Globalization in Hindi || वैश्वीकरण इन हिंदी

Globalization in Hindi || वैश्वीकरण इन हिंदी

globalization meaning in Hindi : इस आर्टिकल में हम वैश्वीकरण के बारे में विस्तार से जानेंगे ताकि परीक्षा में इसका सही से वर्णन कर सकें |

वैश्वीकरण का अर्थ क्या है ?

वैश्वीकरण का अर्थ है प्रवाह
प्रवाह कई तरह का हो सकता है.
1-
विचारो का एक हिस्से से दुसरे हिस्से में पहुच जाना.
2-
वस्तुओ का एक से अधिक देशो में पहुचना.
3-
पूँजी का एक से ज्यादा जगह पर पहुचना.
4-
बेहतर आजीविका की तलाश में लोगो की एक देश से दुसरे देश में आवाजाही.

वैश्वीकरण की विशेषताएं

Globalization in Hindi: वैश्वीकरण की प्रक्रिया अपने अंदर कुछ ऐसी विशेषताओं को संलिप्त किये हुए है, जिससे हमारा समाज एक नई प्रकार की सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक स्थिति को संस्थापित करने की ओर प्रवृत्त हो रहा है। वैश्वीकरण की निम्न विशेषताएं है– 

  1. भौगोलिक दूरियों का सिमटना

वैश्वीकरण की प्रक्रिया मे यातायात एवं संचार के साधनों मे क्रांतिकारी विकास के फलस्वरूप भौगोलिक दूरियाँ सिमट गई है। फोन, फैक्स, कंप्यूटर एवं इंटरनेट के माध्यम से समूचे विश्व से हम अपने स्टडी-रूम से ही संपर्क कर सकते है।

  1. एक नई संस्कृति का उभरना

वैश्वीकरण की प्रक्रिया मे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की दूरदराज तक पहुंच ने एक नई विश्व संस्कृति को उभारा है। जीन्स, टी-शर्ट, फास्ट-फूड, पॉप,संगीत, नेट पर चेटिंग, आदि तत्वों से बनी एक ऐसी संस्कृति सृजित हुई है, जिससे विश्व के हर देश का युवा प्रभावित हुआ है।

  1. उपभोक्तावाद को बढ़ावा

वैश्वीकरण मे उपभोक्तावाद तथा बाजारीकरण को बढ़ावा देने के गुण है।

  1. श्रम बाजार का विश्वव्यापीकरण

वैश्वीकरण की प्रक्रिया मे एक विशेषता श्रम बाजार के विश्वव्यापीकरण की भी है। सन् 1965 मे लगभग 7. 5 करोड़ लोग एक देश से अन्य देशों मे रोजगार के कारण प्रवासित हुए थे, वहीं वर्तमान मे यह आँकड़ा लगभग 30 करोड़ पर पहुंच गया है |

  1. बिचौलियों को बढ़ावा

वैश्वीकरण की प्रक्रिया से श्रम निर्यातक देशो मे ऐसे कई एजेंट या बिचौलियें सक्रिय हो गए है, जो वैध तथा अवैध दोनो प्रकार से लोगों को विदेशों मे काम दिलाते है। यही नही, ये बिचौलियें लोगों को विदेश भिजवाने मे भी मदद करते है। 

  1. शिक्षा का विश्वव्यापीकरण

भूमण्डलीकरण या वैश्विकरण से शिक्षि का भी विश्वव्यापीकरण हो गया है। इसमें विकासशील देशों के शिक्षा संस्थानों का पाठ्यक्रम विश्वस्तरीय हो गया है, जिससे इनके यहाँ शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थी दुनिया के किसी भी देश मे रोजगार पा सकते है। 

  1. अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आवाजाही मे लचीलापन

वैश्वीकरण की प्रक्रिया के फलस्वरूप आज डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, शिक्षाविद्, वास्तुविद्, एकाउण्टेण्ड, प्रबन्धक, बैंकर तथा कंप्यूटर विशेषज्ञ आदि का विदेश आवागमन भी अब पूँजी प्रवाह की तरह सरल व लचीला हो गया है।

  1. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की सक्रियता

इस प्रक्रिया मे बहुराष्ट्रीय कंपनियों की सक्रियता बढ़ गई है। ये कम्पनियाँ पहले सिर्फ उत्पादित वस्तुओं, सेवा, तकनीक, पूँजी आदि की आवाजाही मे मदद करती थी, किन्तु अब भिन्न-भिन्न देशों मे प्रबन्धकों, विशेषज्ञों, कुशल तथा अर्द्धकुशल श्रमिकों आदि की नियुक्तियों मे भी अहम् भूमिका का निर्वाह करती है।

