Class 11 Political Science chapter 5 || विधायिका notes in hindi

Class 11 Political Science विधायिका

भारत की विधायिका क्या है?

विधायिका  संसद को कहते हैं, जिसमें दोनों सदनों उच्च सदन राज्यसभा और निम्न सदन लोकसभा के साथ–साथ राष्ट्रपति को भी सम्मिलित किया जाता हैं।

सरकार के तीन अंग होते है

  • विधायिका
  • कार्यपालिका
  • न्यायपालिका

संविधान के अनुच्छेद 76 के अनुसार – भारतीय संसद में दोनों सदनों के साथ – साथ राष्ट्रपति को भी सम्मिलित किया जाता हैं।

विधायिका

  • संघ की विधायिकाको संसद कहा जाता है , यह राष्ट्रपति और दो सदन , जो राज्य सभा  (राज्य सभा – उच्च सदन और राज्यों का सदन) और (लोक सभा – जनता का सदन, लोगों का सदन) से बनती है ।
  • राज्यों की विधायिका को विधानमंडल या विधानसभा कहते हैं ।
  • विधायिका का चुनाव जनता द्वारा होता है । इसलिए यह जनता का प्रतिनिधी बनकर कानून का निर्माण करता है ।
  • इसकीबहस विरोध , प्रदर्शन , बहिर्गमन , सर्वसम्मति , सरोकार और सहयोग आदि अत्यंत जीवन्त बनाए रखती है ।
  • भारत में संसदीय शासन प्रणाली अपनायी गयी है जो कि ब्रिटिश प्रणाली पर आधारित हैं ।

विधायिका दो प्रकार की होती है

  • केंद्र में संसद
  • राज्य में राज्य विधानमंडल

 भारतीय संसद के दो भाग है-

लोकसभा

  • भारतीय संसद केअस्थायी सदन को लोक सभा कहते है ।
  • लोक सभा का कार्यकाल 5 वर्षका होता है|
  • लोकसभा की अधिकतम संख्या552 निर्धारित की गई है।
  • इनमें से 530 राज्यों के प्रतिनिधि, 20 संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधि|
  • लेकिन वर्तमान मेंलोकसभा में 545 सदस्य है |

राज्यसभा  

  • राज्यसभा स्थायी होता है|
  • इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष होता है ।
  • संविधान के अनुच्छेद 80 में राज्य सभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 निर्धारित की गई है|
  • जिनमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामनिर्देशित किए जाते हैं|
  • और 238 सदस्य राज्यों के और संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधि होते हैं।
  • वर्तमान राज्यसभा में 245 सदस्य हैं। 233 सदस्यों को विधानसभा सदस्यों द्वारा चुना जाता है और 12 राष्ट्रपति द्वारा कला, साहित्य, ज्ञान, और सेवाओं में उनके योगदान के लिए नामित किए जाते हैं।

संसद में दो सदनों की आवश्यकता

  • विविधताओं से पूर्ण देश प्राय : द्वि – सदनात्मक राष्ट्रिय विधायिका चाहते है ताकि समाज के सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व दिया जा सके ।
  • इसका एक अन्य लाभ यह है कि एक सदन द्वारा लिए गए प्रत्येक निर्णय पर दुसरे सदन में पुनर्विचार हो जाता है ।
  • प्रत्येक विधेयक और निति पर दो बार विचार होता है ।
  • एक सदन कोई भी निर्णय जल्दबाजी में थोप नहीं पाता है ।

संसद के प्रमुख कार्य

  • कानून बनाना ।
  • कार्यपालिका पर नियंत्रण ।
  • वित्तीय कार्यः बजट पारित करना|
  • संविधान संशोधन ।
  • निर्वाचन संबंधी कार्य ।
  • न्यायिक कार्य ।
  • प्रतिनिधित्व ।
  • बहस का मंच ।
  • विदेश नीति पर नियन्त्रण।
  • विचारशील कार्य।

 द्वि सदनात्मक विधायिका वाले राज्य 

  • बिहार
  • आंध्र प्रदेश
  • तेलंगाना
  • उत्तर प्रदेश
  • महाराष्ट्र
  • कर्नाटक

