Class 12 Political Science Notes PDF Download || समकालीन विश्व में सुरक्षा || Political Science in Hindi

Class 12 Political Science Notes PDF Download

Political Science in Hindi || समकालीन विश्व में सुरक्षा

Political Science in Hindi – सुरक्षा से तात्पर्य – सुरक्षा का बुनियादी अर्थ है खतरे से आजादी । परन्तु केवल उन चीजों को सुरक्षा से जुड़ी चीजों का विषय बनाया जाय जिनसे जीवन के केन्द्रीय मूल्यों को खतरा हो ।

निःशस्त्रीकरण क्या होता है?

निःशस्त्रीकरण का अर्थ है अस्त्र शस्त्रों का अभाव या अस्त्र शस्त्रों को नष्ट करना

सुरक्षा की धारणाएँ

Political Science in Hindi – सुरक्षा की विभिन्न धारणाओं को दो कोटियों में रखकर समझा जा सकता है, जो मोटे तोर पर  सुरक्षा की पारंपरिक और अपारंपरिक धारणा है-

  पारंपरिक धारणा 

  1. बाहरी खतरा
  • सैन्य हमला
  • जनसंहार
  • शक्ति संतुलन
  • गठबंधन
  • शस्त्रीकरण
  1. आंतरिक खतरा
  • कानून व्यवस्था
  • अलगाववाद
  • गृहयुद्ध

गैर पारंपरिक धारणा – Political Science in Hindi

  • मानवता की सुरक्षा व्यापक अर्ध में भूखा /महामारी और प्राकृतिक विपदा से सुरक्षा ।
  • विश्व सुरक्षा नवीन चुनौतियों , आतंकवाद , बीमारियों , जलवायु संकट से सुरक्षा शामिल है ।
  • सुरक्षा सुरक्षा की अपारम्परिक धारणा के अन्तर्गत विश्व की सुरक्षा के समक्ष प्रमुख प्रमुख खतरे है
  • आतंकवाद
  • मानव अधिकार
  • वैश्विक निर्धनता
  • शरणार्थियों की समस्या
  • बीमारियाँ जैसे :- एड्स , बर्ड फ्लू एवं सार्स (सीवियर एक्यूट रेसपिरेटरी सिंड्रोम–SARS )

अपरोध क्या होता है?

Political Science in Hindi – युद्ध में कोई सरकार भले ही आत्मसमर्पण कर दे लेकिन वह इसे अपने देश की नीति के रूप में कभी प्रचारित नहीं करना चाहेगी। इस कारण , सुरक्षा नीति का संबंध युद्ध की आशंका को रोकने में होता है जिसे अपरोध” कहा जाता है।

  1. परम्परागत सुरक्षा निति के तत्व
  • शक्ति संतुलन
  • गठबंधन बनाना

खतरे के नए स्रोत क्या है?

Political Science in Hindi – खतरों के कुछ नए स्रोत सामने आए हैं जिनके बारे में दुनिया काफी हद तक चिंतित है। इनमें आतंकवाद, मानवाधिकार, वैश्विक गरीबी, पलायन और स्वास्थ्य महामारी शामिल हैं। 

आतंकवाद राजनीतिक हिंसा को संदर्भित करता है जो नागरिकों को जानबूझकर और अंधाधुंध निशाना बनाता है। 

यह भी पढ़ें ………..सत्ता के वैकल्पिक केंद्र

मानवाधिकार के प्रकार

  • राजनीतिक अधिकार
  • आर्थिक और सामाजिक अधिकार
  • उपनिवेशित लोगों का अधिकार

एक अन्य प्रकार की असुरक्षा वैश्विक गरीबी है। अमीर राज्य अमीर हो रहे हैं जबकि गरीब राज्य गरीब हो रहे हैं ।  दक्षिण में गरीबी ने भी उत्तर में बेहतर जीवन , विशेषकर बेहतर आर्थिक अवसरों की तलाश के लिए बड़े पैमाने पर पलायन किया है। 

स्वास्थ्य महामारी जैसे HIV – AIDS , बर्ड फ्लू और गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (SARS) प्रवासन के माध्यम से देशों में बढ़ रहे हैं। 

सहयोग मूलक सुरक्षा क्या होती है?

