संविधान क्यों और कैसे?
संविधान का क्या अर्थ है?
संविधान, किसी भी देश का मौलिक कानून है जो सरकार के विभिन्न अंगों की रूपरेखा और मुख्य कार्य का निर्धारण करता है। साथ ही यह सरकार और देश के नागरिकों के बीच संबंध भी स्थापित करता है। भारतीय संविधान का निर्माण एक विशेष संविधान सभा के द्वारा किया गया है, और इस संविधान की अधिकांश बातें लिखित रूप में है|
संविधान की शुरुआत कैसे हुई?
भारत के संविधान के निर्माण में संविधान सभा के सभी 389 सदस्यो ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई,26 नवम्बर 1949 को सविधान सभा ने पारित किया और इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। इस सविधान में सर्वाधिक प्रभाव भारत शासन अधिनियम 1935 का है। इस में लगभग 250 अनुच्छेद इस अधिनियम से लिये गए हैं।
संविधान क्या है?
संविधान ( ‘सम्’ + ‘विधान’ ), मूल सिद्धान्तों का एक समुच्चय है, जिससे कोई राज्य या अन्य संगठन अभिशासित होते हैं।
उदाहरण: मान लीजिये की पति-पत्नी और दो बच्चो का एक परिवार है। जिसमे पति पैसे कमाता है, पत्नी गृहिणी है और बच्चे पढ़ रहे है। पति अपनी आय को घर खर्च, बच्चो की पढाई, बचत के निर्णय लेकर घर की वित्तीय जवाबदारी संभालता है, पत्नी पति के पास से मिले पैसो से अनाज, कपडे, घर के बिल जैसी दैनिक जवाबदारी संभालती है, और बच्चे पर किया निवेश भविष्य में विकास और सुरक्षा प्रदान करता है।
हर घर अपने तरीके से चलता है जिसमे सबकी जवाबदारी और कार्य निचित होते है, वैसे ही देश और राष्ट्र को भी चलाने के लिए नियम या कानून होते है, ऐसे कानून या नियम को एक-एक पेज में प्रिंट निकाल कर एक किताब बनाए, तो उस किताब या कानून के संग्रह को संविधान कहते है।
संविधान क्या है और क्यों जरूरी है?
संविधान, कानूनों का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। जो सरकार की मूल संरचना और इसके कार्यों को निर्धारित करता है। जिसके अनुसार देश का शासन चलता है। प्रत्येक सरकार संविधान के अनुसार कार्य करती है।
संविधान के कार्य
- सरकार के उद्देश्यों को स्पष्ट करना।
- शासन की संरचना को स्पष्ट करना।
- नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा करना।
- राज्य को वैचारिक समर्थन और वैधता प्रदान करना।
- भविष्य की दृष्टि के साथ एक आदर्श शासन संरचना का निर्माण करना।
- संविधान किसी राज्य की सरकार के तीनों प्रमुख अंगों (विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका) की स्थापना करता है।
- संविधान सरकार के तीनों अंगो की शक्तियों की व्याख्या करता है तथा साथ ही उनके कर्तव्यों की सीमा तय करता है।
- संविधान सरकार के तीनों अंगों के बीच आपसी सम्बन्धों तथा उनका जनता के साथ, संबंधों , का विनियमन करता है।
- संविधान जनता की विशिष्ट सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक प्रकृति , आस्था और आकांक्षाओं को पूरा करने का काम करता है, तथा अराजकता को रोकता है ।
संविधान की आवश्यकता
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । समाज विभिन्न प्रकार के समुदायों से बनता है । इन समुदायों में तालमेल बैठाने के लिए संविधान जरूरी है ।