लोकसभा

  • लोकसभा भारतीय संसद का निम्न सदन है।
  • इसमे अधिकतम550 सदस्य हो सकते है।
  • वर्तमान में लोकसभा के 543 निर्वाचित सदस्य है|
  • लोकसभा के सदस्यों का चुनाव जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता हैं|
  • इसका कार्यकाल 5 वर्ष निर्धारित है|
  • परंतु उसे समय से पहले भी भंग किया जा सकता है।
  • भारत में संसदीय शासन प्रणाली होने के कारण लोकसभा अधिक शक्तिशाली है|
  • क्योंकि इसके सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष रूप से होता है।
  • इसेकार्यपालिका को हटाने को शक्ति भी प्राप्त है।

लोकसभा का सदस्य बनने की योग्यताएँ

  • भारत का नागरिक।
  • आयु 25 वर्ष।
  • पागल व दिवालिया न हो।
  • किसी लाभप्रद सरकारी पद पर न हो।

लोकसभा की विशेष शक्तियाँ

  • संध सूची और समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बनाती है । धन विधेयकों और समान्य विधेयकों को प्रस्तुत और पारित करती है ।
  • कर – प्रस्तावों , बजट और वार्षिक वित्तीय वक्तव्यों को स्वीकृति देती है ।
  • प्रश्न पूछ , पूरक प्रश्न पूछ कर , प्रस्ताव लाकर और अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से कार्यपालिका को नियंत्रण करती है ।
  • लोकसभा संविधान में संशोधन का कार्य करती है ।
  • आपातकाल की घोषणा को स्वीकृति देती है ।
  • राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करती है और उन्हें और सर्वोच्य न्यायलय के न्यायधीशों को हटा सकती है ।
  • समिति और आयोगों का गठन करती है और उनके प्रतिवेदन पर विचार करती है ।
  • धन विधेयक केवल लोकसभा में में ही प्रस्तुत किये जा सकते है। लोकसभा के पास राज्यसभा से अधिक शक्तियाँ है । राज्यसभा को जनता नहीं बल्कि विधायक चुनते है ।
  • संविधान द्वारा अपनायी गई लोकतान्त्रिक व्यवस्था में जनता के पास अंतिम शक्ति होती है । यही कारण है कि संविधान ने निर्वाचित प्रतिनिधियों ( लोकसभा ) के पास ही सरकार को हटाने और वित् पर नियंत्रण रखने की शक्ति दी है ।

राज्यसभा

  • भारतीय संसद का ऊपरी सदन राज्यसभा हैं|
  • इसके अधिकतम 250 सदस्य होते है|
  • जिनमें12 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत|
  • 238 राज्योंद्वारा अप्रत्यक्ष चुनाव द्वारा निर्वाचित होते हैं।
  • इनका निर्वाचन6 वर्ष के लिए किया जाता है।
  • राज्य सभा एक स्थायी सदन है।
  • प्रत्येक2 वर्ष बाद इसमें एक तिहाई सदस्यों का चुनाव होता है।
  • मनोनीत सदस्य साहित्य, विज्ञान, कला, समाजसेवा , खेलआदि क्षेत्रों से लिये जाते है।

राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यताएँ

  • वह भारत का नागरिक हो।
  • 30 वर्ष की आयु का हो।
  • इनका निर्वाचन एकल संक्रमणीय अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली से होता है|
  • 1951 के जन – प्रतिनिधि कानून के अनुसार राज्यसभा या लोक सभा के उम्मीदवार का नाम किसी न किसी संसदीय निर्वाचक क्षेत्र में पंजीकृत होना आवश्यक है|

राज्यसभा की शक्तियाँ

  • सामान्य विधेयकों पर विचार कर उन्हें पारित करती है और धन विधेयकों में संशोधन प्रस्तावित करती है।
  • संवैधानिक संशोधनों को पारित करती है।
  • प्रश्न पूछ कर तथा संकल्प और प्रस्ताव प्रस्तुत करके कार्यपालिका पर नियंत्रण करती है ।
  • राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेती है और उन्हें और सर्वोच्य न्यायलय के न्यायधीशों को हटा सकती है।
  • उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव केवल राज्यसभा में ही लाया जा सकता है।
  • यह संसद को राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार दे सकती है।
  • यह राज्यों की हितों (शक्तियों) की रक्षा करती है।