Political Science in Hindi – सहयोग मूलक सुरक्षा की अवधारणा अपारम्परिक खतरों से निपटने के लिए सैन्य संघर्ष के बजाए अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग से रणनीतियाँ तैयार करने पर बल देती हैं। यद्यपि अन्तिम उपाय के रूप में बल प्रयोग किया जा सकता है। 

सहयोग मूलक सुरक्षा में विभिन्न देशों के अतिरिक्त अन्तर्राष्ट्रीय संगठन (संयुक्त राष्ट्र संघ , विश्व बैंक आदि) , स्वयंसेवी संगठन (रेडक्रास, एमनेस्टी इण्टरनेशनल आदि), व्यावसायिक संगठन व प्रसिद्ध हस्तियाँ (जैसे नेल्सन मंडेला, मदर टेरेसा आदि) शामिल हो सकती हैं।

Political Science in Hindi भारत की सुरक्षा रणनीति

 भारतीय सुरक्षा रणनीति चार व्यापक घटकों पर निर्भर करती है-

  • सैन्य क्षमता को मजबूत करना – सैन्य क्षमताओं को मजबूत करना भारत की सुरक्षा रणनीति का पहला घटक है क्योंकि भारत अपने पड़ोसियों के साथ संघर्षों में शामिल रहा है।
  • अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को मजबूत करना – भारत की सुरक्षा रणनीति का दूसरा घटक अपने सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों को मजबूत करना है। 
  • अंदरूनी सुरक्षा को मजबूत करना – भारत की सुरक्षा रणनीति का तीसरा महत्वपूर्ण घटक देश के भीतर सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है। 
  • आर्थिक विकास करना – चौथा घटक अपनी अर्थव्यवस्था को इस तरह से विकसित करना है कि नागरिकों का विशाल जनसमूह गरीबी और दुख से बाहर निकल जाए।

यह भी पढ़ें ……दो ध्रुवीयता का अंत 

Political Science in Hindi – महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

  1. निम्नलिखित पदों को उनके अर्थ से मिलाएँ-
  2. विश्वास बहाली के उपाय (कॉन्फिडेंस बिल्डिग मेजर्स-CBMs)
  3. अस्त्र-नियंत्रणा
  4. गठबंधन
  5. निरस्त्रीकरण
    (
    क) कुछ खास हथियारों के इस्तेमाल से परहेज
    (
    ख) राष्ट्रों के बीच सुरक्षा-मामलों पर सूचनाओं के आदान-प्रदान की नियमित प्रक्रिया
    (
    ग) सैन्य हमले की स्थिति से निबटने अथवा उसके अपरोध के लिए कुछ राष्ट्रों का आपस में मेल करना।
    (
    घ) हथियारों के निर्माण अथवा उनको हासिल करने पर अंकुश।

उत्तर- (1) (ख)
(2) (
घ)
(3) (
ग)
(4) (
क)

  1. निम्नलिखित में से किसको आप सुरक्षा का परंपरागत सरोकार/सुरक्षा का अपारंपिक सरोकार/खतरे की स्थिति नहींका दर्जा देंगें-
    (
    क) चिकेनगुनिया/डेंगू बूखार का प्रचार
    (
    ख) पड़ोसी देश से कामगारों की आमद
    (
    ग) पड़ोसी राज्य से कामगारों की आमद
    (
    घ) अपने इलाके को राष्ट्र बनाने की माँग करने वाले समूह का उदय
    (
    ड़) अपने इलाके को अधिक स्वायत्तता दिए जाने की माँग करने वाले समूह का उदय।
    (
    च) देश की सशस्त्र सेना की आलोचनात्मक नजर से देखने वाला अखबार।

उत्तर- (क) सुरक्षा का अपारंपरिक सरोकार।
(
ख) सुरक्षा का परंपरागत सरोकार।
(
ग) खतरे की स्थिति नहीं।
(
घ) सुरक्षा का अपारंपरिक सरोकार
(
ड़) खतरे की स्थिति नहीं।
(
च) सुरक्षा का पारंपरिक सरोकार।

  1. निम्नलिखित में से कौन-सी सन्धि अस्त्र नियंत्रण संधि थी?

(A) अस्त्र परिसीमन संधि-II

(B) सामरिक अस्त्र न्यूनिकरण संधि

(C) परमाणु अप्रसार संधि 

(D) सभी

Ans (D) सभी

  1. कितने देशों द्वारा जैविक हथियार समझौते (बी.डब्ल्यू.सी.) परहस्ताक्षर किए गए?

