Class 11 political science chapter 1 notes in Hindi | संविधान- क्यों और कैसे 

Class 11 political science chapter 1 notes in Hindi

संविधान- क्यों और कैसे 

प्रश्न 1. भारत की संविधान सभा का प्रथम अधिवेशन कब शुरू हुआ?

  • 10 जून 1946
  • 19 नवम्बर , 1947
  • 9 दिसम्बर , 1946
  • 30 जून , 1949

उत्तर 9 दिसम्बर, 1946 

प्रश्न 2. संविधान सभा का अध्यक्ष कौन थे ?

  • डॉ . राजेन्द्र प्रसाद
  • डा ० बी ० आर ० अम्बेदकर
  • जवाहरलाल नेहरू
  • के ० एम ० मुन्शी

उत्तर – डॉ . राजेन्द्र प्रसाद

प्रश्न 3. भारतीय मूल संविधान में कुल कितने अनुच्छेद थे?

  • 390
  • 395
  • 405
  • 450

उत्तर 395

प्रश्न 4. संविधान सभा के लिए चुनाव कब सम्पन्न हुआ?

  • 1945 में
  • 1946 में
  • 1947 में
  • 1948 में

उत्तर – 1946 में 

प्रश्न 5.  भारतीय संविधान कब लागू हुआ?

  • 15 अगस्त, 1947
  • दिसम्बर, 1946
  • 26 नवम्बर, 1949
  • 26 जनवरी, 1950

उत्तर – 26 जनवरी, 1950

प्रश्न 6.  भारतीय संविधान कब बनकर तैयार हुआ?

  • 26 नवंबर 1949
  • 26 जनवरी 1950
  • 26 दिसंबर 1949
  • इनमे से कोई नही

उत्तर – 26 नवंबर 1949

प्रश्न 7. किस दल ने संविधान सभा की बैठक का बहिष्कार किया?

  • मुस्लिम लीग
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
  • हिन्दू महासभा
  • साम्यवादी दल

उत्तर – मुस्लिम लीग

प्रश्न 8.  किस देश का संविधान अलिखित है?

  • भारत
  • फ्रांस
  • ब्रिटेन
  • यू ० एस ० ए ०

उत्तर ब्रिटेन

प्रश्न 9. संविधान की प्रस्तावना को भारत की राजनीतिक जन्म कुण्डली किसने कहा?

  • आचार्य कृपलानी
  • जवाहरलाल नेहरू
  • डॉ अम्बेदकर
  • के ० एम ० मुन्शी

उत्तर – के ० एम ० मुन्शी 

प्रश्न 10.  भारतीय संविधान किस प्रकार का संविधान है?

  • कठोर संविधान
  • प्रस्तावित और अलिखित
  • लिखित व विस्तृत
  • गरीब विरोधी

उत्तर –  लिखित व विस्तृत

प्रश्न 11. किसने कहा कि भारतीय संविधान वकीलों का स्वर्ग है?

  • प्रो ० के ० बी ० राव
  • महात्मा गाँधी
  • प्रो ० आइवर जेनिंग्स
  • जवाहरलाल नेहरू

उत्तर – प्रो ० आइवर जेनिंग्स 

प्रश्न 12.  किसने संविधान सभा में 13 दिसम्बर 1946 को उद्देश्य प्रस्ताव पेश की

  • डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
  • प्रो. के. टी. शाह
  • पं. जवाहर लाल नेहरू
  • डॉ. बी. आर. अम्बेडकर

उत्तर पं. जवाहर लाल नेहरू 

प्रश्न 13. डॉ ० अम्बेदकर किस समिति के अध्यक्ष थे?

  • प्रारूप समिति
  • संघीय शक्ति समिति
  • संघीय संविधान समित
  • प्रान्तीय संविधान समिति

उत्तर – प्रारूप समिति

प्रश्न 14.  भारतीय संविधान सभा के उद्घाटन अधिवेशन की अध्यक्षता किसने की थी?

  • जवाहर लाल नेहरू
  • डॉ. भीम राव अम्बेडकर
  • डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा
  • सी. राजगोपालाचारी

उत्तर डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा 

प्रश्न 15.  संविधान में न्यायिक समीक्षा की व्यवस्था किस संविधान से ली गई है?

  • अमेरिका
  • ब्रिटेन
  • कनाडा
  • आयरलैण्ड

उत्तर अमेरिका

प्रश्न 16.  संविधान सभा के द्वारा संविधान निर्माण में कितना समय लगा?

  • लगभग एक वर्ष
  • 2 वर्ष 11 माह 18 दिन
  • लगभग दो वर्ष
  • लगभग चार वर्ष

उत्तर – 2 वर्ष 11 माह 18 दिन

प्रश्न 17.  हमे संविधान की आवश्यकता क्यों होती है?

  • देश में शासन व्यवस्था चलाने के लिए
  • तालमेल बनाने के लिए
  • कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए
  • सरकार की शक्तियों का दुरुपयोग रोकने के लिए
  • उपरोक्त सभी

उत्तर – उपरोक्त सभी

प्रश्न 18. भारतीय संविधान किसने बनाया था?

  • भारत की जनता ने
  • संविधान सभा ने
  • अंग्रेजों ने
  • अधिकारियों ने

उत्तर – संविधान सभा ने

प्रश्न 19. भारतीय मूल संविधान में कितने भाग थे?

  • 20
  • 22
  • 25
  • 27

उत्तर 22

संविधान निर्माण:परीक्षा उपयोगी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. इनमें से कौन सा संविधान का कार्य नहीं है?