संविधान जनता में आपसी विश्वास पैदा करने के लिए मूलभूत नियमों का समूह उपलब्ध करवाता है ।
अन्तिम निर्णय लेने की शक्ति किसके पास होगी ? संविधान यह तय करता है।
संविधान सरकार निर्माण के नियमों एवं उपनियमों तथा उसकी शक्तियों एवं सीमाओं को तय करता है ।
एक न्यायपूर्ण समाज की स्थापना के लिए भी संविधान जरूरी है ।
संविधान का निर्माण
देश की शासन व्यवस्था के मूलाधार संविधान के अंतर्गत शासन व्यवस्था से संबंधित समस्त प्रावधान उल्लेखित होते हैं
- चाहे किसी भी प्रकार की शासन व्यवस्था हो उसके सफल संचालन हेतु संविधान परमावश्यक है जिसके अभाव में अव्यवस्था एवं अराजकता की स्थिति पैदा हो सकती है।
- निर्णय लेने की शक्ति किसके पास होगी तथा सरकार किस प्रकार गठित की जाएगी यह व्यवस्था संविधान द्वारा ही निर्धारित की जाती है ।
- भारतीय संविधान का निर्माण एक संविधान सभा द्वारा किया गया है।
- सर्वप्रथम संविधान सभा की मांग 1922 में महात्मा गांधी ने की थी तथा तदुपरांत 1934 में कांग्रेस ने भी इस मांग को दोहराया।
- 1942 में क्रिप्स ने अपने सुझावों में उन सिद्धांतों का उल्लेख किया जिन के अनुरूप संविधान सभा की स्थापना होनी थी।
- संविधान सभा की रचना का विस्तृत वर्णन 1940 में केबिनेट मिशन द्वारा किया गया।
- संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई जगा उपरांत 14 अगस्त 1945 को विभाजित भारत के संविधान सभा के रूप में स्पीकर से बैठक हुई।
- डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष चुना गया।
- भारतीय संविधान के निर्माण में 2 वर्ष 11 माह तथा 18 दिन का समय लगा।
- भारत के संविधान में अंतिम रूप में 395 अनुच्छेद तथा 8 अनुसूचियां थी।
संविधान क्यों और कैसे?
किसी भी देश की शासन व्यवस्था से संबंधित नियमों व कानूनी के संग्रह को संविधान कहते है । इसके द्वारा उस देश की सरकार को संप्रभुता (अपने आप पर निर्भर या संविधान पर निर्भर) होती है और वह जो भी नियमों व कानूनों का निर्माण करती है उनका जनता स्वतः ही पालन करते हैं ।
विश्व में संविधान के प्रकार
विश्व में मुख्य रूप से दो प्रकार के संविधान पाए जाते हैं ।
- लिखित संविधान
- अलिखित संविधान
लिखित संविधान
लिखित संविधान वह संविधान होता है, जिसका निर्माण निश्चित रूप से एक संविधान निमत्रिी सभा के द्वारा किया जाता है लिखित संविधान कहलाता है ।
उदहारण :- भारत, अमेरिका, जापान ।
अलिखित संविधान
अलिखित संविधान वह संविधान होता है जिसका निर्माण किसी संविधान निमत्रिी सभा से नही किया जाता परन्तु परम्पराओं व समय – समय पर पारित होने वाले कानूनों , निर्णायको आदि का प्रमाण होता है ।
उदहारण :- ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, इजरायल।
विश्व में संविधान सभा
- विश्व मै संविधान सभा का सर्वप्रथम विचार देने वाला व्यक्ति ब्रिटेन/ब्रिटिश नागरिक सर हनरी मेन थे ।
- विश्व में सर्वप्रथम संविधान सभा 1786 में अमेरिका के फिलाडेलिफया राज्य में बनाई गई थी । उस समय अमेरिका में 13 राज्य हुआ करते थे जिन्होंने मिलकर अमेरिका का संविधान बनाया ।
