Class -11 Political Science chapter 4 || कार्यपालिका Notes in Hindi

Class – 11 Political Science कार्यपालिका Notes in Hindi

कार्यपालिका का अर्थ –

कार्यपालिका सरकार का वह अंग जो नियमों कानूनों को लागू करता है और प्रशासन का काम करता है कार्यपालिका कहलाता है।

कार्यपालिका में शामिल कौन होते है?

कार्यपालिका में केवल राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री य मंत्री ही नहीं होते बल्कि इसके अंदर पूरा प्रशासनिक ढांचा सिविल सेवा के सदस्य  भी आते है।

स्थायी कार्यपालिका से तात्पर्य

स्थायी कार्यपालिका में जो लोग रोज – रोज के प्रशासन के लिए उत्तरदायी होते है , को सम्मिलित किया जाता है। इन्हें नौकरशाही कहा जाता है|

राजनीतिक कार्यपालिका से तात्पर्य

राजनीतिक कार्यपालिका में सरकार के प्रधान और उनके मंत्रियों को सम्मिलित किया जाता है। क्योंकि ये सरकार की सभी नीतियों के लिए उत्तरदायी होते है।

कार्यपालिका के मुख्य कार्य

  • सरकार की नीतियों को लागु करना एवं विधायी निकायों द्वारा बनाये गए कानूनों को अमली जामा पहनाना|
  • कार्यपालिका द्वारा कानून निर्माण प्रक्रिया में सरकार की सहायता करना|
  • कार्यपालिका राज्यों के साथ संबंधो का संचालन करना।
  • संधियों एवं समझौतों का निष्पादन करना।
  • सभी देशों में राज्य का अध्यक्ष देश की सशस्त्र सेना का सर्वोच्य कमांडर होता है परंतु वह किसी युध्य में भाग नहीं लेता है।

कार्यपालिका के प्रकार

क्र.सं. कार्यपालिका देश
01 वास्तविक कार्यपालिका भारत, ब्रिटेन
02 नाममात्र  कार्यपालिका भारत के राष्ट्रपति, ब्रिटेन का सम्राट
03 एकल  कार्यपालिका अमरीका का राष्ट्रपति
04 बहुल  कार्यपालिका स्विट्ज़रलैंड
05 वंशानुगत कार्यपालिका ब्रिटेन
06 निर्वाचित कार्यपालिका भारत, अमरीका
07 संसदीय कार्यपालिका भारत,ब्रिटेन,जर्मनी, इटली, जापान, कनाडा
08 अध्यक्षात्मक कार्यपालिका अमरीका, ब्राजील
09 अर्द्ध अध्यक्षात्मक कार्यपालिका भारत, फ्रांस, रूस और श्रीलंका

 

संसदीय व्यवस्था क्या है?

  • संसदीय व्यवस्था मेंप्रधानमंत्री सरकार का प्रधान होता है|
  • इस व्यवस्था में एकराष्ट्रपति या राजा होता है जो देश का नाममात्र का प्रधान होता है।
  • प्रधानमंत्री के पास वास्तविक शक्ति होती है।
  • भारत, जर्मनी, इटली, जापान, इग्लैंड और पुर्तगालआदि देशों में यह व्यवस्था है।

भारत में संसदीय प्रणाली

  • प्रधान मंत्री और उसके सहयोगी वास्तविक कार्यपालिका की रचना करते है।
  • प्रधान मंत्री और उसके मंत्रीगण विधानमंडल के सदस्य होते हैं।
  • मंत्रिपरिषद विधानमंडल के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होते हैं ।
  • निचला सदन ( लोकसभा ) को कभी भी राष्ट्रपति द्वारा । भंग किया जा सकता है।
  • मंत्रिमंडल को किसी भी समय सदन के अविश्वास प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है।

अध्यक्षात्मक व्यवस्था क्या है?

  • राष्ट्रपति कार्यपालिका का वास्तविक अध्यक्ष होता है ।
  • मंत्री विधानमंडल के सदस्य नहीं होते है ।
  • मंत्रिमंडल के सदस्य विधानमंडल के प्रति उतरदायी नहीं होते हैं ।
  • राष्ट्रपति किसी भी सदन को भंग नहीं कर सकता है।
  • विधानमंडल को मंत्रिमंडल में अविश्वास प्रस्ताव पारित करने का कोई अधिकार नहीं हैं
  • अध्यक्षात्मक व्यवस्था मेंराष्ट्रपति देश और सरकार दोनों का ही प्रधान होता है।
  • इस व्यवस्था में सिद्धांत और व्यवहार दोनों में हीराष्ट्रपति का पद बहुत शक्तिशाली होता है।
  • अमेरिका, ब्राजील और लेटिन अमेरकिाके कई देशों में यह व्यवस्था पाई जाती है।

अर्द्धअध्यक्षात्मक व्यवस्था क्या है?

  • अर्द्धअध्यक्षात्मक व्यवस्था मेंराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों होते हैं|
  • राष्ट्रपति को दैनिक कार्योंके संपादन में महत्वपूर्ण शक्तियां प्राप्त हो सकती है |
  • रूस में एक अर्द्धअध्यक्षात्मक व्यवस्था है
  • जिसमें राष्ट्रपति देश का प्रधान और राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रधानमंत्री सरकार का प्रधान है।
  • फ्रांस में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री अर्द्धअध्यक्षात्मक व्यवस्था के हिस्से हैं।
  • राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है|
  • पर उन्हें पद से हटा नहीं सकता क्योंकि वे संसद के प्रति उत्तरदायी होते हैं।
  • फ्रांस, रूस और श्रीलंकामें ऐसी ही व्यवस्था है|

भारत में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार

  • संवैधानिक रूप से राष्ट्रपति को सभी महत्वपूर्ण मुद्दों और मंत्रिपरिषद की कार्यवाही के बारे में सूचना प्राप्त करने का अधिकार है।
  • सदनों को पुर्नविचार के लिए लौटा सकता है।
  • वीटो शक्ति का प्रयोग करके संसद द्वारा पारित विधेयकों को स्वीकृति देने में विलम्ब।
  • चुनाव के बाद कई नेताओं के दावें के समय यह निर्णय करें कि कौन प्रधानमंत्री बनेगा|

पॉकेट वीटो ( Pocket Veto )

जब राष्ट्रपति किसी विधेयक पर अनुमति नहीं देता है और संविधान के अनुच्छेद 3  के अर्न्तगत पुर्नविचार को भी नहीं लौटाता है ऐसी स्थिति में वो पॉकेट वीटो का प्रयोग करता है ।

भारत का संविधान (91वाँ संशोधन) अधिनियम, 2003

मंत्रिपरिषद का आकार कितना होना चाहिए संविधान के 91 वे संशोधन के द्वारा यह व्यवस्था की गई कि  मंत्रिपरिषद के सदस्यो की संख्या लोकसभा या राज्यों की विधानसभा की कुल सदस्या संख्या का 15 % से अधिक नही होनी चाहिए|

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