(A) 150 

(B) 152

(C) 154 

(D) 155

Ans (D) 155

  1. किसने कहा था हम संयुक्त राष्ट्र के बिना आधुनिक विश्व कीकल्पना नहीं कर सकते हैं।

(A) जवाहर लाल नेहरू

(B) इन्दिरा गाँधी

(C) चन्द्रशेखर 

(D) इन्द्र कुमार गुजराल

Ans (A) जवाहर लाल नेहरू

Political Science in Hindi

  1. शीतयुद्ध कब आरंभ हुआ

(A) प्रथम विश्वयुद्ध के बाद

(B) राष्ट्रसंघ के निर्माण होते ही

(C) द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 

(D) इनमें से कोई नहीं

Ans (C) द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 

  1. सन् 1950 के दशक में फ्रांस को किससे जूझना पड़ा

(A) केन्या से 

(B) ब्रिटेन से

(C) वियतनाम से

(D) जापान से

Ans (C) वियतनाम से

  1. सन् 1960 के दशक में ब्रिटेन को किससे जूझना पड़ा

(A) वियतनाम 

(B) केन्या

(C) फ्रांस

(D) इनमें से कोई नहीं

Ans (B) केन्या

  1. उपनिवेशों का आजाद होना कब से आरम्भ हो गया

(A) सन् 1940 के दशक के उत्तरार्द्ध से

(B) 1980 के दशक के बाद 

(C) 1850 के बाद

(D) इनमें से कोई नहीं

Ans (A) सन् 1940 के दशक के उत्तरार्द्ध से

  1. परम्परागत सुरक्षा नीति का एक तत्व और है

(A) शक्ति का विकेन्द्रीकरण

(B) शक्ति संतुलन

(C) धनोपार्जन 

(D) इनमें से कोई नहीं

Ans (B) शक्ति संतुलन

Political Science in Hindi Question Answer

  1. सुरक्षा की परम्परागत धारणा का अनिवार्य संबंध है

(A) बाह्य सुरक्षा 

(B) मित्र देशों की रक्षा

(C) आंतरिक सुरक्षा

(D) इनमें से कोई नहीं

Ans (B) मित्र देशों की रक्षा

  1. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जितने युद्ध हुए उसमें एक तिहाई युद्धोंके लिए जिम्मेदार था

(A) प्रथम विश्वयुद्ध के कारण

(B) शीतयुद्ध

(C) अमेरिका 

(D) रूस

Ans (B) शीतयुद्ध

  1. सुरक्षा धारणा के तहत रासायनिक हथियार संधि कब हुए

(A) 1992 में 

(B) 1993 में 

(C) 1995 में 

(D) 1991 में

Ans (C) 1995 में 

  1. पिछले 100 वर्षों में जितने लोग विदेशी सेना से मारे गये उसकीतुलना में

(A) लोग खुद अपनी सरकारों से मारे गये

(B) लोग स्वयं भुखमरी से मर गये

(C) महामारियों से मर गये 

(D) इनमें से कोई नहीं

Ans (D) इनमें से कोई नहीं

  1. मानवता की रक्षा का व्यापक अर्थ है

(A) युद्ध से मुक्ति

(B) अभाव से मुक्ति

(C) भय से मुक्ति 

(D) अभाव और भय से मुक्ति

Ans (D) अभाव और भय से मुक्ति

Question Answer Political Science in Hindi 

  1. सन् 1990 के दशक में विश्व सुरक्षा की अवधारणा उभरने के कौनसे कारण नहीं हैं

(A) आतंकवाद 

(B) ग्लोवल वार्मिंग

(C) एड्स व बर्ड फ्लू 

(D) महाशक्तियों का अस्तित्व में आना

Ans (C) एड्स व बर्ड फ्लू 

  1. सुरक्षा धारण के तहत जैविक हथियार संधि किस वर्ष सम्पन्न हुई

(A) सन् 1970 में

(B) सन् 1972 में 

(C) सन् 1975 में

(D) सन् 1980 में

Ans (B) सन् 1972 में 

  1. विश्व राजनीति में प्रत्येक देश की सुरक्षा का दायित्व व्यावहारिकरूप से किसे करना पड़ता है?