(क) यह नागरिकों के अधिकार की गारंटी देता है।

(ख) यह शासन की विभिन्न शाखाओं की शक्तियों के अलग-अलग क्षेत्र का रेखांकन करता है।

(ग) यह सुनिश्चित करता है कि सत्ता में अच्छे लोग आएं।

(घ) यह कुछ साझे मूल्यों की अभिव्यक्ति करता है। 

उत्तर- (ग) यह सुनिश्चित करता है कि सत्ता में अच्छे लोग आए।

प्रश्न 2.  निम्नलिखित में से कौन सा कथन इस बात की एक बेहतर दलील है कि संविधान की प्रमाणिकता सांसद से ज्यादा है

(क)   संसद के अस्तित्व में आने से कहीं पहले संविधान बनाया जा चुका था । 

(ख) संविधान के निर्माण सांसद के सदस्यों से कहीं ज्यादा बड़े नेता थे  

(ग) संविधान ही यह बताता है कि संसद कैसे बनाई जाए और इसे कौन-कौन सी शक्तियां प्राप्त होंगी

(घ) संसद संविधान का संशोधन नहीं कर सकती।

उत्तर () संविधान ही यह बताता है कि संसद कैसे बनाई जाए और इसे कौन-कौन सी शक्तियां प्राप्त होंगी

प्रश्न 3. बताएं कि संविधान के बारे में निम्नलिखित कथन सही है या गलत?

(क) सरकार के गठन और उसकी शक्तियों के बारे में संविधान एक लिखित दस्तावेज है।

(ख) संविधान सिर्फ लोकतांत्रिक देशों में होता है और इसकी जरूरत ऐसे ही देशों में होती है

(ग) संविधान एक कानूनी दस्तावेज है और आदर्शों तथा मूल्यों से इसका कोई सरोकार नहीं।

(घ) संविधान एक नागरिक को नई पहचान देता है।

उत्तर- (क) सही, (ख) गलत, (ग) गलत ,(घ) सही

प्रश्न 4. बताएं कि भारतीय संविधान के निर्माण के बारे में निम्नलिखित अनुमान सही हैं या नहीं? अपने उत्तर का कारण बताएं।

(क) संविधान सभा में भारतीय जनता की नुमाइंदगी नहीं हुई। इसका निर्वाचन सभी नागरिकों द्वारा नहीं हुआ था।

(ख) संविधान बनाने की प्रक्रिया में कोई बड़ा फैसला नहीं लिया गया क्योंकि उस समय नेताओं के बीच संविधान की बुनियादी रुपरेखा के बारे में आम सहमति थी।

(ग) संविधान में कोई मौलिकता नहीं है, क्योंकि का दिखा सकता दूसरे देशों से लिया गया है।

उत्तर (क) उक्त अनुमान सही नहीं है। हालांकि संविधान सभा का चुनाव सभी नागरिकों द्वारा नहीं किया गया, लेकिन इसके बावजूद भी संविधान सभा भारतीयों का प्रतिनिधित्व करती थी। संविधान सभा ने भारत के जनसाधारण के समस्त वर्गों क्षेत्रों तथा धर्मों के प्रतिनिधि थे। अगर वयस्क मताधिकार के आधार पर संविधान सभा का निर्वाचन किया जाता तो भी प्राय: वही लोग चुने जाते जो संविधान सभा के सदस्य थे।

(ख) उक्त अनुमान भी सही नहीं है।सर्वविदित है कि  संविधान सभा में ज्यादातर सिद्धांतों एवं प्रावधानों पर अत्याधिक वाद-विवाद के पश्चात ही आम सहमति हुई थी तथा उसके बाद ही कोई फैसला लिया गया था। 

(ग) उक्त अनुमान भी सही नहीं है । हमें मौलिक संविधान के स्थान पर ऐसे संविधान की परमआवश्यकता थी जो तत्कालीन भारतीय समाज के आदर्शों एवं मूल्यों के अनुरूप हो। भारतीय संविधान के अधिकांश अनुच्छेद भारतीय शासन अधिनियम 1935 से लिए गए । यह अधिनियम  चूँकि  हमारे देश में पहले से ही लागू था तथा हमारे नेतृत्व कर्ताओं को इसका पर्याप्त अनुभव था । इसी प्रकार भारतीय संविधान ने स्वर में विश्व के विभिन्न देशों के संविधान के अनेक सिद्धांतों एवं प्रावधानों को ग्रहण तो किया गया लेकिन उन्हें भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल संशोधित करके ही अपनाया गया।

प्रश्न 5. भारतीय संविधान के बारे में निम्नलिखित प्रत्येक निष्कर्ष की पुष्टि में दे।

(क) संविधान का निर्माण विश्वसनीय नेताओं द्वारा हुआ। इसके लिए जनता के मन में आदर था।

(ख) संविधान ने शक्तियों का बंटवारा इस तरह किया कि उसने उलट-फेर मुश्किल है।

(ग) संविधान जनता की आशाओं और आकांक्षाओं का केंद्र है।

उत्तर- (क) (1) हमारे संविधान शिल्पी अत्याधिक विद्वान थे। भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे जो आगे चलकर भारतीय गणतंत्र के पहले राष्ट्रपति भी बने।

(2) पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा में उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया तथा वे ही बाद में भारत के प्रधानमंत्री भी बने । प्रारूप समिति के “अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर” को आज भी भारतीय जनमानस भारी सम्मान देता है।