- इसके बाद 1789 में फ्रांस में संविधान सभा बनाई गई ।
- फ्रांस में प्रथम संविधान 1793 में लिखा गया ।
क्रिप्स मिशन
ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल द्वारा ब्रिटिश संसद सदस्य तथा मजदूर नेता सर स्टेफ़र्ड क्रिप्स के नेतृत्व में मार्च 1942 में भारत भेजा गया था , जिसका उद्देश्य भारत के राजनीतिक गतिरोध को दूर करना था ।
हालांकि इस मिशन का वास्तविक उद्देश्य युद्ध में भारतीयों को सहयोग प्रदान करने हेतु उन्हें फुसलाना था । सर क्रिप्स , ब्रिटिश युद्ध मंत्रिमंडल के सदस्य भी थे तथा उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का सक्रियता से समर्थन किया था ।
कांग्रेस की ओर से जवाहरलाल नेहरू तथा मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को क्रिप्स मिशन के संदर्भ में परीक्षण एवं विचार विमर्श हेतु अधिकृत किया था ।
भारतीय संविधान सभा
- भारत में संविधान सभा का विचार देने वाला व्यक्ति N. राय थे ।
- 1895 – जहाँ तक भारत का संबंध है भारत में सर्वप्रथम संविधान सभा के दर्शन 1895 में स्वराज विधेयक में देखने को मिलते है जो कि बाल गंगाधर तिलक के निर्देशन में तैयार किया गया ।
- 1922 – 1922 में महात्मा गांधी पहले व्यक्ति थे जिन्होने संविधान सभा का भाषण दिया था ।
- 1924 – 1924 में संविधान सभा की मांग करने वाला सर्वप्रथम व्यक्ति (1924 ई० में ) प० मोतीलाल नेहरू थे ( इनके पिता का नाम दादा गंगाधर नहरू जो 1857 की क्रांति के दौरान दिल्ली के लालक्लिा के कोतवाल थे । )
- 1924 और 1934 – 1924 और 1934 में स्वराज दल पहला राजनैतिक दल था जिसमें संविधान सभा की माँग 2 बार की गई 1924 और 1934 में ।
- 1936 – 1936 काग्रेस की स्थापना 1885 दिसंबर 28 को हुई । काग्रेस ने पहली बार 1936 ई० में लखनऊ अधिवेशन संविधान सभा की अर्थ के महत्व की बात कही इस अधिवेशन की अध्यक्षता प० जवाहर लाल नेहरू के द्वारा की गई ( उस समय काग्रेस के प्रारंभिक कार्यकर्ता 72 थे )
- 1940 -अगस्त 1940 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल पहला व्यक्ति था जिसने कहा था भारत का संविधान भारत के लोग स्वयं तैयार करेंगे ।
भारतीय संविधान सभा की निर्माण प्रक्रिया
1942 – ब्रिटेन की ओर से सिद्धान्तिक आधार पर संविधान सभा का प्रस्ताव 1942 में क्रिप्स मिशन की योजना के माध्यम से भारतीय के समक्ष रखा गया । परंतु क्रिम्स प्रस्ताव को सभी राजनैतिक दलों के द्वारा अस्वीकार कर दिया गया । इसी कारण यहा संविधान सभा नही बन पाई ।
- 1945 – जुलाई 1945 में इंग्लैण्ड में नई लेबर पार्टी सरकार सत्ता में आई, तब भारतीय संविधान सभा बनने का मार्ग खुला । वाइस राय लार्ड वेवल ने इसकी पुष्टि की ।
- 1946 – क्रिप्स प्रस्ताव का व्यवहारिक स्वरूप 1946 की कैबिनेट मिशन की योजना के नाम से दिया गया था तथा इसी के आधार पर जुलाई 1946 में संविधान सभा के चुनाव करवाये गये ।
- कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार – संविधान निर्माण – निकाय की सदस्य संख्या – 389 निर्धारित की गई । जिनमें से 292 प्रतिनिधि ब्रिटिश भारत के गर्वनरों के अधीन ग्यारह प्रांतो से , 04 प्रतिनिधि चीफ कमिश्नरों के चार प्रांतों ( दिल्ली , अजमेर – मारवाड , कुर्ग तथा ब्रिटिश बलूचिस्तान ) से और 93 प्रतिनिधि भारतीय रियासतों से लिए जाने थे ।
- ब्रिटिश प्रांत के प्रत्येक प्रांत को उनकी जनसंख्या के अनुपात में संविधान सभा मे स्थान दिए गए । ( 10 लाख लोगों पर एक स्थान )
- प्रत्येक प्रांत की सीटों को तीन प्रमुख समुदायों – मुसलमान , सिख एवं सामान्य में उनकी जनसंख्या के अनुपात में बांटा गया ।
- 3 जून, 1947 , मांउटबेटन योजना के अनुसार भारत – पाकिस्तान विभाजन तय हुआ , परिणाम स्वरूप पाकिस्तान के सदस्य – संविधान सभा के सदस्य नहीं रहे और भारतीय संविधान सभा के वास्तविक सदस्य संख्या 299 रह गई ।
नोट – इनमे से एक मात्र हैदराबाद ऐसी रियासत थी जिसका कोई भी प्रतिनिधि सभा में नहीं आया था।
संविधान सभा का स्वरुप
संविधान सभा का विधिवत उद्घाटन – दिन – सोमवार , 09 दिसम्बर 1946 को प्रातः ग्यारह बजे हुआ ।
संविधान सभा के अधिवेशन
पहला अधिवेशन
- संविधान सभा का पहला अधिवेशान 9 दिसंबट 1946 को हुआ । इस बैठक में 209 सदस्य शामिल थे
- 9 दिसम्बर 1946 को डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त किया गया ।
दूसरा अधिवेशन
- संविधान सभा का दूसटा अधिवेशन 11 दिसंबर 1946 को हुआ ।
- इसी अधिवेशन के दौरान 11 दिसम्बर 1946 को डॉ . राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष चुना गया तथा संविधान प्रारूप समिति का अध्यक्ष डॉ . भीमराव अम्बेडकर को चुना गया ।
- 13 दिसम्बर 1946 को पण्डित जवाहरलाल नेहरू ने संविधान का उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया । इसमें भारत के भावी प्रभुत्ता – सम्पन्न लोकतांत्रिक गणराज्य की रूपरेखा प्रस्तुत की गई । जिसे 22 जनवरी 1947 को संविधान सभा ने स्वीकार कर लिया ।
नोट – उद्देश्य प्रस्ताव संविधान की प्रक्रिया एवं आदर्शों का प्रतिरूप था जिसके अनुसार भारतीय संविधान का निमणि किया जाना था ।
चौथा अधिवेशन
- भारतीय संविधान सभा का चौथा अधिवेशान 14 जुलाई 1947 से 31 जुलाई 1947 तक चला इसी अधिवेशन के दौरान 22 जुलाई 1947 को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को अपनाया गया।
- 26 नवम्बर 1949 को अंगीकृत भारतीय संविधान में 395 अनुच्छेद , 22 भाग तथा 8 अनुसूचियां 3 परिशिष्ट थी। इस समय अनुसूचियों 8 से बढ़कर 12 हो गई हैं।
- 25 जुलाई 2017 तक 465 अनुच्छेद थे। तथा 31 दिसंबर 2017 को 465 हो गए।
- 26 नवम्बर 1949 को अंगीकृत भारतीय संविधान को 26 जनवरी 1950 को विधिवत रूप से लागू कर दिया गया।
- भारतीय संविधान सभा मे 299/300 सदस्य थे इनमें से 26 नवम्बर 1949 को कुल 284 सदस्य उपस्थित थे अंतिम रूप से पारित संविधान पर इन 284 सदस्य के हस्ताक्षर हुए थे ।
- सभा में पेश हर प्रस्ताव, हर शब्द और वहां की गई हर बात रिकार्ड कि गई है और इन्हें कांस्टीटूयुट / असेंबली / डिबेट्स के नाम से 12 मोटे – मोटे खंडों में प्रकाशित किया गया।
