोध हुआ ट्यूनीशिया की सेना ने भी बेन अली का साथ नहीं दिया और बेन अली का शासन खत्म हो गया |

अब स्प्रिंग के क्या उद्देश्य है

  • तानाशाही को समाप्त करके लोकतंत्र लाना |
  • मानव अधिकार का हनन रोकना |
  • गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार से जनता निजात पाना |
  • राजतंत्र समाप्त करना |
  • सम्मानपूर्वक जीवन |

अरब स्प्रिंग कहां कहां फैल गया

ट्यूनीशिया के बाद यह विद्रोह अन्य अफ्रिका तथा मध्य एशिया देशों में फैल गया –
1) मोरक्को
2) लीबिया
3) अल्जीरिया
4) जॉर्डन
5) इराक
6) सऊदी अरब
7) ओमान
8) बहरीन
9) इजिप्ट
10) सूडान
11) यमन
12) सीरिया इत्यादि

अरब स्प्रिंग के परिणाम क्या?

  • अरब क्रांति सफल नहीं हुई |
  • केवल ट्यूनीशिया में लाभ हुआ |
  • लीबिया और सीरिया तब हो गए |
  • कुछ देशों में सैनिक शासन मजबूत हुआ |
  • सऊदी अरब ने स्थिति को संभाला |

FAQ’s : दो ध्रुवीयता का अंत

प्रश्न 1- रूस में बोल्शेविक क्रांति कब हुई थी ?

उत्तर- 1917 में

प्रश्न 2– अमेरिका ने “Operation Iraqi Freedom” कब  चलाया था ?

उत्तर- 19 मार्च 2003 में 

प्रश्न 3प्रथम खाड़ी युद्ध कब हुआ था ?

उत्तर- 1990 में

प्रश्न 4– प्रथम खाड़ी युद्ध  को “नयी विश्व व्यवस्था” की संज्ञा किसने दी थी ?

उत्तर- अमेरिकी राष्ट्रपति – जोर्ज बुश ने

प्रश्न 5– किसने  कहा कि यह इराक युद्ध “सौ जंगो की एक जंग” साबित होगी ?

उत्तर- इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने

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