How is the President of India Elected

How is the President of India Elected

How is the President of India Elected? – देश के 15वें राष्ट्रपति चुनाव को लेकर 18 जुलाई,2022 को वोटिंग हो चुकी है और 21 जुलाई,2022 को देश के नए राष्ट्रपति के नाम का ऐलान किया जाएगा।  25 जुलाई को नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण होगा।

राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा के बीच मुकाबला है।

भारत के राष्ट्रपति का चुनाव 

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 52 में उल्लेख है – कि भारत में एक राष्ट्रपति होगा (President of India). कोई भी देशीय नागरिक राष्ट्रपति बन सकता है. भारत का राष्ट्रपति भारत की संसद का एक अभिन्न अंग है, भारतीय संघ की सभी कार्यकारी शक्तियाँ राष्ट्रपति के पास होतीं हैं |

एकल संक्रमणीय मत पद्धति

भारत के राष्ट्रपति का चुनाव अनुच्छेद 55 के अनुसार आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के एकल संक्रमणीय मत पद्धति के द्वारा होता है।

भारत के राष्ट्रपति का चुनाव में संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और सभी राज्यों तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली एवं केंद्र शासित प्रदेश पुदुचेरी की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।

अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली

राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष निर्वाचन (Indirect election) द्वारा होता है इसका मतलब यह है कि  राष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज करता है | देश की जनता राष्ट्रपति का चुनाव सीधे खुद नहीं करती बल्कि उसके वोट से चुने हुए प्रतिनिधि करते है,इसे ही अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली कहते है|

राष्ट्रपति पद के लिए योग्यता

अनुच्छेद 58 के तहत, एक उम्मीदवार को राष्ट्रपति के पद का चुनाव लड़ने के लिए निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना अनिवार्य है|

  • भारत का नागरिक होना चाहिए |
  • 35 वर्ष की आयु पूरी करनी चाहिए |
  • लोकसभा का सदस्य बनने के योग्य होना चाहिए |
  • भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन या किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकरण के अधीन किसी भी उक्त सरकार के नियंत्रण के अधीन लाभ का कोई पद धारण नहीं किया होना चाहिए |
  • हालांकि, उम्मीदवार किसी भी राज्य के राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या राज्यपाल या संघ या किसी राज्य के मंत्रियों का पद धारण कर सकता है और चुनाव लड़ने के लिए पात्र होगा |

कैसे होती है वोटिंग?

President of India – प्रेसिडेंट के इलेक्शन में सिंगल ट्रांसफरेबल वोट का इस्तेमाल किया जाता है। वोटर एक ही वोट देता है पर वह सभी कैंडिडेट्स में से अपनी प्रायॉरिटी तय कर देता है यानी वह बैलट पेपर पर बता देता है कि उसकी पहली पसंद कौन है और दूसरी, तीसरी कौन। बैलेट पेपर पर कोई इलेक्शन प्रतीक नहीं मौजूद होता। जबकि पेपर पर दो कॉलम होते हैं और पहले कॉलम में कैंडिडेट का नाम लिखा होता है और दूसरे कॉलम में प्रिफरेंस ऑर्डर लिखा होता है।

जमानत राशि

राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति को इसके लिए 15000 रुपये की राशि जमानत के तौर पर जमा करने होते हैं|

प्रस्तावक और समर्थक

राष्ट्रपति पद के चुनाव के वास्ते नामांकन दाखिल करने वाले व्यक्तियों के लिए 50 प्रस्तावक और 50 अनुमोदकों का होना अनिवार्य कर दिया है। प्रस्तावक और अनुमोदक निर्वाचक मंडल के सदस्य होने चाहिए।

ऐसे तय होती है विधायकों की वोट वैल्यू?

President of India – किसी विधायक की वोट वैल्यू तय करने के लिए 1971 की जनगणना को आधार बनाया गया है। मतलब राज्य के विधायकों की वोट वैल्यू उस राज्य की कुल आबादी के आधार पर काउंट होती है। इनके वोट की वैल्यू तय करने के लिए कुल विधायकों की संख्या में 1000 का गुणा किया जाता है। फिर इससे राज्य की 1971 में रही कुल आबादी को डिवाइड कर दिया जाता है।

विधायकों की संख्या बीच में कम होने पर किसी राज्य में एक विधायक की वोट वैल्यू नहीं बदलती। उदाहरण- 1971 में मध्य प्रदेश की कुल आबादी 30,017,180 थी। इसलिए मध्य प्रदेश में एक विधायक की वोट वैल्यू 30017180/230X1000 = 131 है।

सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम क्या है?