भारतीय संविधान निर्माण में कुल समय कुल बैठकें
- संविधान को बनाने में 2 वर्ष 11 महीने तथा 18 दिन का समय लगा तथा कुल 166 बैठकें हुई एव संविधान बनाने में लगभग 64 लाख रुपये खर्च हुआ।
- भारतीय संविधान में वर्तमान में बारह (12) अनुसूचियाँ हैं।
संविधान सभा में महिलाओं सदस्य
संविधान सभा में कुल 9 महिला सदस्य भी इनमे से तीन काफी महत्वपूर्ण थी जो कई समितियों में रही। सरोजनी नायडु, हंसा महेता, दुर्गाबाई देशमुखा और अन्य राजकुमारी अमृता कौर, बेगम एजाज रसूल, विजयलक्ष्मी थी।
संविधान सभा की प्रारूप समिति
29 अगस्त 1947 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति का गठन। इस समिति ने संविधान का प्रारूप 21 फरवरी 1948 को संविधान सभा अध्यक्ष को पेश किया।
भारतीय संविधान सभा के गठन प्रक्रिया
- पहली बैठक 9 दिसम्बर 1946 , अस्थायी अध्यक्ष डॉ . सच्चिदानंद ।
- कैबिनेट मिशन प्रस्ताव ।
- 11 दिस्मबर 1946 डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की स्थायी अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति ।
- सदस्य संख्या 389 , ( 292 + 4 + 93 ) ।
- 14 अगस्त 1947, विभाजित भारत संविधान सभा बैठक, कुल बैंठकें – 166 ।
- संविधान निर्मात्री के उद्देश्य के विचारो का सार है प्रस्तावना को उद्देशिका या Preamble भी कहा जाता है इसका आधार उद्देश्य प्रस्ताव को माना जाता है ।
- नोट – प्रस्तावना की परिभाषा आस्ट्रेलिया के संविधान से ली गई है और इसका व्यवहारिक स्वरूप अमेरिका से लिया गया है । संविधान राष्ट्र व शासन प्रणाली का आइना है और प्रस्तावना संविधान का दर्पण है ।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 3 प्रकार के न्याय का प्रयोग किया गया है-
- सामाजिक न्याय
- आर्थिक न्याय
- राजनीतिक न्याय
सामाजिक न्याय – सामाजिक न्याय को मौलिक स्थानों मे स्थान दिया गया हैं विशेषकर समता के अधिकार में है ।
आर्थिक न्याय – आर्थिक न्याय को नीति निर्देशक तत्वों में स्थान दिया गया है ।
राजनीतिक न्याय – राजनीतिक न्याय के लिए मतदान का अधिकार तथा चुनाव लड़ने का अधिकार दिया गया है ।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना
- प्रस्तावना को संविधान का भाग माना जाता है।
- प्रस्तावना संविधान का दर्पण है।
- प्रस्तावना को गणतंत्र की कुंजी तथा संविधान का सार एवं उद्देश्य, दर्शन भी कहा जाता है।
- यह बात M मुंशी के द्वारा कही गई थी।
- 42वें सविधान संसोधन अधिनियम 1976 के द्वारा प्रस्तावना में 3 नये शब्द जोड़े गये।
- समाजवाद
- पंथ निरपेक्षता
- अखंडता (एकता और अखंडता)
भारतीय संविधान – एक नजर इन पर भी
- 22 जुलाई को 1947 मे संविधान सभा ने राष्ट्रीय तिरंगा को अपनाया था।
- 26 जनवरी 1950 को भारत सरकार ने अशोक स्तम्भ को राष्ट्रीय चिह् का दर्जा दिया था।
- 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा ने जन – गण – मन को राष्ट्रीय गान का दर्जा दिया था तथा राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम को भी दिया गया।