 (A) संयुक्त राष्ट्र संघ

(B) स्वयं प्रत्येक देश 

(C) सुरक्षा परिषद्

(D) इनमें से कोई नहीं

Ans (B) स्वयं प्रत्येक देश 

  1. सुरक्षा का क्या अर्थ है

(A) खतरे से मुक्त रहना

(B) खतरा मंडराना 

(C) दूसरों का सहयोग करना

(D) इनमें से कोई नहीं

Ans (A) खतरे से मुक्त रहना

  1. विश्व के लगभग 200 देशों के लगभग अरब जनसंख्या सुरक्षाके सम्बन्ध में

(A) बेफिक्र हैं

(B) विभिन्न धारणाएँ रखते हैं 

(C) इनमें से कोई नहीं

(D) दोनों

Ans (C) इनमें से कोई नहीं

Political Science Notes

  1. सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा में सैन्य खतरे को किसी देश के लिएमाना गया है

(A) सामान्य खतरनाक

(B) सबसे कम खतरनाक 

(C) सबसे ज्यादा खतरनाक

(D) इनमें से कोई नहीं

Ans (C) सबसे ज्यादा खतरनाक

  1. किसी भी युद्ध में नुकसान होता है

(A) सिर्फ सैनिकों का

(B) स्त्री-पुरूषों को

(C) सैनिक एवं जान-माल का

(D) इनमें से कोई नहीं

Ans (C) सैनिक एवं जान-माल का

 

  1. बुनियादी तौर पर किसी सरकार के पास युद्ध की स्थिति में कौन-सेविकल्प ठीक नहीं है

(A) आत्मसमर्पण करना 

(B) दूसरे पक्ष की बात बिना युद्ध के मान लेना

(C) युद्ध ठान लेना और अपनी रक्षा करना 

(D) युद्ध को नजरअंदाज करना

Ans (D) युद्ध को नजरअंदाज करना

  1. वर्ल्ड ट्रेड सेन्टरपर आतंकवादियों ने कब हमला किया

(A) 11 अक्टूबर 2000

(B) 10 नवम्बर 2001 

(C) 11 सितम्बर 2001

(D) इनमें से कोई नहीं

Ans (C) 11 सितम्बर 2001

  1. विश्व की वर्तमान जनसंख्या क्या है

(A) 7 अरब 10 करोड़

(B) 5 अरब 90 करोड़ 

(C) 6 अरब 20 करोड़

(D) इनमें से कोई नहीं

Ans (C) 6 अरब 20 करोड़

  1. भारत की सुरक्षा नीति का पहला घटक है सैन्य क्षमता औरसुरक्षा-नीति का दूसरा घटक है-

(A) अर्थ नीति मजबूत करना

(B) अंतर्राष्ट्रीय कायदों व संस्थाओं को मजबूत करना 

(C) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मजबूत करना 

(D) इनमें से कोई नहीं

Ans (B) अंतर्राष्ट्रीय कायदों व संस्थाओं को मजबूत करना 

  1. सुरक्षा की परम्परागत धारणा में कौन से तत्व नहीं हैं

(A) निरस्त्रीकरण, अस्त्र नियंत्रण, विश्वास बहाली

(B) अस्त्र-शस्त्रों का भंडार तैयार करना

(C) निरस्त्रीकरण अस्त्र नियंत्रण 

(D) इनमें से कोई नहीं

Ans (A) निरस्त्रीकरणअस्त्र नियंत्रणविश्वास बहाली

  1. संयुक्त राज्य अमरीका पर आतंकवादियों द्वारा आक्रमण कब कियागया?

(A) 2003 

(B) 2004

(C) 2001 

(D) 2005

Ans (C) 2001 

  1. सुरक्षा परिषद् में कुल कितने सदस्य होते हैं? 

(A) 5 

(B) 8

(C) 12 

(D) 15

Ans (D) 15

Political Science Long Question Answer 

प्रश्न 1. परंपरागत और अपारंपरिक सुरक्षा में क्या अंतर है? गठबंधनों का निर्माण करना और उनको बनाए रखना इनमें से किस कोटि में आता है?