वित्तिय शक्तियाँ

  • वित्त विधेयक पर राज्यसभा 14 दिन तक विचार कर सकता है।
  • संविधान संशोधन संबंधी शक्तियां।
  • प्रशासनिक शक्तियां – मंत्रियों से उनके विभागों के संबंध में प्रश्न राज्यसभा में जो पूछे जा सकते है।
  • अन्य शक्तियाँ चुनाव , सहभियोग , आपात स्थिति की घोषणा न्यायधीश को उसके पद से हटाया जाना इत्यादि पर दोनों सदनों पर अनुमति जरूरी है।

कानून बनाने की प्रक्रिया

प्रस्तावित कानून के प्रारूप को विधेयक कहा जाता है। विधेयक प्रस्तावित कानून का प्रारूप अनुच्छेद 107-112 कानून निर्माण।

विधेयक के दो प्रकार होते है

  • सरकारी विधेयक( जो मंत्रियों द्वारा पेश किए जाते है)
  • धन विधेयक |
  • साधारण विधेयक |
  • संविधान संशोधन विधेयक |
  • गैर सरकारी विधेयक(संसद का अन्य कोई सदस्य पेश करता है) |
  • साधारण विधेयक |
  • संविधान संशोधन विधेयक |

सरकारी विधेयक क्या होता है?

वह विधेयक जिसे सरकार का कोई मंत्री संसद में पेश / प्रस्तुत करता है, सरकारी विधेयक कहलाता है।

साधारण विधेयक –  धन या वित्तीय विधेयक को छोड़कर सभी सरकारी विधेयक साधारण विधेयक होते हैं । जैसे – जनता से जुडी मामलों के लिए कोई नया कानून बनाना हो या संविधान में कोई संसोधन करना हो ।

धन या वित्तीय विधेयक –  वह विधेयक जो किसी नए कर , छुट या अन्य वित्तीय लेनदेन से संबंधित हो या किसी कार्य के लिए धन मुहैया कराना हो ऐसे विधेयक को वितीय विधेयक कहते है ।

साधारण विधेयक दो प्रकार के होते है-

  • समान्य विधेयक
  • संविधान संसोधन विधेयक

गैरसरकारी विधेयक

वह विधेयक जिसे मंत्री के अलावा संसद का कोई अन्य सदस्य संसद में प्रस्तुत करे तो उसे निजी या गैर सरकारी विधेयक कहा है।

कानून बनाने की प्रक्रिया

  • प्रथम वाचन।
  • द्वितीय वाचन (समिति स्तर)
  • समिति की रिपार्ट पर चर्चा
  • तृतीय वाचन
  • दूसरे सदन में प्रक्रिया
  • राष्ट्रपति की स्वीकृति

संसदीय नियंत्रण के महत्वपूर्ण साधन

  • बहस और चर्चा – प्रश्न काल , शून्य काल , स्थगन प्रस्ताव ।
  • कानूनों की स्वीकृति या अस्वीकृति ।
  • वित्तीय नियंत्रण ।
  • अविश्वास प्रस्ताव , निन्दा प्रस्ताव ।

संसदीय समितियाँ

  • विभिन्न विधायी व दैनिक कार्यों के लिए समितियों का गठन संसदीय कामकाज का एक जरूरी पहलू है।
  • ये विभिन्न मामलों पर विचार विमर्श करती है|
  • प्रशासनिक कार्यों पर निगरानी रखती है।

 वित्तीय  समितियाँ

  • लोक लेखा समिति – भारत सरकार के विभिन्न विभागों का खर्च नियमानुसार हुआ है या नहीं ।
  • प्राकलन समिति –खर्च में किफायत किस तरह की जा सकती है ।
  • लोक उपक्रम –सरकारी उद्योगों की रिपोर्ट की जांच करती है कि उद्योग या व्यवसाय कुशलता पूर्वक चलाया जा रहे है या नहीं ।

महत्वपूर्ण विभागीय स्थायी समितियाँ

  • नियमन समिति ।
  • विशेषाधिकार समिति ।
  • कार्य मंत्रणा समिति ।
  • आश्वासन समिति ।

तदर्थ समितियाँ

  • विशिष्ट विषयों की जांच – पड़ताल करने तथा रिपोर्ट देने के लिए समय – समय पर गठन किया जाता है।
  • बौफोर्स समझौतों से संबंधित संयुक्त समिति।
  • समितियों द्वारा दिये गए सुझावो को संसद शायद ही नामंजूर करती है।