(ख) (1) भारतीय संविधान द्वारा शासन की शक्तियों का विभाजन व्यवस्थापिका, कार्यपालिका ,तथा न्यायपालिका में इस प्रकार से किया गया कि कोई भी एक संस्था अपने बल पर संवैधानिक ढांचे को नष्ट नहीं कर सकती है।

(2) संघ एवं उसके इकाई राज्यों में संविधान द्वारा शक्तियों का विभाजन तीन सूचियों संघीय सूची, राज्य सूची, तथा समवर्ती सूची, के अंतर्गत किया गया  है ।यहां यह उल्लेखनीय है कि शक्तियों के विभाजन में किसी प्रकार का बदलाव करना कठिन प्रक्रिया है।

(ग) (1) अत्यंत संतुलित एवं न्याय पूर्ण भारतीय संविधान में समाज के विभिन्न वर्गों के व्यापक हितों के अनुरूप अनेक प्रावधान किए हैं। जहां छुआछूत को संविधान के अनुच्छेद 18 द्वारा समाप्त कर दिया गया है, वहीं व्यस्क मताधिकार, मूलाधिकार तथा राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के माध्यम से जनसाधारण की अपेक्षाओं तथा आकांक्षाओं को पूर्ण करने की व्यवस्था की गई है

(2) संविधान में लोक कल्याण को पर्याप्त महत्व दिया गया है तथा न्याय के बुनियादी अर्थात आधारभूत सिद्धांत का परिपालन किया गया है।

प्रश्न 6. किसी देश के लिए संविधान में शक्तियों और जिम्मेदारियों का साफ-साफ निर्धारण क्यों जरूरी है?इस तरह का निर्धारण ना हो ,तो क्या होगा?

उत्तर- किसी देश के लिए संविधान में शक्तियों और जिम्मेदारियों (उत्तरदायित्वो) का साफ-साफ निर्धारण इस वजह से जरूरी है कि कि संबंधित देश की शासन व्यवस्था सुचारू रूप से चल सके। यदि किसी देश के संविधान में शक्तियों और जिम्मेदारियों को साफ-साफ अर्थात स्पष्ट निर्धारण नहीं किया जाएगा तो संघ अर्थात केंद्र तथा इसकी इकाइयों में सदैव मतभेद एवं गतिरोध की प्रबल संभावना बनी रहेगी।

प्रश्न 7. शासकों की सीमा का निर्धारण करना संविधान के लिए क्यों जरूरी है? क्या कोई ऐसा भी संविधान हो सकता है जो नागरिकों को कोई अधिकार ना दे?

उत्तर- विश्व के प्रत्येक संविधान में शासकों की सीमाओं का निर्धारण किया जाता है। इस प्रावधान का प्रमुख मूल उद्देश्य शासकों की निरंकुश तथा असीमित शक्तियों पर अंकुश रखकर जनसाधारण के हितों को प्राथमिकता प्रदान करना होता है। प्रत्येक संविधान में शासकों की शक्तियों पर अंकुश के व्यापक प्रावधान किए जाते हैं तथा लोकतांत्रिक व्यवस्था में तो इस शक्ति का उपयोग जनसाधारण द्वारा मताधिकार के रूप में किया जाता है। ऐसा कोई संविधान नहीं हो सकता जो अपने नागरिकों को कोई अधिकार ना दें। हालांकि तानाशाही शासकों द्वारा संवैधानिक प्रावधानों से हटकर आचरण किए जाने के कारण नागरिक स्वतंत्रता ओं का अवश्य हनन किया जाता है लेकिन संविधान में नागरिक अधिकार एवं शक्तियों का पर्याप्त प्रावधान किया  गया होता है।

प्रश्न 8 जब जापान का संविधान बना तब दूसरे विश्व युद्ध में पराजित होने के बाद जापान अमेरिकी सेना के कब्जे में था । जापान के संविधान में ऐसा कोई प्रावधान होना असंभव था, जो अमेरिकी सेना को पसंद ना हो । क्या आपको लगता है कि संविधान को इस तरह बनाने में कोई कठिनाई है? भारत में संविधान बनाने का अनुभव किस तरह इससे अलग है?

उत्तरदूसरे विश्वयुद्ध मैं जापान पराजित हुआ और उस पर अमेरिकी सेना का नियंत्रण हो गया। चूँकि जिस समयावधि में जापान का संविधान बना उस समय वह अमेरिकी सेना के नियंत्रण में था अत:  देश के संवैधानिक प्रावधानों पर अमेरिकी प्रभाव होना स्वभाविक ही था। संविधान जापानियों ने अपनी इच्छा से निर्मित नहीं किया बल्कि यह तो उन पर आधिपत्य वाले देश द्वारा लादा गया था। क्योंकि दूसरे देश के लोगों को स्थानीय देश के लोगों के मूल्यों एवं आदर्शों का उचित ज्ञान नहीं होता है, अथवा इस तरह के संविधान निर्माण में आवश्यक रूप से कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ता है

भारतीय संविधान निर्मित करने का अनुभव जापान से सर्वदा अलग प्रकार का था। भारत का संविधान बनाते समय भारत एक स्वतंत्र ,आजाद देश बन चुका था। भारतीय संविधान का निर्माण एक संविधान सभा द्वारा किया गया ,जिसके सदस्यों का निर्वाचन हालांकि व्यस्क मताधिकार के आधार पर नहीं किया गया, तथापि इस संविधान सभा में समस्त वर्गों एवं क्षेत्रों के प्रतिष्ठित विद्वानों सम्मिलित थे संविधान सभा में सभी फैसले पर्याप्त वाद विवाद तथा ।आपसी सहमति के लिए गए इस प्रकार स्पष्ट है कि संविधान निर्माण का भारतीय अनुभव ,जापान तथा दूसरे देशों से सर्वदा अलग था।