उत्तर- परंपरागत और अपारंपरिक सुरक्षा में निम्नलिखित अंतर पाए जाते हैं-

क्र.सं. पारंपरिक सुरक्षा अपारंपरिक सुरक्षा
1 पारंपरिक सुरक्षा की धारणा का संबंध बाहरी खतरों से होता हैं। अपारंपरिक सुरक्षा में मानवीय अस्तित्व पर हमला करने वाले सभी खतरों को शामिल किया जाता है।
2 पारंपरिक धारणा का संबंध सैन्य खतरे से उत्पन्न चिंता से हैं। अपारंपरिक सुरक्षा का संबंध सैन्य खतरे के अलावा अन्य व्यापक खतरों से हैं।
3 बाहरी सुरक्षा का खतरा दूसरे देश से होता हैं। अपारंपरिक सुरक्षा के अंतर्गत हमले के अलावा मानव की सुरक्षा राज्य से भी होनी चाहिए। अपने देश की सरकार से भी बचाव जरूरी है।
4 पारंपरिक सुरक्षा में बाहरी आक्रमण से सुरक्षा के तीन उपाय हैं-
(i) 
आत्मसमर्पण
(ii)
आक्रमणकारी की बात मानकर
(iii)
युद्ध में हराकर
अपारंपरिक सुरक्षा की धारणा में राष्ट्र प्राकृतिक आपदाओं आतंकवाद तथा महामारियों को समाप्त करके” लोगों को सुरक्षा प्रदान कर सकता हैं।

 

प्रश्न 2. तीसरी दुनिया के देशों और विकसित देशों की जनता के सामने मौजूद खतरों में क्या अंतर है?

उत्तर- तीसरी दुनिया के देशों और विकसित देशों की जनता के सामने खतरों में काफी अंतर विद्यमान है, जो निम्न हैं-

तीसरी दुनिया का अर्थ है विकासशील देशों से है, जिसमें एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमरीका के देश शामिल हैं। विकसित देशों में अमरीका, यूरोपीय देश एवं उत्तरी ध्रुव के देश सम्मिलित हैं। विकसित देशों में अमरीकी, यूरोपीय देश एवं उत्तरी ध्रुव के देश शामिल हैं

  • उत्तरी गोलार्द्ध के देशों को विकसित तथा दक्षिणी गोलाद्ध के देशों को अविकसित या तीसरी दुनिया के देश कहा जाता हैं।
  • तीसरी दुनिया के सामनेबाहरी तथा आंतरिक खतरे विद्यमान हैं, जबकि विकसित देशों के सामने ये खतरे न के बराबर हैं।
  • तीसरी दुनिया के सामने बेरोजगारी, भुखमरी, महामारी जैसे समस्याएँ हैं, जबकि विकसित देशों ने कुछ  सीमा तक इन पर नियंत्रण कायम कर लिया है।
  • विकासशील या तीसरी दुनिया के देशों के सामने सुरक्षा का प्रश्न मुख्य चुनौती के रूप में विद्यमान है जो विकसित देशों के सामने नहीं है।
  • तीसरी दुनिया की जनता के सामने अप्रवासी और शरणार्थियों की समस्या विद्यमान है। यह विकसित देशों में न के बराबर है।
  • तीसरी दुनिया के देशों के सामने आतंकवाद का एक प्रमुख खतरा विद्यमान हैं। यह विकसित देशों को भी चनौती दे रहा हैं।
  • नरसंहार, रक्तपात, गृहयुद्ध तीसरी दुनिया के देशों की मुख्य समस्याएँ है, जो विकसित देशों में कम हैं।

प्रश्न 3. आतंकवाद सुरक्षा के लिए परंपरागत खतरे की श्रेणी में आता है या अपरंपरागत?

उत्तर- आतंकवाद सुरक्षा अवधारणा की अपरंपरागत श्रेणी में आता है। आतंकवाद किसी एक देश के लिए खतरा नहीं है, बल्कि विश्व के सभी देशों के लिए खतरा बना हुआ है। 11 सितंबर, 2001 के अमरीका पर आतंकवादी हमले से यह साबित होता है कि यह विकसित देशों की सुरक्षा में भी सेंध लगा सकता है।

आतंकवाद में जान-बूझ कर नागरिकों, रेलगाड़ियों, बाजार , विमानों, महत्वपूर्ण इमारतों,आदि में बम रखकर वहां तबाही करने की कोशिश की जाती है। आतंकवादी संगठन बल-प्रयोग की शक्ति के  द्वारा अनेक देशों पर आक्रमण करना चाहते हैं।

अफ्रीका, दक्षिण एशिया, व लैटिन अमरीका जैसे देशों की प्रमुख समस्या यह है कि आतंकवादी पर किस प्रकार नियंत्रण पाया जाए | कुछ देश इन आतंकवादी संगठनों को अपने यहाँ प्रशिक्षण भी दे रहे हैं।

प्रश्न 4. सुरक्षा के परंपरागत दृष्टिकोण के हिसाब से बताएँ कि अगर किसी राष्ट्र पर खतरा मँडरा रहा हो तो उसके सामने क्या विकल्प होते हैं?

