NCERT books class 11 political science notes in Hindi
राजनीति शब्द की उत्पति
राजनीति शब्द की उत्पति ग्रीक शब्द “पोलिस” से हुई है , जिसका शाब्दिक अर्थ “नगर राज्य” होता है ।
राजनीति क्या है ?
राजनीति को विद्वानों ने अपने अपने तरीकों से या मतों से परिभाषित किया है –
- राजनीति शासन करने की कला और राजनीति सरकार के क्रियाकलापों को ठीक से चलाने की सीख देती है।
- राजनीति प्रशासन संचालन के विवादों का हल प्रस्तुत करती है।
- राजनीति भागीदारी करना सिखाती है लेकिन आम व्यक्ति का सामना राजनीति की परस्पर विरोधी छवियों से होता हे , आज राजनीति का संबंध निजी स्वार्थ साधने से जुड़ गया है ।
- राजनीतिक सिद्धांत का मुख्य विषय राज्य व सरकार है । यह स्वतंत्रता , समानता , न्याय व लोकतंत्र जैसी अवधारणाओं का अर्थ स्पष्ट करता है ।
राजनीतिक सिद्धांत का उद्देश्य
नागरिकों को राजनीतिक प्रश्नों के बारे में तर्क संगत ढंग से सोचने और सामाजिक राजनीतिक घटनाओं को सही तरीके से आंकने का प्रशिक्षण देना है । गणित के विपरीत जहां त्रिभुज या वर्ग की निश्चित परिभाषा होती है राजनीतिक सिद्धांत में हम समानता आजादी या न्याय की अनेक परिभाषाओं से रूबरू होते है ।
राजनीतिक सिद्धान्त में हम क्या पढ़ते है ?
राजनीतिक सिद्धान्त में देखा जाए तो हम जीवन के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करते है जैसे– सामाजिक जीवन , सरकार और संविधान , स्वतंत्रता समानता , न्याय , लोकतंत्र , धर्म निरपेक्ष आदि ।
हमें राजनीतिक सिद्धांत क्यों पढ़ना चाहिए ?
- भविष्य में आने वाली समस्याओं के समय एक दृढ निर्णय लेने वाला नागरिक बनने के लिए ।
- एक अधिकार संपन्न एवं जागरूक नागरिक बनने के लिए राजनीतिक चेतना जागृत करने के लिए ।
- समाज से पूर्वाग्रहों को समाप्त करने एवं एकता कायम करने लिए ।
- वाद – विवाद , तर्क – वितर्क , लाभ – हानि का आंकलन करने के बाद सही निर्णय लेने की कला सीखने के लिए हमें राजनीतिक सिद्धांत पढ़ना चाहिए ।
- शासन व्यवस्था की जानकारी के लिए ।
- लोकतंत्र की उपयोगिता का ज्ञान ।
- अधिकार एंव कर्तव्यों को समझने के लिए ।
- अंतर्राष्ट्रीय शांति व सहयोग को बढ़ावा देने के लिए ।
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ऐसा इसलिए है कि समानता, न्याय जैसे शब्दों का सरोकार किसी वस्त के। बजाय अन्य मनुष्यों के साथ हमारे संबंधों से होता है। राजनीतिक सिद्धांत हमें राजनीतिक चीजों के बारे में अपने विचार व व्यवहार से भावनाओं के परीक्षण के लिए प्रोत्साहित करता है |
परीक्षा सम्बन्धी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न: 1 प्राचीन यूनान के एथेंस नगर में किसे सर्वाधिक विवेकशील व्यक्ति कहा जाता था-
- अरस्तु
- प्लेटो
- सुकरात (सही)
- रूसो
प्रश्न: 2 “राजनीति” शब्द का अर्थ है?
- राजा की नीतियाँ
- सत्ता प्राप्ति के लिए संघर्ष (सही)
- जनता की नीतियाँ
- इनमें सभी
प्रश्न: 3 “THE REPUBLIC” किसकी पुस्तक है?
- अरस्तु
- प्लेटो (सही)
- सुकरात
- रूसो
प्रश्न: 4 पावर इज ए पॉलिटिकल कॉन्सेप्ट ” किसकी रचना है ?
- मुसोलनी (सही)
- मैक्सवेबर
- कॉन्ट
- लॉक
प्रश्न: 5 किसे नयी राजनीति का पिता कहा गया है?
- अरस्तु
- मैकियावली (सही)
- रूसो
- प्लेटो
प्रश्न: 6 पॉलिटिक्स ‘ नामक पुस्तक का लेखक कौन है ?
- लासवेल
- रूसो
- प्लेटो
- अरस्तु (सही)
प्रश्न: 7 हॉब्स को किस रूप में जाना जाता है ?