प्रश्न 9. रजत ने अपने शिक्षक से पूछा- संविधान एक 50 साल पुराना दस्तावेज है। और इस कारण पुराना पड़ चुका है किसी ने उसको लागू करते समय मुझसे राय नहीं मांगी। यह इतनी कठिन भाषा में लिखा हुआ है कि मैं इसे समझ नहीं सकता। आप मुझे बताएं कि मैं इस दस्तावेज की बातों का पालन क्यों करूं?’अगर आप शिक्षक होते तो रजत को क्या उत्तर देते?

उत्तरयदि मैं एक शिक्षक होता तो छात्र रजक को समझाता कि संविधान 50 साल पुराना दस्तावेज मात्र ना होकर नियमों एवं कानूनों का एक ऐसा स संकलन है जिसका परिपालन समाज के व्यापक हितों हेतु परमावश्यक है । रजत कानूनों की वजह से ही समाज में शांति एवं 

व्यवस्था बनती है जिससे लोगों का जीवन एक संपत्ति सुरक्षित रहते हैं और व्यक्तिगत एवं सामाजिक विकास हेतु उचित वातावरण बनता है।

संविधान में समय एवं परिस्थितियों के अनुरूप परिवर्तित करके इसे आधुनिक एवं व्यवहारिक बनाया गया है। यदि संविधान की भाषा कठिन एवं कानून के अनुरूप नहीं होगी तब कोई भी शासक अथवा व्यक्ति इसका गलत अर्थ में उपयोग कर सकता है। कठिन भाषा शैली के बावजूद यह नागरिक अधिकारों की पूर्ण गारंटी देता है अतः रजत तुमको इसका पालन करना चाहिए।

प्रश्न 10 संविधान के क्रियाकलाप से जुड़े अनुभवों को लेकर एक चर्चा में तीन वक्ताओं ने तीन अलग-अलग पक्ष  लिए-

(क) हरबंस – भारतीय संविधान एक लोकतांत्रिक ढांचा प्रदान करने में सफल रहा है।

(ख) नेहा – संविधान में स्वतंत्रता समानता, और भाईचारा सुनिश्चित करने का वादा है । चूँकि ऐसा नहीं हुआ इसलिए संविधान असफल है। 

(ग) नाजिमा – संविधान असफल नहीं हुआ, हमने उसे असफल बनाया।  क्या आप इनमे से किसी पक्ष से सहमत हैं , यदि हां, तो क्योंयदि नहीं तो आप अपना पक्ष बताएं ।

उत्तर  –  मैं हरवंश तथा नाजिमा के विचारों से पूर्ण रूप से सहमत हूं । इससे किसी भी प्रकार का कोई संदेह नहीं है कि भारत का संविधान एक लोकतांत्रिक ढांचा प्रदान करने में पूरी तरह से सफल रहा है। हालांकि भारतीय संविधान को कुछ असफलताओं का भी सामना करना पड़ा है । मेरा स्पष्ट अभिमत है कि यह संविधान की असफलता ना होकर इसको चलाने वाले लोगों की विफलता है।

परीक्षोपयोगी महत्वपर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. कैबिनेट मिशन का कोई एक सुझाव लिखिए। 

उत्तर- संविधान सभा में कुल  389 सदस्य होंगे । इनमें 93 सदस्य भारतीय देशी रियासतों से, 4 सदस्य चीफ कमिश्नर प्रांतों से तथा शेष 292 सदस्य ब्रिटिश प्रांतों से प्रतिनिधि होंगे।

प्रश्न 2. संविधान सभा से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- यह एक ऐसी प्रतिनिध्यात्मक संस्था है जिसे नए संविधान पर विचार करने तथा अपनाने अथवा विद्यमान संविधान से महत्वपूर्ण बदलाव अर्थात परिवर्तन करने हेतु चुना जाता है।

प्रश्न 3. कैबिनेट मिशन योजना के अंतर्गत स्थापित संविधान सभा के कोई दो दोष लिखिए।

उत्तर- (1) संविधान सभा प्रभुसत्ता संपन्न नहीं थी, इसकी शक्तियों पर कुछ प्रतिबंध थे।

(2) हालांकि संविधान सभा में देशी रियासतों को प्रतिनिधित्व तो दिया गया था लेकिन वे संविधान को मानने हेतु बाध्य नहीं थीं।

प्रश्न 4. 1946 में बनी संविधान सभा की कोई दो मुख्य विशेषताएं लिखिए।

उत्तर-(1) संविधान सभा के सभी सदस्य भारतीय थे जिनका भी निर्वाचन किया गया था।

(2) क्योंकि संविधान सभा पर अंग्रेजों का कोई दवाब नहीं था अतः वह स्वयं किसी भी प्रकार का संविधान बनाने हेतु स्वतंत्र थी।

प्रश्न 5. संविधान सभा के सत्तासीन होने की कोई दो कारण लिखिए।

उत्तर – (1) संविधान सभा ब्रिटिश शासन की इच्छा अनुसार स्थापित की गई थी अतःवह इसे जब चाहे तब समाप्त कर सकती थी।

(2) संविधान सभा की शक्तियो पर अनेक प्रतिबंध लागू थे। उदाहरणार्थ संविधान सभा कैबिनेट मिशन योजना द्वारा प्रस्तुत किए गए संविधान की रूपरेखा में किसी भी तरह का बदलाव नहीं कर सकती थी।

प्रश्न 6. स्वतंत्रता से पूर्व तथा आजादी के बाद संविधान सभा की स्थिति क्या थी?