संसद स्वयं को किस प्रकार नियंत्रित करती है

  • संसद का सार्थक व अनुशासित होना ।
  • सदन का अध्यक्ष विधायिका की कार्यवाही के मामलों में सर्वोच्च अधिकारी होता है ।
  • दल बदल निरोधक कानून द्वारा1985 में 52 वां संशोधन किया गया।
  • 91 वें संविधान संशोधनद्वारा संशोधित किया गया ।
  • यदि कोई सदस्य अपने दल के नेतृत्व के आदेश के बावजूद – सदन में उपस्थित न हो या दल के निर्देश के विपरीत सदन में मतदान करें अथवा स्वेच्छा से दल की सदस्यता से त्यागपत्र दें उसे ‘ दलबदल ‘ कहा जाता है ।
  • अध्यक्ष उसे सदन की सदस्यता के अयोग्य ठहरा सकता है

 भारतीय संघात्मक सरकार

भारतीय संघात्मक सरकार में 28 राज्य 8 केंद्र शासित इकाईयों को मिलाकर भारत में संघीय शासन की स्थापना करती है । दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दर्जा दिया गया हैं ।

वर्तमान भारत के केंद्र शासित प्रदेश और उनकी राजधानी

क्रमांक केंद्र शासित प्रदेश के नाम राजधानी के नाम
1. अंडमान व नोकोबार द्वीप समूह पोर्ट ब्लेयर
2. दिल्ली नई दिल्ली
3. लक्षद्वीप कवरत्ती
4. दमन और दीव , दादरा और नगर हवेली दमन
5. चंडीगढ़ चंडीगढ़
6. पुदुचेरी पांडिचेरी
7. जम्मू और कश्मीर (गर्मी)श्रीनगर और (सर्दी)जम्मू
8. लद्दाख लेह

 

भारत के प्रत्येक राज्य में विधानमंडल की व्यवस्था एक समान नहीं है । कुछ राज्यों में एक सदनीय तथा कुछ राज्यों में द्वि – सदनीय व्यवस्था है ।

राज्यों में कानून निर्माण का कार्य विधानमंडलों को दिया गया है –

  • निम्न सदन को विधानसभा ।
  • उच्च सदन को विधान परिषद कहा जाता है ।

द्विसदनीय राज्य

  • विधान परिषद वाले छह राज्य:आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक।
  • वर्ष 2020 मेंआंध्र प्रदेश विधानसभा ने विधान परिषद को समाप्त करने का प्रस्ताव पारित किया। अंततः परिषद को समाप्त करने के लिये भारत की संसद द्वारा इस प्रस्ताव को मंज़ूरी दी जानी बाकी है।
  • वर्ष 2019 में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019 के माध्यम से जम्मू और कश्मीर विधान परिषद को समाप्त कर दिया गया।
  • अनुच्छेद 169 (गठन और उन्मूलन – संसदएक विधान परिषद को जहाँ यह पहले से मौजूद है का विघटन कर सकती है और जहाँ यह पहले से मौजूद नहीं है इसका गठन कर सकती है। यदि संबंधित  राज्य की विधानसभा इस संबंध में संकल्प पारित करे। इस तरह के किसी प्रस्ताव का राज्य विधानसभा द्वारा पूर्ण बहुमत से पारित होना आवश्यक होता है।

दलबदल

यदि कोई सदस्य अपने दल के नेतृत्व के आदेश के बावजूद सदन में उपस्थित न हो या दल के निर्देश के विपरीत सदन में मतदान करे अथवा स्वेच्छा से दल की सदस्यता दे दे तो उसे दलबदल कहते है ।

दलबदल निरोधक कानून

  • संविधान के52 वाँ संशोधन द्वारा सन 1985 में एक कानून बनाया गया जिसके द्वारा सदन का अध्यक्ष अपने सदस्यों के व्यवहार को नियंत्रित करता है । इसे दलबदल निरोधक कानून कहते है ।
  • यदि यह सिद्ध हो जाये कि कोई सदस्य ने दलबदल किया है तो उसकी सदन की सदस्यता समाप्त हो जाती है ।
  • ऐसे दलबदलू को किसी भी राजनितिक पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाता है ।

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