- (राजनेता
- राजनीतिक दार्शनिक (सही)
- संगीतज्ञ
- खिलाड़ी
प्रश्न: 8 हिंद – स्वराज पुस्तक किसने लिखी ?
- डॉ ० अम्बेदकर
- महात्मा गाँधी (सही)
- जवाहर लाल नेहरू
- जय प्रकाश नारायण
प्रश्न: 9 सर्वप्रथम किस देश में संघात्मक शासन की स्थापना हुई ?
- भारत
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- सोवियत संघ
- कनाडा (सही)
प्रश्न: 10 अरस्तु ने मनुष्य को स्वभाव से कैसा प्राणी बताया है ?
- नश्वर
- राजनैतिक
- धार्मिक
- सामाजिक (सही)
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प्रश्न: 11 राजनीति विज्ञान के अध्ययन क्षेत्र में व्यवहारवादी क्रांति किस देश में हुई ?
- ब्रिटेन
- फ्रांस
- संयुक्त राज्य अमेरिका (सही)
- जर्मनी
प्रश्न: 12 निम्न में से किसने राजनीति को शक्ति का विज्ञान ‘ कहा है ?
- लॉक
- राब्सन
- मिल
- कैटलिन (सही)
प्रश्न: 13 आधुनिककाल में सर्वप्रथम यह किसने सिद्ध किया कि स्वतन्त्रता मानव मात्र का मौलिक अधिकार है।
- रूसो (सही)
- अरस्तू
- गांधी
- जवाहरलाल नेहरू
परीक्षा सम्बन्धी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. राजनीतिक सिद्धांत के किन्ही दो चित्रों को लिखिए।
उत्तर – (1)राजनीतिक सिद्धांत का प्रमुख विषय क्षेत्र राज्य एवं सरकार है।
(2) शक्ति तथा राजनीतिक विचारधाराओं का अध्ययन भी राजनीतिक सिद्धांतों के अंतर्गत ही किया जाता है।
प्रश्न 2. राजनीतिक सिद्धांत के कोई दो प्रमुख कार्य लिखिए।
- राजनीतिक सिद्धांत समाज के लिए प्रेरणात्मक स्त्रोत का कार्य करता है।
- विभिन्न अवधारणा एवं समीकरणों को सूचीबद्ध करने का कार्य भी राजनीति सिद्धांतों द्वारा ही किया जाता है।
प्रश्न 3. परंपरागत राजनीतिक सिद्धांत की कोई चार विशेषताएं या लक्षण लिखिए।
उत्तर- परंपरागत राजनीतिक सिद्धांत की चार प्रमुख विशेषताएं निम्न वत हैं-
- परंपरागत राजनीतिक सिद्धांतों के निगमनात्मक प्रणाली को अपनाया गया है।
- परंपरागत राजनीतिक सिद्धांत व्यक्ति परक हैं । अतः इसको बनाने अथवा प्रतिपादित करने वालों की व्यक्तिगत विचारधारा का स्पष्ट रूप में प्रभाव पड़ता है।
- परंपरागत राजनीतिक सिद्धांतों में राज्य एवं सरकार का सिर्फ औपचारिक एवं व्याख्यात्मक अध्ययन किया गया है ना कि विश्लेषणात्मक अध्ययन।
- परंपरागत राजनीतिक सिद्धांतों में अधि अनुशासनात्मक को अंगीकृत किया गया है। इससे यह आवास नहीं हो पाता कि राजनीति विज्ञान कहां है तथा अर्थशास्त्र तथा नीतिशास्त्र कहां पर
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प्रश्न 4. परंपरागत तथा आधुनिक राजनीतिक सिद्धांतों के मध्य अंतर के चार बिंदु लिखिए।
उत्तर- परंपरागत तथा आधुनिक राजनीतिक सिद्धांतों के मध्य विविन अंतर हैं, जिनको संक्षेप में निम्न बिंदुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) परंपरागत राजनीतिक सिद्धांत जहां निगमनात्मक प्रणाली पर आधारित है, वही आधुनिक राजनीतिक सिद्धांतों में आगनात्मक पद्धति को अपनाया जाता है।
(2) जहां परंपरागत राजनीतिक सिद्धांत औपचारिक एवं व्याख्यात्मक हैं, वही आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत औपचारिक एवं विश्लेषणात्मक होते हैं।
(3) परंपरागत राजनीतिक सिद्धांत आदि अनुशासनात्मक हैं इसके विपरीत आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत अंतर अनुशासनात्मक हैं।
(4) परंपरागत राजनीतिक सिद्धांत व्यक्ति परक है जबकि इसके ठीक विपरीत आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत प्रस्तुत फराक होते हैं।
प्रश्न 5. राजनीतिक सिद्धांत के अध्ययन के औचित्य तथा प्रासंगिकता के कोई पांच बिंदु लिखिए।