उत्तर- स्वतंत्रता से पूर्व विधानसभा की शक्तियों पर अनेक प्रतिबंध लागू थे। परंतु 1947 में आजादी के बाद संविधान सभा की स्थिति में महत्वपूर्ण बदलाव हुआ तथा उसे संविधान बनाने की पूर्णरूपेण स्वतंत्रता मिल गई। अब संविधान सभा पर किसी भी तरह का कोई बाह्य प्रतिबंध नहीं रहा।

प्रश्न 7. संविधान सभा के दलिए स्वरूप को अति संक्षेप में लिखिए।

उत्तर- संविधान सभा में कांग्रेस का प्रभुत्व था। संविधान सभा के जुलाई 1946 में संपन्न चुनावों में कांग्रेसी एवं उसके सहयोगियों को 212, मुस्लिम लीग को 73 तथा अन्यो को 11 स्थान प्राप्त हुए थे।

प्रश्न 8. संविधान बनाने के कार्य को सुगम करने हेतु संविधान सभा ने क्या किया?

उत्तर- संविधान बनाने के कार्य को सुगम करने हेतु संविधान सभा में 15 महत्वपूर्ण समितियों का गठन किया।

प्रश्न 9. भारत में संविधान 26 जनवरी से ही क्यों लागू किया गया?

उत्तर- क्योंकि सर्वप्रथम 26 जनवरी 1930 को देशवासियों ने कांग्रेस के नेतृत्व में भारत को पूर्ण आजाद कराने की प्रतिज्ञा की थी, जिसे प्रत्येक वर्ष दोहराया जाता था। अतः इस स्मृति को स्थाई रखने हेतु संविधान को इसी दिन से लागू किया गया।

प्रश्न 10. संविधान सभा के महत्व का सर्वाधिक महत्वपूर्ण तत्य क्या है।

उत्तर- संविधान सभा ने एक गणतंत्रात्मक , लोकतंत्रात्मक धर्मनिरपेक्ष , एवं संप्रभुता संपन्न संविधान का निर्माण किया।

प्रश्न 11. संविधान को उधार का थैलाक्यों कहा जाता है?

उत्तर- संविधान निर्माताओं ने भारतीय संविधान में अनेक देशों की संवैधानिक व्यवस्था के प्रमुख लक्षणों को समाहित करने का प्रयत्न किया जिसकी वजह से आलोचकों ने इसे उधार का थैलाकहा है।

प्रश्न 12. कैबिनेट मिशन योजना क्या थी?

उत्तर- कैबिनेट मिशन ने 5 मई , 1946 को शिमला में अपना कार्य शुरू किया, लेकिन 16 मई, 1940 को कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग के साथ अपना विचार विमर्श बंद हो गया। तत्पश्चात ब्रिटिश हुकूमत द्वारा 5000 शब्दों वाली एक आधीघोषणा जारी की गई। जिसमें प्रशासन एवं संविधान निर्माण हेतु नवीन प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए थे। इस अधिघोषणा में प्रस्तावित था कि भारतीय राज्यों का एक संघ होगा , जिसमें विभिन्न राज्यों अर्थात रियासतों की शामिल किया जाएगा ।

यह संघ विदेश नीति, प्रतिरक्षा एवं संचार इत्यादि के साधनों पर फैसले लेने के साथ ही इन विषयों हेतु धनराशि एकत्र करने का पूर्ण अधिकार होगा। संघीय प्रशासन में भारतीय प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा तथा संघात्मक सूची में वर्णित विषयों के अतिरिक्त अन्य समस्त विषय राज्य सूची में रखे जाएंगे। 

इस आधिघोषणा में इस बात का भी उल्लेख था कि एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा तथा भारतीय संविधान के निर्माण हेतु परोक्ष निर्वाचन के आधार पर एक संविधान सभा का निर्माण किया जाएगा इस संविधान सभा में कुल 389 सदस्य होंगे जिनमें- 292 ब्रिटिश प्रांतों के प्रतिनिधि , 4 चीफ कमिश्नर क्षेत्रों के प्रतिनिधि तथा 93 देशी रियासतों के प्रतिनिधि होंगे।

प्रश्न 13. कैबिनेट मिशन योजना की किन्हीं तीन विशेषताओं को लिखिए।

उत्तर- कैबिनेट मिशन योजना की तीन प्रमुख विशेषताएं निम्न प्रकार हैं-

(1) ब्रिटिश भारत के प्रत्येक प्रांत एवं देसी रियासतों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में स्थान आवंटित किए गए।

(2) प्रत्येक प्रांत के स्थानों को मुस्लिम , सिख तथा सामान्य अर्थात हिंदू इत्यादि समुदायों में विभक्त किया गया था।

(3) प्रांतीय व्यवस्थापिका के प्रतिनिधियों का चुनाव प्रत्येक समुदाय के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा किया जाना था।

प्रश्न 14. भारतीय संविधान सभा का निर्माण किस प्रकार हुआ?