उत्तर- सुरक्षा की परंपरागत धारणा के अंतर्गत कोई दूसरा देश ही किसी देश पर हमला करता है। इसके लिए वह पहले चेतावनी दे सकता है, धमकी दे सकता है। सुरक्षा की पारंपरिक धारणा के अनुसार  ज़्यादातर हमारा सामना राष्ट्रीय सुरक्षा की धारणा से होता है।

इस अवधारणा के अनुसार सैन्य खतरे को किसी देश के लिए सबसे अधिक खतरनाक माना जाता है| दुसरे देश, सैन्य हमले की धमकी देकर संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता जैसे केन्द्रीय मूल्यों के लिए खतरा उत्तपन करता है।

सुरक्षा के परंपरागत दृष्टिकोण के अंतर्गत, यदि किसी राष्ट्र पर खतरा मँडरा रहा ही तो उसके सामने युद्ध की स्थिति में तीन विकल्प होते हैं-

  • शत्रु देश के समाने आत्मसमर्पण कर देना।
  • शत्रु देश की बात को बिना युद्ध किए मान लेना।
  • शत्रु देश को युद्ध के लिए उकसाना और हमलावर को पराजित करना।

प्रश्न 5. शक्ति संतुलन क्या है? कोई देश इसे कैसे कायम करता है?

उत्तर- शक्ति संतुलन का अर्थ है, कोई भी एक पक्ष या राज्य इतना  बलशाली न हो कि वह अन्य राज्यों पर हावी हो जाए या दूसरे पर हमला करने, उसे दबाने या हराने में समर्थ हो। जिस तरह एक तुला के दो पलड़े समान भार होने पर संतुलित बने रहते हैं, वही स्थिति अलग-अलग राज्यों के मध्य होती है।

यदि कोई देश अन्य देशों की तुलना में ज़्यादा शक्तिशाली होता है तो वह अन्य देशों के लिए संकट और चिंता का विषय बन सकता है।

शक्ति संतुलन के अंतर्गत अनेक राष्ट्र अपने आपसी शक्ति संबंधो को बिना किसी बड़ी शक्ति के हस्तक्षेप के स्वतंत्रतापूर्वक संचालित करते हैं |

क्लॉड के अनुसार, “शक्ति संतुलन एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें विभिन्न स्वतंत्र राष्ट्र अपने आपसी शक्ति संबंधों को बिना किसी बड़ी शक्ति के हस्तक्षेप के स्वतंत्रतापूर्वक संचालित करते हैं। इस प्रकार यह एक विकेंद्रित व्यवस्था हैं, जिसमें शक्ति व नीति निर्णायक इकाइयों के हाथों में ही रहती हैं।”

शक्ति संतुलन कायम रखने के उपाय-

  • शक्ति संतुलन को कायम रखने के लिए सैन्य-शक्ति में लगातार वृद्धि होते रहनी चाहिए।
    शक्ति संतुलन के लिए आर्थिक और प्रौद्योगिकी की ताकत होने चाहिए, तभी शक्ति संतुलन कायम रह पाएगा।
  • शत्रु देश की शक्ति को कम करने के लिए अनेक उपाय करने चाहिए, जैसे शत्रु देश के मित्र देशों की संख्या कम करना।
  • शस्त्रीकरण भी शक्ति संतुलन का एक जरिया है। शक्ति संतुलन द्वितीय विश्व युद्ध केपश्चात विश्व में बना हुआ था, जैसे अमरीका व सोवियत संघ दोनों शक्तिशाली विरोधी देश थे। यदि शक्ति संतुलन न होता तो तृतीय विश्व युद्ध हो सकता था। यह संतुलन 1945 से 1990 तक बना रहा।

प्रश्न 6. सैन्य गठबंधन के क्या उद्देश्य होते हैं? किसी ऐसे सैन्य गठबंधन का नाम बताइए जो अभी मौजूद है? इस गठबंधन के उद्देश्य भी बताएँ।

उत्तर- सैन्य गठबंधन में कई देश सम्मिलित होते हैं। सैन्य गठबंधन हमले को रोकने, हमला करने और रक्षा के उद्देश्य को लेकर बनाए जाते हैं। सैन्य गठबंधन बनाकर एक विशेष क्षेत्र में सैन्य शक्ति संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया जाता है।