ALSO READ…….नीति आयोग 

वैश्वीकरण के कारण

  • प्रोद्योगीकी
  • टेलेफोन, टेलीग्राफ का आविष्कार.
  • मुद्रण तकनीक ( छपाई तकनीक )
  • वैश्वीकरण एक बहु आयामी अवधारणा है.
  • वैश्वीकरण के परिणाम
  • इसके राजनीतिक, आर्थिक, सामजिक परिणाम होते है.
  • वैश्वीकरण के राजनैतिक परिणाम
  • सरकार की नीतियों, कार्यो, भूमिका में बदलाव आया है.
  • उद्योगों में सरकार कम हस्तक्षेप करती है.
  • अब सरकार कल्याणकारी राज्य की धारणा से हटकर न्यूनतम हस्तक्षेप वाली नीति अपना रही है.
  • सरकार के पास उच्च तकनीक आ रही है.
  • जिसके द्वारा सरकारे नागरिको पर नियंत्रण बना रही है
  • राज्य अब कुछ कामो तक अपने को सीमित रखता है.
    जैसे कानून औए व्यवस्था बनाना, नागरिको को सुरक्षा देना
    राज्य अब भी ताकतवर है.

वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव

  • खान–पान में बदलाव.
  • रहन सहन में बदलाव.
  • संस्कृतियों का हास हो रहा है.
  • अमेरिकी संस्कृतियों की तरफ झुकाव बढ़ रहा है
  • महिलाओं की स्थिति में कमी तथा सुधार
  • विदेशी फिल्मों, त्योहारों, संगीत का रुझान बढ़ रहा है.
  • रूढ़िवादिता खत्म हो रही है.
  • विदेशी संस्कृति का प्रसार हुआ है.
  • लोगों के विचारों में बदलाव आ रहा है.

वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव

  • मुक्त व्यापार बढ़ रहे है
  • आयात से प्रतिबन्ध हटाये जा रहे है
  • पूंजीवादी देशो को लाभ हो रहा है
  • विकसित देश अपनी वीजा नीति कठोर बना रहे है
  • निजीकरण और पूँजीवाद को बढ़ावा मिल रहा है
  • लाखो लोगो को रोजगार मिल रहा है
  • बाजार मेंप्रतिस्पर्धा बढ़ रही है
  • बाजार में विभिन्न देशों के उत्पाद आसानी से उपलब्ध है.

वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव

  • वैश्वीकरण के फलस्वरूप राज्य की ताकत में इजाफ़ा हुआ है ।
  • अब राज्य के हाथो में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी मौजूद है जिसके बूते राज्य अपने नागरिको के बारे में सूचनाएँ जुटा सकते है ।
  • सूचनाओं के माध्यम से राज्य बेहतर तरीके से काम कर सकते है ।
  • इसके कारण उनकी काम करने की क्षमता बढ़ी है ।

नकारात्मक प्रभाव

  • वैश्वीकरण के कारण राज्य की क्षमता में कमी आई है ।
  • कल्याणकारी राज्य की धारणा का स्थान अब न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राज्य ने ले लिया है ।
  • अब राज्य सिर्फ कुछेक कार्यो तक सीमित है जैसे कानून व्यवस्था बनाए रखना और नागरिको की सुरक्षा ।
  • लोक कल्याणकारी राज्य की जगह अब बाजार ही आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का प्रमुख निर्धारक है ।
  • वैश्वीकरण के कारण राज्यों के अपने दम पर फैसला लेने की क्षमता में कमी आई है ।
यह भी पढ़ें ……….राष्ट्र निर्माण की चौनोतियाँ 

भारत और वैश्वीकरण

  • विश्व में तथा भारत में वैश्वीकरण का इतिहास बहुत पुराना रहा है
  • भारत बनी बनाई वस्तुओं का आयातक और कच्चे माल का निर्यातक था
  • भारत ने आजादी के बाद से यह फैसला लिया की हम दुसरे देशों पर निर्भरता ख़त्म करेंगे
  • भारत ने संरक्षणवाद की नीति अपनाई और अपने देश के उत्पादकों को प्रोत्साहन देने का प्रयास किया
  • इससे कुछ क्षेत्रों में तरक्की हुई तो कुछ क्षेत्र डूब गए.भारत बाकी देशों की तुलना में पिछड़ गया
  • 1991 में वित्तीय संकट से उबरने के लिए नई आर्थिक नीति अपनाई गई