- 14 सितंबर 1949 में संविधान सभा ने भाषा हिन्दी एव लिपि देवनागरी को राज भाषा का दर्जा दिया गया।
- वर्ष 2000 में वाजपयोगी सरकार ने जस्टीस N. वेंक्टचलेया की अध्यक्षता में संविधान की कामकाज की जाँच के लिए एक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की गई । 22 feb 2020
- भारत में शासन व्यवस्था संविधान से चलती है संविधान में हमारे देश का नाम 2 तरह से दिया जाता है “इंडिया दैट भारत” – “इण्डिया देट इज भारत”
- विश्व का सबसे छोटा संविधान अमेरिका का है जिसमें मात्र 7 अनुच्छेद है तथा यह 4/3/1789 को लागू हुआ।
भारतीय संविधान के स्रोत
- संविधान का लगभग 75 प्रतिशत अंश भारत शासन अधिनियम 1935 से लिया गया था ।
- 1928 में नियुक्त मोतीलाल नेहरू कमेटी रिपोर्ट से 10 मूल मानव अधिकारों को शामिल किया गया।
- अन्य देशों की संवैधानिक प्रणाली से भी कुछ बातें भारत के संविधान में समाहित की गई जैसे –
ब्रिटिश संविधान
- सर्वाधिक मत के आधार पर चुनाव में जीत का फैसला।
- सरकार का संसदीय स्वरूप।
- कानून के शासन का विचार।
- विधायिका में अध्यक्ष का पद और उसकी कानून निर्माण की विधि।
अमेरिका का संविधान
- मौलिक अधिकारों की सूची।
- न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति और न्यायपालिका की स्वतंत्रता।
आयरलैंड का संविधान
- राज्य के नीति निर्देशक तत्व।
फ्रांस का संविधान
- स्वतंत्रता समानता और बंधुत्व का सिद्धान्त।
कनाडा का संविधान
- एक अर्द्ध – संघात्मक सरकार का स्वरूप ( सशक्त केन्द्रीय सरकार वाली संघात्मक व्यवस्था ।
- अवशिष्ट शक्तियों का सिद्धान्त ।
संविधान की विशेषताएँ
- जन प्रतिनिधियों द्वारा निर्मित, लिखित एक सम्पूर्ण संविधान।
- यह सम्पूर्ण प्रभुत्वसंपन्न, लोकतांत्रिक, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष गणराज्य का निर्माण करता है।
- नागरिकों को मूल अधिकार के साथ मूल कर्त्तव्यों की याद दिलाता है।
- स्वतंत्र न्यायपालिका है।
- संसदीय शासन व्यवस्था।
- राज्य के नीति निर्देशक तत्व आदि।
भारतीय संविधान कठोर
संविधान कठोर है – अनुच्छेद 368 के अनुसार कुछ विषयों में संशोधन के लिए संसद के सदस्यों के दो तिहाई बहुमत के अतिरिक्त कम से कम आधे राज्यों के विधान मंडलों का समर्थन आवश्यक है। (विशेष बहुमत)
भारतीय संविधान लचीलापन
भारतीय संविधान लचीलापन इसलिए क्योंकि इसमें बहुत से संशोधन प्रावधानों को संसद के साधारण बहुमत से पास कर के संशोधित कर दिया जाता है ।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना मे वर्णित शब्दों का विस्तार
न्याय – सामाजिक , आर्थिक और राजनीतिक न्याय प्रदान करना।
स्वतंत्रता – अभिव्यक्ति, विचार, विश्वास, धर्म, कर्म और उपासना भक्ति की स्वतंत्रता।
समानता – सभी प्रकार के भेदभावों का अन्त या भेदभावों से मुक्ति।
बंधुत्व – देश के हर नागरिक के बीच आपसी प्यार / स्नेह के भाव पैदा करना।
धर्म निरपेक्षता – सभी धार्मिक विचारों वाले नागरिकों को धर्म को मानने की आजादी।
समाजवादी – सरकार का उद्देश्य अधिक से अधिक जन कल्याण, समाज कल्याण के कार्य हो, लोकहित कारी कार्य हो। समाज सर्वोपरी।