वर्तमान में नाटो नाम का एक सैन्य गठबंधन मौजूद हैं। सैन्य गठबंधनों का निर्माण अनेक देशों के माध्यम से अपने किसी विशेष क्षेत्र के लिए किया गया था, जैसे-द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमरीका के नेतृत्व में नाटो, सोवियत संघ के नेतृत्व में वारसा पैक्ट तथा यूरोपीय देशों व अमरीका ने मिलकर सिएटो की स्थापना की।

नाटो एक गैर साम्यवादी सैन्य गठबंधन है। नाटो में सबसे शक्तिशाली तथा केंद्रीय शक्ति अमरीका रहा है। नाटों की स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को की गई थी। अमरीका ने सोवियत संघ के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए नाटों की स्थापना की। इसमें मुख्यत: अमरीका व यूरोपीय देश शामिल थे।

नाटो के उद्देश्य निम्न थे-

  • यूरोप पर आक्रमण के समय अवरोधक की भूमिका अदा करना।
  • सैन्य और आर्थिक विकास के लिए यूरोपीय राष्ट्रों के लिए कोई एक सुरक्षा छतरी बनना।
  • भूतपूर्व सोवियत संघ के साथ संभावित युद्ध के लिए लोगों को, विशेषकर अमरीका के लोगों को मानसिक रूप से तैयार करना।
  • नाटो का प्रमुख औचित्य यूरोप की प्रतिरक्षा को सुदृढ़ करना है।

प्रश्न 7. पर्यावरण के तेजी से हो रहे नुकसान से देशों की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? उदाहरण देते हुए अपने तुर्कों की पुष्टि करें।

उत्तर- पर्यावरण का हास्य आज एक विश्वव्यापी समस्या बन गई हैं। जनसंख्या विस्फोट, शोरगुल, रासायनिक प्रवाह, नगरीकरण, जल प्रदूषण, धुआँ, विज्ञान और तकनीक का अप्रत्याशित प्रसार आदि इसके कारण हैं, जिनकी वजह से पर्यावरण का ह्रास हो रहा है।

  • वर्तमान काल में पर्यावरणीय क्षय विश्व और संयुक्त राष्ट्र संघ के सामने एक मुख्य चिंतनीय मुद्दा बन गया है। वैश्विक ताप, ओजोन क्षय, जल प्रदूषण जैसी समस्याओं ने भयंकर रूप ले लिया है। यदि समय रहते पर्यावरण को बचाया नहीं गया तो इसका परिणाम पृथ्वी के लिए भयंकर होगा।
  • हाँ, मैं इस कथन से सहमत हूँ कि पर्यावरण का तेजी से नुकसान हो रहा है। जिसके कारण सभी देशों को विभिन्न खतरों का सामना करना पड़ रहा है।
  • ओजोन परत में छेद होने से त्वचा से संबंधित कई बीमारियाँ  पैदा हो गई हैं, वैश्विक ताप में वृद्धि होने से समुद्र का जल स्तर लगातार बढ़ रहा है, ग्लेशियर पिघल रहे हैं, गर्मी बढ़ती जा रही है। अकाल, बाढ़ और तूफान का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि हुई है। ग्रीन हाउस गैसों जैसे मिथेन गैस का खूब उत्सर्जन हुआ है। बढ़ते तापमान से प्रवासी पक्षियों के स्थान व आदतों में परिवर्तन देखा जा सकता है, वनों की कटाई निरंतर जारी है।
  • इन सभी समस्याओं को देखते हुए सभी देशों द्वारा वर्तमान समय में पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष प्रावधान किए जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पर्यावरण की सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरणीय कानून तैयार किए गए हैं। मानवीय पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मेलन (1972), रिओ पृथ्वी सम्मेलन (1992). संयुक्त राष्ट्र पृथ्वी शिखर सम्मेलन (1997), ग्लोबल वार्मिग पर अंतरांष्ट्रीय सम्मेलन क्योटो संधि (1997), संयुक्त राष्ट्र जलवायु समझौता सम्मेलन (2005), जलवायु परिवर्तन पर कोपनहेगन सम्मेलन (2009) आदि सम्मेलन पर्यावरण सुरक्षा के क्षेत्र में विशेष उल्लेखनीय हैं।