वैश्वीकरण का विरोध

Globalization in Hindi: पूरी दुनिया में वैश्वीकरण की आलोचना हो रही है.वामपंथी और दक्षिणपंथी दोनों तरह के लोगो ने इसका विरोध किया है.वामपंथी कहते है – मौजूदा वैश्वीकरण पूँजीवाद की एक ख़ास व्यवस्था है.
यह धनी को धनी और गरीब को और गरीब बना रही है.राज्य कमजोर हो रहा है.
राज्य अब गरीबों के हितों की रक्षा नहीं कर पाता है.वैश्वीकरण के दक्षिणपंथी आलोचक कहते हैं.
इससे राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक प्रभाव पर बुरे पड़ रहे हैं.
1) 
वैश्वीकरण से बुरे सांस्कृतिक प्रभाव पड़े है.
2) 
लोग अपनी सदियों पुरानी संस्कृति को खो रहे है.
3) 
वैश्वीकरण विरोधी आन्दोलन सिर्फ भारत में नहीं बल्कि पूरे विश्व में हो रहे है.
4) 
वैश्वीकरण के विरोध के लिए एक मंच WSF बनाया गया है.
5) इस मंच के तहत मानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यवारंवादी, मजदूर, युवा, महिला कार्यकर्त्ता एकजुट हुए है.

वैश्वीकरण के गुण/लाभ अथवा महत्व

Globalization in Hindi: वैश्वीकरण एक विश्वव्यापी धारणा है, जिससे न केवल भारत वरन् सम्पूर्ण विश्व लाभान्वित हो रहा है। वैश्वीकरण के गुण/लाभ इस प्रकार हैं–

  1. नवीन तकनीकों का आगमन
    वैश्वीकरण द्वारा विदेशी पूँजी के निवेश मे वृद्धि होती है एवं नवीन तकनीकों का आगमन होता हैं, जिससे श्रम की उत्पादकता एवं उत्पाद की किस्म में सुधार होता है।
  2. जीवन-स्तर में वृद्धि
    वैश्वीकरण से जीवन-स्तर मे वृद्धि होती है, क्योंकि उपभोक्ता को पर्याप्त मात्रा मे उत्तम किस्म की वस्तुयें न्यूनतम मूल्य पर मिल जाती हैं।
  3. विदेशी विनियोजन

वैश्वीकरण के विकसित राष्ट्र अपनी अतिरिक्त पूँजी अर्द्धविकसित एवं विकासशील राष्ट्रों  मे विनियोग करते है। विदेशी पूँजी के आगमन से इन देशों का विनियोग बड़ी मात्रा मे हुआ है।

  1. विदेशों मे रोजगार के अवसर

वैश्वीकरण से एक देश के लोग दूसरे देशों मे रोजगार प्राप्त करने मे सक्षम होते हैं।

  1. विदेशी व्यापार मे वृध्दि

आयात-निर्यात पर लगे अनावश्यक प्रतिबन्ध समाप्त हो जाते है तथा संरक्षण नीति समाप्त हो जाने से विदेशी व्यापार मे पर्याप्त वृद्धि होती है।

  1. अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग मे वृध्दि

जब वैश्वीकरण अपनाया जाता है, तो आर्थिक सम्बंधों मे तो सुधार होता ही है, साथ ही राजनीतिक सम्बन्ध भी सुधरते है। आज वैश्वीकरण के कारण भारत के अमेरिका, जर्मनी एवं अन्य यूरोपीय देशों से सम्बन्ध सुधर रहे हैं।

7.तीव्र आर्थिक विकास 

वैश्वीकरण से प्रत्येक राष्ट्र को अन्य राष्ट्रों से तकनीकी ज्ञान के आदान-प्रदान का अवसर मिलता है तथा विदेशी पूँजी का विनियोग बढ़ता है। इससे अर्थव्यवस्था का तेजी से विकास होता है।

  1. स्वस्थ औद्योगिक विकास

वैश्वीकरण से औद्योगिक क्षेत्र मे कई शासकीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय बाधायें दूर हो जाती है तथा विदेशी प्रतियोगिता का सामना करने के लिए देशी उद्योग अपने को सक्षम बनाने का प्रयास करते है। इससे देश मे स्वाथ्य औद्योगिक विकास होता है। रूग्ण एवं घाटे मे चलने वाली इकाइयां भी अपना सुधार करने का प्रयास करती है।

  1. विदेशी मुद्रा कोष मे वृद्धि

जिस राष्ट्र का उत्पादन श्रेष्ठ किस्म का, पर्याप्त मात्रा मे होता है, उसका निर्यात व्यापार तेजी से बढ़ता है। परिणामस्वरूप विदेशी मुद्रा कोष मे वृद्धि होती है एवं भुगतान सन्तुलन की समस्या का निदान होता है।