उत्तर- भारतीय संविधान सभा के चुनाव जुलाई 1946 में कैबिनेट मिशन योजना के अनुरूप संपन्न हुए। संविधान सभा हेतु कुल 389 सदस्यों में से प्रांतों के लिए निर्धारित 296 सदस्यों के लिए ही एक चुनाव हुए। इन चुनावों में कांग्रेस को 208; मुस्लिम लिंग को 73; कम्युनिस्ट पार्टी , यूनियनिस्ट मुस्लिम यूनियनिस्ट शेड्यूल कास्ट, कृषक प्रजा पार्टी ,अछूत जाति संघ, सिख (कांग्रेस के अलावा) एवं साम्यवादी को एक-एक तथा निर्दलीय को 8 स्थान प्राप्त हुए। संविधान सभा में अपनी कमजोर स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए मुस्लिम लीग ने सच्चिदानंद की अध्यक्षता में संविधान सभा की 9 दिसंबर, 1946 की प्रथम बैठक का बहिष्कार किया। मुस्लिम लीग के बहिष्कार के बावजूद प्रथम बैठक में 210 सदस्य उपस्थित थे।

प्रश्न 15. प्रारूप समिति के सदस्यों के नाम लिखिए।

उत्तर- संविधान सभा की सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्ररूप समिति में अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर ,एन. गोपाल स्वामी अय्यर ,के. एम. मुंशी टी.टी. कृष्णामाचारी, मोहम्मद सादुल्ला तथा एन. माधव मेनन सदस्य थे। जबकि डॉ भीमराव अम्बेडकर इसके अध्यक्ष थे।

प्रश्न 16. संविधान सभा के कार्य कारण पर अति संक्षिप्त टिप्पणी लिखो

उत्तर- भारतीय संविधान सभा का गठन 1946 में कैबिनेट मिशन योजना के आधार पर किया गया। संविधान सभा का प्रथम अधिवेशन 9 दिसंबर, 1946 को संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में शुरू हुआ, जिसमें 210 सदस्य थे। इसी दिन सर्वसम्मति से डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थाई अध्यक्ष नियुक्त किया गया 11 दिसंबर, 1946 की बैठक में डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष निर्वाचित किया गया, जो अंत तक इस पद पर बने रहे ।  

श्री बी . एन. राव संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार बनाए गए 13 दिसंबर, 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपना प्रसिद्ध उद्देश्य प्रस्ताव करके संविधान की आधारशिला रखी। उनका यह उद्देश्य प्रस्ताव 23 जनवरी, 1947 को पारित हो गया। संविधान सभा के कार्यों को सुगम करने हेतु अनेक महत्वपूर्ण समितियों का निर्माण किया गया।

संविधान को अंतिम रूप देने का भार 29 अगस्त ,1947 को गठित प्रारूप समिति पर डाला गया, जिसके सभापति डॉ. भीमराव अंबेडकर थे। भारतीय संविधान 26 नवंबर, 1949 को बनकर तैयार हुआ, जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया |

भारत का संविधान क्यों और कैसे महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. संविधान निर्माण की क्या आवश्यकता है?

अथवा

भारतीय संविधान की आवश्यकता को स्पष्ट कीजिए

उत्तर-

संविधान निर्माण की आवश्यकता –

किसी भी राज्य के लिए संविधान की महती आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है

(1) शासन के स्वरूप एवं संगठन का निर्धारण- विश्व का प्रत्येक देश अपनी परिस्थितियों , भौगोलिक दशाओं तथा इतिहास के आधार पर अपने लिए विशिष्ट सा शासन प्रणाली का चयन करता है । शासन के इस स्वरूप एवं संगठन का निर्धारण करने हेतु उसको एक संविधान की आवश्यकता पड़ती है।

(2) अधिकार एवं कर्तव्य का ज्ञानसंविधान में जनसाधारण तथा शासक वर्ग के प्रत्येक सदस्य को अपने अधिकार एवं कर्तव्य का ज्ञान होता है।

(3) शासकीय अंगों का नियंत्रण- संविधान निर्माण की आवश्यकता इस वजह से भी है। क्योंकि यह सरकार के विभिन्न अंगों पर नियंत्रण स्थापित करता है तथा उन्हें निरंकुश होने से रोकता है।

(4) सरकार का दिशा निर्देशककिसी भी देश का संविधान एक अटल नक्षत्र के समान है, क्योंकि यह सरकार को लगातार दिशा-निर्देश देता है तथा उसका मार्गदर्शन भी करता है।

(5) राज्य की संपूर्ण परिस्थितियों की झलक – प्रत्येक देश का संविधान एक ऐसे दर्पण की तरह है, जिसमें संबंधित देश की संपूर्ण परिस्थितियों की झलक स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है ।अत: संविधान निर्माण की महती आवश्यकता होती है।

प्रश्न 2. भारत में संविधान सभा के गठन की पृष्ठभूमि की विवेचना कीजिए।

उत्तर- भारतीय संविधान सभा की मांग एक प्रकार से राष्ट्रीय स्वतंत्रता की मांग है। राष्ट्रीय स्वतंत्रता का स्वभाव एक अर्थ था कि भारतवासी स्वयं अपने राजनीतिक भविष्य का फैसला करें। इस संबंध में महात्मा गांधी ने 1922 में कहा था कि,” भारतीय संविधान भारतीयों की इच्छानुसार होगा।” 1924 में पंडित मोतीलाल नेहरू ने अंग्रेजी हुकूमत के सामने संविधान सभा के निर्माण की मांग की लेकिन तत्कालीन सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।