इस प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले सदस्य अपने वोट में वरीयता के अनुसार अपना वोट डालते है अर्थात यह बैलट पेपर में सदस्य बता देते है कि राष्ट्रपति पद के लिए उनकी पहली, दूसरी और तीसरी पसंद क्या है |

यदि पहली पसंद के आधार पर चयन सम्पन्न नहीं होता है तो दूसरे चरण में उम्मीदवार के खाते में वोटर की दूसरी पसंद को ट्रान्सफर करके एकल वोट के रूप में उपयोग किया जाता है | इस प्रकार सिस्टम को सिंगल ट्रांसफरेबल वोट कहा जाता है |

राज्य के विधायकों की कितनी वोट वैल्यू?

वोट डालने वाले सांसदों और विधायकों के वोट का वेटेज अलग-अलग होता है | उत्तर प्रदेश के 403 विधायकों में से हर एक के वोट की वैल्यू 208 है, यानी उनका कुल मूल्य 403×208= 83,824 है। इसी तरह तमिलनाडु और झारखंड के हर एक विधायक की वोट वैल्यू 176, महाराष्ट्र की 175, बिहार की 173, आंध्र प्रदेश की 159, मध्य प्रदेश की 131 है।

बता दें कि सिक्किम जैसे छोटे राज्य की वोट वैल्यू सिर्फ 7 है। इसी तरह अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम का 8, नगालैंड की 9, मेघालय की 17, मणिपुर की 18 और गोवा की 20 है। इस प्रकार सबसे अधिक मत-मूल्य उत्तरप्रदेश का 208 सबसे कम सिक्किम का केवल 07 है |

जम्मू और कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश भारत के राष्ट्रपति के चुनाव के लिये निर्वाचक मंडल (Electoral College) का हिस्सा होगा अथवा नहीं?

भारतीय चुनाव आयोग

भारतीय चुनाव आयोग (Election Commission of India- ECI) से एक RTI के माध्यम से पूछा गया कि क्या नवगठित जम्मू और कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश (President of India) भारत के राष्ट्रपति के चुनाव के लिये निर्वाचक मंडल (Electoral College) का हिस्सा होगा अथवा नहीं।

इस RTI का जवाब देते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि इस संदर्भ में जानकारी के लिये आवेदक को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 54 को देखने के लिये कहा गया है।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 54

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 54 के तहत राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल (Electoral College) द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और सभी राज्यों तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली एवं केंद्र शासित प्रदेश पुदुचेरी की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।

NOTE –

  • वर्ष 1992 में 70 वें संविधान संशोधन के माध्यम से दिल्ली और पुदुचेरी को अनुच्छेद 54 के तहत निर्वाचक मंडल के सदस्यों के रूप में शामिल किया गया था।
  • वर्ष 1992 से पूर्व संविधान के अनुच्छेद 54 में केवल संसद के निर्वाचित सदस्यों और राज्यों की विधानसभाएं ही शामिल थीं।

