class 11 political science chapter 2 freedom notes in Hindi

Class 11 Political Science Chapter 2 स्वतंत्रता Freedom Notes in Hindi

स्वतंत्रता क्या है ?

स्वतंत्रता का अंग्रेजी शब्द लिबर्टीलेटिन भाषा के “लिबर” से बना है, जिसका अर्थ है- “बंधनों का अभाव” होता है|

सामान्यत- स्वतंत्रता को प्रतिबंधों तथा सीमाओं के अभाव के रुप में माना जाता है। इसे मानव के “जो चाहे सो करे” के अधिकार का पर्यायवाची समझा जाता है। 

दूसरे शब्दों में, स्वतंत्रता का अर्थ है – मानव को उस कार्य को करने का अधिकार जो वह करने के योग्य है। व्यक्ति की आत्म अभिव्यक्ति की योग्यता का विस्तार करना तथा ऐसी परिस्थितियों का होना जिसमें लोग अपनी प्रतिभा का विकास कर सकें। 

स्वतंत्रता के प्रकार

प्राकृतिक स्वतंत्रता

  • व्यक्ति को अपनी इच्छानुसार सब कुछ करने की पूर्ण स्वतंत्रता।
  • मानव के कार्यों पर किसी भी प्रकार का बंधन न हो।

व्यक्तिगत स्वतंत्रता

  • निजी मामलों में विकल्प की स्वतंत्रता।
  • जीवन की सुरक्षा।
  • विचार, अभिव्यक्ति तथा आस्था की स्वतंत्रता

राजनीतिक स्वतंत्रता

  • राज्य के कार्यों में भाग लेने का अधिकार।
  • मतदान का अधिकार।
  • स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव लड़ने का अधिकार।
  • शासन की नीतियों तथा कार्यों का समर्थन अथवा विरोध करने का अधिकार

आर्थिक अधिकार  

  • कोई लाभकारी पद पाने या कारोबार करने का अधिकार।
  • अभाव से मुक्ति का अधिकार।
  • वस्तुओं के उत्पादन तथा वितरण करने का अधिकार

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मुद्दा अहस्तक्षेप के लघुत्तम क्षेत्र से जुड़ा है।
  • जान स्टुअर्ट मिल ने अपनी पुस्तक आन लिबर्टी में सबल तर्क रखते हुए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उन्हें भी होनी चाहिए जिनके विचार आज की स्थितियों में गलत और भ्रामक लग रहे हो।

स्वतंत्रता के आयाम

स्वतंत्रता के दो आयाम है

नकारात्मक स्वतंत्रता

नकरात्मक भाव में इसका यह निहितार्थ है कि जहां तक संभव हो प्रतिबंधों का अभाव हो। क्योंकि प्रतिबंध व्यक्तिगत स्वतंत्रता में कटौती करते है। इसलिए इच्छानुसार कार्य करने की छूट हो और व्यक्ति के कार्यों पर किसी प्रकार का प्रतिबंध न हो। 

नकारात्मक स्वतंत्रता समर्थक है – जॉन स्टुअर्ट मिल और हेयक आदि। 

सकारात्मक स्वतंत्रता

नियमों व कानूनों के अंतर्गत ऐसी व्यवस्था जिससे मनुष्य अपना विकास कर सकें। यदि राज्य सार्वजनिक कल्याण का लक्ष्य प्राप्त करना चाहता है तो प्रतिबन्ध अनिवार्य है। मानव समाज मे रहता है, उसके कार्य अन्य लोगों की स्वतंत्रता को प्रभावित करते है। इसलिए इसका जीवन बंधनों द्वारा विनियमित होना चाहिए।तर्कयुक्त बंधनों की उपस्थिति। सकारात्मक स्वतंत्रता समर्थक है टी. एच. ग्रीन व बर्लिन।

स्वतंत्रता सम्बन्धी जे. एस. मिल के विचार

  • व्यक्ति के कार्य
  • स्वसबद्ध कार्य

परसंबद्ध कार्य

स्वसबद्ध कार्य – वे कार्य जिनके प्रभाव केवल इन कार्यों को करने वाले व्यक्ति पर पडते है। इन कार्यों व निर्णयों के मामले में राज्य या किसी बाहरी सत्ता का कोई हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है|

परसंबद्ध कार्य – वे कार्य जो कर्ता के अलावा बाकी लोगों पर भी प्रभाव डालते है। ऐसे कार्य जो दूसरे को नुकसान पहुंचा सकते है उन पर राज्य बाहरी प्रतिबंध लगा सकता है।

हानि का सिद्धांत

परसंबद्ध कार्यों से किसी दूसरे को हानि हो सकती है इस कारण से उस पर औचित्यपूर्ण प्रतिबंध लगाया जा सकता है। राज्य का किसी व्यक्ति के कार्यों व इच्छा के खिलाफ प्रतिबंध लगाने का उद्देश्य किसी अन्य को हानि से बचाना होता हैं।

स्वतंत्रता की रक्षा के उपाय

  • लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था
  • मौलिक अधिकरों का प्रावधान
  • कानून का शासन
  • न्यायपालिका की स्वतंत्रता
  • शक्तियों का विकेन्द्रीकरण
  • शक्तिशाली विरोधी दल
  • आर्थिक समानता
  • विशेषाधिकार न होना
  • जागरूक जनमत

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