इसके पश्चात औपचारिक रूप से संविधान सभा के विचार का प्रतिपादन श्री एम. एन. राव द्वारा किया गया। इस विचार को मूर्त रूप देने का कार्य पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया । 1934 में कांग्रेस ने औपचारिक घोषणा की थी कि” यदि भारत को आसमान निर्णय का अवसर मिलता है तो भारत के सभी विचारों के लोगों की एक प्रतिनिधि सभा बुलाई जानी चाहिए, जो सर्व सम्मत संविधान का निर्माण कर सकें। यही संविधान सभा होगी।” इसी प्रकार 1938 के लखनऊ अधिवेशन में संविधान सभा के अर्थ एवं उपयोगिता की व्याख्या की गई इस मांग को दोहराते हुए 1939 में एक प्रस्ताव पारित करते हुए कहा गया कि ” एक स्वतंत्र देश के संविधान निर्माण का एकमात्र तरीका संविधान सभा है एक लोकतंत्र एवं स्वतंत्रता में आस्था ना रखने वाले ही इसका विरोध कर सकते हैं।”

भारतीय जनसाधारण की संविधान सभा की मांग का विरोध भी किया गया। ब्रिटिश सरकार के अलावा देसी नरेशों तथा यूरोपवासियों सहित कुछ नीजी स्वार्थ वाले वर्गों ने इस प्रस्ताव से अपने विशेष  अधिकारों को खतरे में पड़ा देखकर इसका विरोध किया। उदारवादियों द्वारा इसे अत्याधिक लोकतांत्रिक बताया गया। शुरू में मुस्लिम लीग द्वारा भी इसका विरोध किया गया लेकिन 1940 में पाकिस्तान बनने के प्रस्ताव के प्रतिवेदन के साथ ही उसने भारत एवं पाकिस्तान हेतु अलग-अलग संविधान सभाओ के निर्माण की मांग शुरू कर दी।

हालांकि प्रारंभ में ब्रिटिश सरकार भारतीयों की संविधान सभा की मांग को स्पष्ट दया स्वीकार करने की पक्षधर नहीं थी लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध की जरूरतों एवं राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के दबाव में उसे ऐसा करने हेतु मजबूर होना पड़ा। परिस्थितियों से बाध्य होकर अगस्त 1939 की घोषणा में अंग्रेजी सरकार ने कहा कि ” भारत का संविधान स्वभावत: भारतवासी ही तैयार करेंगे।”

1942 की क्रिप्स योजना द्वारा ब्रिटेन ने यह स्वीकारा कि भारत में एक निर्वाचित संविधान सभा का गठन किया जाएगा । यह सभा युद्ध के पश्चात भारत हेतु संविधान बनाएगी । भारतवासियों ने विभिन्न महत्वपूर्ण आधारों पर क्रिप्स योजना को अस्वीकार कर दिया । अंत में 1946 की कैबिनेट मिशन योजना अपने भारत की संविधान सभा के प्रस्ताव को स्वीकारते हुए इसे व्यवहारिक रूप प्रदान कर दिया।

प्रश्न 3. संविधान सभा के उद्देश्य प्रस्ताव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर- 13 दिसंबर, 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपना उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत करके भारतीय संविधान की आधारशिला रखी। प्रस्ताव करते हुए नेहरू ने कहा कि, ” मैं आपके सामने जो प्रस्ताव प्रस्तुत कर रहा हूं उसमें हमारे उद्देश्यओ की व्याख्या की गई है, योजना योजना की रूपरेखा दी गई है तथा बताया गया है कि हम किस रास्ते पर चलने वाले हैं। 23 जनवरी , 1947 को संविधान सभा के सदस्यों ने खड़े होकर सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को पारित कर दिया । इस उद्देश्य प्रस्ताव का सारांश निम्नवत है-

(1) प्रभुत्व संपन्न गणराज्य- भारत पूर्णतया स्वतंत्र एवं पूर्ण प्रभुत्व संपन्न गणराज्य होगा, जिसके द्वारा स्वयं अपने संविधान का निर्माण किया जाएगा।

(2) जनता- भारतीय संघ तथा उसके अंतर्गत विभिन्न राज्यों में संपूर्ण राज्य शक्ति का मूल स्त्रोत जनता ही होगी।

(3) नागरिक स्वतंत्रता- भारत के सभी नागरिकों को न्याय, सामाजिक , आर्थिक एवं राजनीतिक पद अवसर एवं कानूनों की समानता, विचार , भाषण , अभिव्यक्ति तथा विश्वास यादी की स्वतंत्रता हो ।

(4) अखंडता- भारत के राज्य क्षेत्र की अखंडता को स्तर तक आ जाएगा, जिससे कि यह प्राचीन देश विश्व में अपना उचित एवं सम्मानपूर्ण स्थान हासिल करें । इसके साथ ही वह विश्व शांति को बनाए रखने तथा मानव कल्याण में अपना पूर्ण और स्वेच्छा पूर्ण योग दे सके।

(5) हितों की रक्षा- अल्पसंख्यक वर्गो, पिछड़ी जातियों तथा जनजातियों के हितों की रक्षा की समुचित व्यवस्था की जाएगी।

प्रश्न 4. भारतीय संविधान सभा के सम्मुख कौन-कौन सी कठिनाइयां उत्पन्न हुई थी?