विभिन्न राज्यों के वोटों के मूल्य की डिटेल लिस्‍ट

(1) राज्य: उत्तर प्रदेश

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 208

विधायकों की संख्या: 403

कुल वोट मूल्य: 83,824

(2) राज्य: तमिलनाडु

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 176

विधायकों की संख्या: 234

कुल वोट मूल्य: 41,184

(3) राज्य: झारखंड

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 176

विधायकों की संख्या: 81

कुल वोट मूल्य: 14,256।

(4) राज्य: महाराष्ट्र

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 175

विधायकों की संख्या: 288

कुल वोट मूल्य: 50,400

(5) राज्य: बिहार

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 173

विधायकों की संख्या: 243

कुल वोट मूल्य: 42,039

(6) राज्य: आंध्र प्रदेश

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 159

विधायकों की संख्या: 175

कुल वोट मूल्य: 27,825

(7) राज्य: केरल

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 152

विधायकों की संख्या: 140

कुल वोट मूल्य: 21280

(8) राज्य: पश्चिम बंगाल

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 151

विधायकों की संख्या: 294

कुल वोट मूल्य: 44394

(9) राज्य: ओडिशा

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 149

विधायकों की संख्या: 147

कुल वोट मूल्य: 21903

(10) राज्य: गुजरात

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 147

विधायकों की संख्या: 182

कुल वोट मूल्य: 26754

(11) राज्य: तेलंगाना

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 132

विधायकों की संख्या: 119

कुल वोट मूल्य: 15708

(12) राज्य: मध्य प्रदेश

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 131

विधायकों की संख्या: 230

कुल वोट मूल्य: 30130

(13) राज्य: कर्नाटक

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 131

विधायकों की संख्या: 224

कुल वोट मूल्य: 29344

(14) राज्य: छत्तीसगढ़

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 129

विधायकों की संख्या: 90

कुल वोट मूल्य: 11610

(15) राज्य: राजस्थान

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 129

विधायकों की संख्या: 200

कुल वोट मूल्य: 25800

(16) राज्य: असम

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 116

विधायकों की संख्या: 126

कुल वोट मूल्य: 14616

(17) राज्य: पंजाब

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 116

विधायकों की संख्या: 117

कुल वोट मूल्य: 13572

(18) राज्य: हरियाणा

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 112

विधायकों की संख्या: 90

कुल वोट मूल्य: 10080

(19) राज्य: उत्तराखंड

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 64

विधायकों की संख्या: 70

कुल वोट मूल्य: 4480

(20) केंद्र शासित प्रदेश: दिल्ली एनसीटी

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 58

विधायकों की संख्या: 70

कुल वोट मूल्य: 4060

(21) राज्य: हिमाचल प्रदेश

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 51

विधायकों की संख्या: 68

कुल वोट मूल्य: 3468

(22) राज्य: त्रिपुरा

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 26

विधायकों की संख्या: 60

कुल वोट मूल्य: 1560

(23) राज्य: गोवा

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 20

विधायकों की संख्या: 40

कुल वोट मूल्य: 800

(24) राज्य: मणिपुर

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 18

विधायकों की संख्या: 60

कुल वोट मूल्य: 1080

(25) राज्य: मेघालय

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 17

विधायकों की संख्या: 60

कुल वोट मूल्य: 1020

(26) केंद्र शासित प्रदेश: पुडुचेरी

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 16

विधायकों की संख्या: 30

कुल वोट मूल्य: 480

(27) राज्य: नागालैंड

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 9

विधायकों की संख्या: 60

कुल वोट मूल्य: 540

(28) राज्य: मिजोरम

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 8

विधायकों की संख्या: 40

कुल वोट मूल्य: 320

(29) राज्य: अरुणाचल प्रदेश

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 8

विधायकों की संख्या: 60

कुल वोट मूल्य: 480

(30) राज्य: सिक्किम

प्रत्येक विधायक का वोट मूल्य: 7

विधायकों की संख्या: 32

कुल वोट मूल्य: 224

सांसदों के मत मूल्य में कटौती

 President of India इस बार राष्ट्रपति चुनाव में संसद के एक सदस्य का मत मूल्य 708 से घटाकर 700 कर दिया गया है, क्योंकि जम्मू कश्मीर में अभी कोई विधानसभा नहीं है. राष्ट्रपति चुनाव में किसी सांसद का मत मूल्य राज्य विधानसभाओं और दिल्ली, पुडुचेरी तथा जम्मू कश्मीर समेत केंद्र शासित प्रदेशों में निर्वाचित सदस्यों की संख्या के आधार पर तय होता है |

राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचन मंडल में लोकसभा, राज्यसभा के सदस्य तथा राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के सदस्य शामिल होते हैं अगस्त,2019 में लद्दाख और जम्मू कश्मीर के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित होने से पहले जम्मू-कश्मीर राज्य विधानसभा की 83 सीटें थीं. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून के अनुसार, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख पर केंद्र सरकार का शासन होगा |

आखिर कैसे तय होता है राष्ट्रपति पद का विजेता

राष्ट्रपति चुनाव का विजेता वह व्यक्ति नहीं होता जिसे सबसे अधिक मत प्राप्त होते हैं, बल्कि वह व्यक्ति होता है जिसे एक निश्चित कोटे से अधिक मत प्राप्त होते हैं. प्रत्येक उम्मीदवार के लिए डाले गए वोटों को जोड़कर, योग को 2 से विभाजित करके और भागफल में ‘1’ जोड़कर कोटा तय किया जाता है.

जो उम्मीदवार तय कोटा से अधिक वोट प्राप्त करता है वह विजेता होता है. यदि किसी को कोटे से अधिक वोट नहीं मिलते हैं, तो सबसे कम वोट वाले उम्मीदवार को रेस से हटा दिया जाता है और हटाए गए उम्मीदवारों के मतपत्र उन मतपत्रों में दूसरी वरीयता पसंद के आधार पर शेष उम्मीदवारों के बीच वितरित किए जाते हैं.

प्रत्येक उम्मीदवार के लिए कुल मतों की गिनती की प्रक्रिया फिर दोहराई जाती है ताकि यह देखा जा सके कि कोई तय कोटा से ऊपर मत पा सका है या नहीं.

यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है जब तक किसी का वोट कोटा से अधिक तक नहीं पहुंच जाता है, या जब तक लगातार निष्कासन के बाद सिर्फ एक उम्मीदवार नहीं बच जाता है. तब उस व्यक्ति को भारत के राष्ट्रपति के विजेता के रूप में घोषित किया जाता है.

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