  1. उत्पादकता मे वृद्धि

अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के कारण देश मे अपनी वस्तुओं की मांग बनाये रखने एवं निर्यात मे सक्षम बनने के लिए देशी उद्योग अपनी उत्पादकता एवं गुणवत्ता मे सुधार लाते है। भारत मे इलेक्ट्रॉनिक उद्योग, कार उद्योग, टेक्सटाइल उद्योग ने इस दिशा मे प्रभावी सुधार किया है।

वैश्वीकरण के दोष (हानियाँ) एवं दुष्परिणाम

यद्यपि वर्तमान समय मे प्रत्येक राष्ट्र वैश्वीकरण को अपना रहा है एवं इसका गुणगान कर रहा है, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम अच्छे नही होगें। वैश्वीकरण के दोष अथवा दुष्प्रभाव इस प्रकार हैं—

1.आर्थिक असन्तुलन

 विश्व मे आर्थिक अन्तुलन पैदा हो रहा है। गरीब राष्ट्र अधिक गरीब एवं अमीर राष्ट्र अधिक सम्पन्न हो रहे हैं। इसी प्रकार देश मे भी गरीब एवं अमीर व्यक्तियों के बीच विषमता बढ़ रही हैं।

2.देशी उधोगों का पतन

 स्थानीय उधोग धीरे-धीरे बन्द होते जा रहे हैं। विदेशी माल की प्रतियोगिता के सामने देशी उधोग टिक नही पाते हैं। उनका माल बिक नही पाता है या घाटे मे बेचना पड़ता है। यही कारण है कि देश मे कई उधोग बन्द हो गये है या बन्द होने की कगार पर हैं।

3.बहुराष्ट्रीय कंपनियों का प्रभुत्व

विश्व के औधोगिक जगत पर  (मल्टी नेशनल) का प्रभुत्व एवं शिकंजा बढ़ता जा रहा है। ये बड़ी-बड़ी कम्पनियां स्थानीय उधोगों को निगलती जा रही है एवं स्थानीय उधोग या तो बन्द हो रहे है या इनके अधीन जा रहे है जैसे-कोका कोला कम्पनी ने भारत के थम्सअप, लिम्का के उत्पादन को अपने अधीन कर लिया हैं।

  1. बेरोजगारी में वृद्धि
    विदेशी माल मुक्त रूप से भारतीय बाजारों मे प्रवेश कर गया है। परिणामस्वरूप स्थानीय उधोग बन्द हो रहे है एवं बेरोजगारी (बेकारी) बढ़ रही हैं। देश मे औधोगिक श्रमिकों की संख्या घट रही हैं।
  2. राष्ट्र प्रेम की भावना को आघात

वैश्वीकरण राष्ट्र प्रेम एवं स्वदेश की भावना को आघात पहुँचा रहा है। लोग विदेशी वस्तुओं का उपभोग करना शान समझते है एवं देशी वस्तुओं को घटिया एवं तिरस्कार योग समझते हैं।

6.अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं का दबाव

अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व, गैट आदि अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं के दबाव में सरकारे काम कर रही हैं। हितों की अवहेलना करके सरकार को इनकी शर्तें माननी पड़ती हैं। भारत जैसे राष्ट्र को अपनी आर्थिक, वाणिज्यिक एवं वित्तीय नीतायां इन संस्थाओं के निर्देशों के अनुसार बनानी पड़ रही हैं।

7.आर्थिक परतन्त्रता

 वैश्वीकरण अर्द्धविकसित एवं पिछड़े हुए राष्ट्रों को विकसित राष्ट्रों का गुलाम बना रहा है। इसके कारण पिछड़े हुए राष्ट्र अमेरिका जैसे विकसित राष्ट्रों की हर उचित-अनुचित बात को बनाने के लिए मजबूर हो रहे है।

8.घातक अन्तर्राष्ट्रीय कानून

अन्तर्राष्ट्रीय पेटेन्ट कानून, वित्तीय कानून, मानव सम्पदा अधिकार कानूनों का दुरूपयोग किया जा रहा है। पेटेन्ट की आड़ मे बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ शोषण कर रही है। कई परम्परागत उत्पादन पेटेन्ट के अंतर्गत आने के कारण महँगे हो गए है।

 9.विलासिता के उपयोग मे वृद्धि

पाश्चात्य राष्ट्रों मे प्रचलित विलासिता के साधन, वस्तुएं एवं अश्लील साहित्य का भारतीय बाजारों मे निर्बाध प्रवेश हो गया है। इससे सांस्कृतिक पतन का खतरा बढ़ गया है एवं अकर्मण्यता बढ़ रही है।

इस प्रकार वैश्वीकरण एक मीठा जहर है, जो अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे गला रहा है, और अमें आर्थिक परतन्त्रता की ओर ले जा रहा है।

Leave a Comment