उत्तर- भारतीय संविधान के निर्माण कर्ताओं के सम्मुख कठिनाइयां उत्पन्न हुई थी, जिन्हें संक्षेप में निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-

(1) भारत की विशालता- भारतीय संविधान सभा को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए संविधान निर्माण करना था । यह विभिन्न धर्म एवं जातियों के व्यक्ति निवास करते हैं अतः निर्माण कर्ताओं की सबसे बड़ी समस्या सभी वर्गों को संतुष्ट करना था।

(2) मुस्लिम लिग द्वारा संविधान सभा का बहिष्कार- भारतीय संविधान सभा की बैठक डॉक्टर  सच्चिदानंद सिन्हा की अध्यक्षता में 19 दिसंबर, 1946 को प्रारंभ हुई । 11 दिसंबर, 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को इस सभा के स्थाई अध्यक्ष चुना गया। इस मुद्दे पर मुस्लिम लीग ने संविधान सभा का बहिष्कार किया।  उसने मांग की कि हिंदू तथा मुसलमान को अलग-अलग जातियों हैं । तथा दोनों के लिए प्रथक प्रथक संविधान सभा की व्यवस्था होनी चाहिए । कांग्रेस ने इस विरोध की उपेक्षा करके सभा द्वारा संविधान बनाने का काम लगातार जारी रखा।

(3) ब्रिटिश सरकार की कुत्सित नीतियां- ब्रिटिश सरकार की कुत्सित नीतियों के परिणामस्वरुप भारत में सांप्रदायिकता । प्रांतीयता तथा भाषावाद इत्यादि अनेक समस्याएं खड़ी हो गई थी। इन समस्याओं की वजह से संविधान सभा के सदस्यों को कठिनाइयों का सामना करना पढ़ा था। 

(4) संप्रदायिकता- चूँकि 1946 में संप्रदायिकता चरम सीमा को छू चुकी थी। जिसके परिणाम स्वरूप अनेक कठिनाइयां पैदा हो गई। संविधान सभा को इस कठिनाई के दौर से गुजरना पड़ा था। 

(5) पाकिस्तान का निर्माण- 1947 में भारत विभाजन के फलस्वरुप पाकिस्तान के निर्माण में देश के सामने अनेक प्रशासनिक, सामाजिक एवं सुरक्षात्मक समस्याएं पैदा कर दी थी। इन समस्याओं के संदर्भ में भी भारतीय संविधान सभा को विचार करना पड़ा था।

(6) देसी रियासतें- देसी रियासतों ने स्वेच्छाचारी व्यवहार करके अनेक समस्याओं को उदित करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी। कैबिनेट मिशन तथा माउंटबेटन घोषणा द्वारा देशी रियासतों को यह अधिकार प्रदान किया गया था, कि वे चाहे तो स्वतंत्र रह सकती हैं अथवा भारत में विलय कर सकती हैं यह उपबंध भारत की अखंडता के रास्ते की सबसे बड़ी रुकावट था । अतः संविधान सभा द्वारा भारत की अखंडता एवं लोकतंत्र   व्यवस्था को स्थापित करने हेतु अथक परिश्रम एवं प्रयास करने पड़े।

प्रश्न 5. भारतीय संविधान के प्रमुख स्त्रोत लिखिए।

उत्तर- भारतीय संविधान के निर्माण में मुख्य स्त्रोत निम्न प्रकार-

(1) भारतीय शासन अधिनियम, 1935- भारत के संविधान का मुख्य आधार 1935 का भारत शासन अधिनियम है । इस अधिनियम की लगभग 200 धाराओं का प्रयोग ज्यों का त्यों करके संविधान को स्थान दिया गया है।

(2) ब्रिटिश संविधान- संविधान में संसदात्मक शासन प्रणाली की व्यवस्था इंग्लैंड के संविधान से ग्रहण की गई है।

(3) अमेरिकी संविधान- भारतीय संविधान की प्रस्तावना, नागरिकों के मौलिक अधिकार, सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना एवं स्वतंत्र न्यायपालिका तथा न्यायिक पुनरावलोकन की अवधारणा अमेरिकी संविधान की देन है । देश में उपराष्ट्रपति पद के संबंध में की गई व्यवस्थाएं हमारे संविधान में अमेरिकी संविधान का अनुसरण करके ग्रहण की गई है।

(4) आयरलैंड का संविधानराज्य के नीति निदेशक तत्व, राष्ट्रपति के चुनाव में निर्वाचक मंडल की व्यवस्था, राज्यसभा में विशिष्ट लोगों के मनोनयन की प्रणाली भारतीय संविधान में आयरलैंड के संविधान की देन है।

(5) पूर्व सोवियत संघ का संविधान – 42वे संवैधानिक संशोधन द्वारा संविधान में जोड़े गए मौलिक कर्तव्य पूर्व सोवियत संघ के संविधान से प्रेरणा लेकर जोड़े गए।

(7) दक्षिण अफ्रीकी संविधानभारतीय संविधान की संशोधन प्रणाली पर दक्षिण अफ्रीका के संविधान का प्रभाव पड़ा है।

(8) कनाडा का संविधानदेश की संघात्मक व्यवस्था को हमने कनाडा के संविधान से ग्रहण किया है और अवशिष्ट शक्तियां इकाई के स्थान पर संघ में निहित की गई हैं।

(9) आस्ट्रेलिया का संविधान – संविधान की प्रस्तावना में निहित भावनाएं, समवर्ती सूची तथा इनमें इसमें उल्लेखित विषयों पर संघ एवं उसकी इकाइयों के मध्य होने वाले विवादों से निपटने के उपाय भारतीय संविधान में ऑस्ट्रेलियाई संविधान से मिलते जुलते हैं।

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