Political Science in Hindi Long Question Answer 

प्रश्न 8.  देशों के सामने फिलहाल जो खतरे मौजूद हैं, उनमें परमाण्विक हथियार की सुरक्षा अथवा अपरोध के लिए बड़ा सीमित उपयोग रह गया है। इस कथन का विस्तार करें।

उत्तर- आज अनेक देशों के सामने अनेक प्रकार के खतरे मौजूद हैं। इन खतरों को युद्ध, परमाणु हथियार या अपरोध द्वारा नहीं टाला जा सकता है। आज अनेक देशों के पास परमाणु हथियार विद्यमान हैं और परमाणु हथियार बनाने की क्षमता भी है। ऐसी स्थिति में यदि परमाणु युद्ध होता है तो यदि एक देश  खत्म हो जाएगा तो दूसरा भी इसके प्रभाव से नहीं बच सकता।

आज के खतरों से बचाने के लिए, सैन्य बल उपयुक्त नहीं है। उदाहरण, पर्यावरण संरक्षण ग्लोबल वार्मिंग, बाढ़,भुखमरी, बेरोजगारी,  अकाल, आतंकवाद, सीमा-विवाद, गृहयुद्ध आदि ऐसे खतरे है, जिनका निवारण सैन्य शक्ति के द्वारा संभव नहीं है| इन खतरों के सामने परमाणु हथियारों के उपयोग का कोई औचित्य नहीं है|

सुरक्षा के परंपरागत दृष्टिकोण का अर्थ सैन्य सुरक्षा से लिया जाता था, जिसमें मुख्य अहम मुद्दा देश की बाहरी आक्रमण से रक्षा करना था। परंतु परमाणु हथियारों के इस युग में शस्त्रीकरण ने भी कहीं-न-कहीं युद्धों पर रोक लगाई है। किसी भी देश की हथियारों का इस्तेमाल कम-से-कम करना चाहिए। बल का प्रयोग केवल आत्मरक्षा के लिए ही करना चाहिए।

वर्तमान समय में हमारे सामने अनेक अपारंपरिक सुरक्षा के खतरे विद्यमान है। हमें अपना ध्यान ग्लोबल वार्मिग, बाढ़, सूखा, पर्यावरण संरक्षण, ओजोन छेद, रोजगार, गरीबी मिटाने में लगाना चाहिए। हमें अपना धन परमाणु हथियारों की अपेक्षा इन अपारंपरिक सुरक्षा के खतरों पर लगाना चाहिए। वर्तमान  में काल में जो खतरे पैदा हुए हैं, उनमें परमाण्विक हथियार की सुरक्षा अथवा अपरोध के लिए बड़ा सीमित उपयोग रह गया है।

प्रश्न 9. भारतीय परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए किस किस्म की सुरक्षा को वरीयता दी जानी चाहिए-पारंपरिक या अपारंपरिक? अपने तर्क की पुष्टि में आप कौन-से उदाहरण देंगें?

उत्तर- भारतीय परिदृश्य को देखते हुए भारत को पारंपरिक और अपारंपरिक दोनों तरह की सुरक्षा को वरीयता देनी चाहिए। भारत न तो सैनिक दृष्टि से सुरक्षित हैं और न ही अपारंपरिक सुरक्षा के खतरों में। भारत के दो पड़ोसी देशों के पास परमाणु हथियार हैं जो भारत पर कभी भी हमला कर सकते हैं।

हमले के अलावा भारत-चीन, भारत-पाकिस्तान सीमाओं पर लगातार विवाद बना रहता है, जिससे आत्मरक्षा के लिए भारत के पास सैनिक शक्ति व परमाणु हथियारों का होना महत्वपूर्ण हैं। इसलिए भारत द्वारा पारंपरिक सुरक्षा को महत्व दिया जाना चाहिए।

भारत अपारंपरिक सुरक्षा के खतरों से परे नहीं है। पर्यावरण संरक्षण, गरीबी, आतंकवाद, ओजोन में छेद ग्लोबल वार्मिंग, बाढ़, सूखा, सभी देशों की समस्याएँ हैं, भारत भी उनमें से एक है। इन खतरों से जूझना भारत के लिए उतना ही जरूरी है, जितना सैनिक खतरों से। इसी कारण भारत को पारंपरिक सुरक्षा के साथ ही अपारंपरिक सुरक्षा को भी वरीयता देनी पड़ेगी।

Leave a Comment