अथवा
राजनीतिक सिद्धांतों के महत्व की संक्षिप्त विवेचना कीजिए ।
उत्तर- राजनीतिक सिद्धांत के अध्ययन के औचित्य अथवा महत्व को निम्न बिंदुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
- राजनीतिक सिद्धांत का अध्ययन नागरिकों को विभिन्न राजनीतिक संगठनों तथा संस्थाओं इत्यादि की उत्पत्ति एवं क्रियाकलापों से भलीभांति अवगत कराता है। इस ज्ञान के आधार पर नागरिक अधिक जागरूक, सक्रिय तथा राज व्यवस्था में सहभागी बनते हैं।
- स्वतंत्रता, समानता तथा धर्मनिरपेक्षता इत्यादि हमारे जीवन के न केवल अमूर्त मसले हैं बल्कि हमें प्रतिदिन परिवार, विद्यालय, कार्यालय तथा प्रतिक्षालय इत्यादि में इनका प्रत्यक्ष रूप से सामना भी करना पड़ता है। इस संदर्भ में राजनीतिक सिद्धांत की हमें अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों के उचित रूप से क्रियान्वयन तथा इसको हासिल किए जाने के सही तरीके को उचित ज्ञान प्रदान करते हैं।
- राजनीतिक सिद्धांत का अध्ययन इस कारण भी औचित्य है कि यह हमें न्याय, समानता तथा स्वतंत्रता इत्यादि के विषय में सुव्यवस्थित चिंतन देता है। इस चिंतन के ज्ञान से हम अपने विचारों को परिष्कृत एवं सार्वजनिक हित के लिए उपयोगी बना सकते हैं।
- राजनीतिक सिद्धांत सामाजिक परिवर्तनों अर्थात बदलावों को उचित प्रकार समझने तथा उसकी व्याख्या करने के लिए सहायक सिद्ध होते हैं।
- राजनीतिक सिद्धांत के अध्ययन की उचित इस तथ्य में भी निहित है कि इसमें समय समय पर राजनीतिक आंदोलनों को प्रेरणा प्रदान की है। राजनीतिक आंदोलन प्राया किसी ना किसी राजनीतिक सिद्धांत अथवा विचारधारा से अवश्य ही प्रेरित होते हैं । यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सभी क्रांतिकारियों के किसी ना किसी आदर्श अथवा सिद्धांत से प्रेरणा लेकर ही अपने जीवन का बलिदान किया।
- लेनिन ने भी उचित ही कहा था कि, “क्रांतिकारी सिद्धांतों के बिना क्रांतिकारी आंदोलन असंभव है।”
प्रश्न 6. ‘राजनीति उन सब से बढ़ाकर है जो राजनेता करते हैं।‘ क्या आप इस कथन से सहमत हैं? उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर– हम उक्त कथन से सहमत हैं। हमारी सहमति का कारण यह है कि राजनीतिक सिद्धांत के अंतर्गत हम राजनीति का जो तात्पर्य समझते हैं वह राजनेताओं की गतिविधियों तक ही सीमित नहीं होता।
वास्तविक रुप से हम राजनीति के अंतर्गत नेताओं के राजनीतिक व्यवहार, शासकीय क्रियाकलाप तथा शासन को प्रभावित करने हेतु जनसाधारण की मांग ने विरोध प्रदर्शन एवं संघर्ष इत्यादि का अध्ययन करते हैं। इस संबंध में हम अपने दैनिक एवं सामाजिक जीवन से संबंधित निम्न उदाहरण दे सकते हैं–
अनेक बार हम अपने परिजनों के व्यवहार एवं कार्यों से परेशान होने पर उसका कोई समाधान तलाश करने का भरसक प्रयास करते हैं जब हम उनसे वार्ता द्वारा अथवा अन्य किसी भी तरीके से अपनी समस्या का हल निकलवाने की कोशिश करते हैं। जब इस तरह से हम समस्याओं का हल तलाशते हैं तो इसे ‘राजनीति‘ उपमा दी जा सकती है। इसी प्रकार जब किसी शासकीय कार्यालय मैं हमारे अधिकारों का हनन होता है|
उदाहरण हमारे साथ भेदभाव होता है, उपेक्षित किया जाता है तथा हमारी बात नहीं सुनी जाती तक जब तक हम अपने अधिकारों को पुरजोर मांग उठाते हुए सुनता एवं समानता की दुहाई लगाते हैं। हम अपनी पूरी ताकत से यह प्रयास करते हैं कि हमें भेदभाव एवं उपेक्षा का शिकार ना होना पड़े। हमारे द्वारा किया गया यह क्रियाकलाप भी “राजनीति” के अंतर्गत ही आता है । अंतः इस प्रकार स्पष्ट है कि राजनीति उन सबसे बढ़कर है, जो राजनेता करते हैं।