Rashtra Nirman ki Chunautiyan || Class -12 राष्ट्र निर्माण की चुनौतियाँ
राष्ट्र निर्माण की चुनौतियाँ – आजाद हिन्दुस्तान
भारत लगभग 200 वर्ष की अंग्रेजों की गुलामी के बाद 14 – 15 अगस्त,1947 की मध्यरात्रि को हिन्दुस्तान आजाद हुआ। लेकिन इस आजादी के साथ भारत की जनता को देश के विभाजन और विस्थापन का सामना पड़ा ।
भाग्यवधु से चिर–प्रतीक्षित भेंट
भारतीय संविधान सभा के विशेष सत्र में स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने ‘ भाग्यवधु से चिर – प्रतीक्षित भेंट या ‘ ट्रिस्ट विद् डेस्टिनी ‘ के नाम से भाषण दिया ।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद मुख्यत: दो बिन्दुओं पर सबकी सहमति
- आजादी के बाद देश की शासन प्रणाली लोकतांत्रिक सरकार द्वारा चलाया जाएगा।
- सरकार सबके हित के लिए कार्य करेगी।
स्वतंत्र भारत के समक्ष तीन महत्वपूर्ण चुनौतियाँ
उस समय देखा जाए भारत के सामने मुख्य तौर पर तीन तरह की चुनौतियाँ थी ।
- राष्ट्र की एकता एवं अखडता को बनाए रखने की चुनौती |
- राष्ट्र के समक्ष लोकतंत्र को बनाए रखने की चुनौती |
- समानता पर आधारित विकास की चुनौती |
द्वि-राष्ट्र सिद्धांत
भारत के विभाजन का सबसे प्रमुख कारण “द्वि-राष्ट्र सिद्धांत” था जिसकी मांग “मुस्लिम लीग” ने की थी। इस सिद्धांत के अनुसार भारत किसी एक कौम का नहीं बल्कि हिंदू और मुस्लिम दोनों कॉम का देश था और इसी कारण मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के लिए एक नए राष्ट्र यानी पाकिस्तान की मांग की थी |
अब्दुल गफ्फार खाँ
ब्रिटिश इंडिया का मुस्लिम बहुल प्रत्येक इलाका पाकिस्तान में जाने को राजी नहीं था । पश्चिमोत्तर सीमाप्रांत के नेता खान – अब्दुल गफ्फार खाँ जिन्हें ‘ सीमांत गांधी ‘ के नाम से जाना जाता है , वह ‘ द्वि – राष्ट्र सिद्धांत ‘ के एकदम खिलाफ थे ।
ब्रिटिश इंडिया का स्वरूप
- ब्रिटिश प्रभुत्व वाले प्रांत – ब्रिटिश प्रभुत्व वाले भारतीय प्रांतों पर अंग्रेजों का सीधा कब्जा था।
- देशी रजवाड़े – दूसरी तरफ छोटे बड़े आकार के कुछ और राज्य थे, जिन्हें रजवाड़ा कहा जाता था रजवाड़ों पर राजाओं का नियंत्रण होता था।
भारत विभाजन की मुख्य समस्याएँ
क्षेत्रों को धार्मिक बहुसंख्यकों के आधार पर बाँटाना
क्षेत्रों को धार्मिक बहुसंख्यकों के आधार पर बाँटा गया, अतः पाकिस्तान में दो इलाके शामिल होंगे यानी पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान तथा इनके बीच में भारतीय भू – भाग का एक बड़ा विस्तार रहेगा।
लोगो का पाकिस्तान में शामिल होने को राजी नहीं होना
पश्चिमोत्तर सीमाप्रांत के नेता खान – अब्दुल गफ्फार खाँ जिन्हें ‘ सीमांत गांधी ‘ के नाम से जाना जाता है , वह ‘ द्वि – राष्ट्र सिद्धांत ‘ के एकदम खिलाफ थे । फिर भी उनकी अनदेखी करते हुए संयोग से पश्चिमोत्तर सीमाप्रांत को पाकिस्तान में शामिल मान लिया गया।
पंजाब और बंगाल के बहुसंख्यक गैर – मुस्लिम आबादी इलाके
ब्रिटिश इंडिया ‘ के मुस्लिम – बहुल प्रान्त पंजाब और बंगाल में अनेक हिस्से बहुसंख्यक गैर – मुस्लिम आबादी वाले थे । ऐसे में इन प्रान्तों का बँटवारा धार्मिक बहुसंख्या के आधार पर जिले या उससे निचले स्तर के प्रशासनिक हलके को आधार बनाकर किया गया।
अल्पसंख्यकों की समस्या
पश्चिमी पंजाब में रहने वाले अल्पसंख्यक गैर मुस्लिम लोगों को अपना घर – बार , जमीन – जायदाद छोड़कर अपनी जान बचाने के लिए वहाँ से पूर्वी पंजाब या भारत आना पड़ा । और इसी प्रकार मुसलमानों को पाकिस्तान जाना पड़ा ।
भारत – पाक विभाजन के परिणाम
- लोगों को मजबूरन शरणार्थी शिविर में रहना पड़ा ।
- औरतों को अगवा किया गया जबरन शादी करनी पड़ी धर्म बदलना पड़ा ।
- कई मामलों में लोगों ने परिवार की इज्जत बचाने के लिए खुद घर की बहू बेटियों को मार डाला ।
- वित्तीय संपदा के साथ-साथ टेबल कुर्सी टाइपराइटर और पुलिस के भी बंटवारे हुए ।
- 80 लाख लोगों को घर छोड़कर उनके सीमा पर आना पड़ा ।
- 5 से 10 लाख लोगों अपनी जान गवाई ।
- लोगो को मजबूरन अपना घर छोड़कर सीमा पार जाना पड़ा ।
- बड़े स्तर पर हिंसा का शिकार होना पड़ा ।
- अमृतसर और कोलकाता में सांप्रदायिक दंगे हुए ।
रजवाड़ो का भारत मे विलय
स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले भारत दो भागों में बँटा हुआ था
- ब्रिटिश भारत एवं
- देशी रियासत
- इन देशी रियासतों की संख्या लगभग 565 थी ।
- रियासतों के शासकों को मनाने – समझाने में सरदार पटेल (गृहमंत्री) ने ऐतिहासिक भूमिका निभाई|
- अधिकतर रजवाड़ो को उन्होंने भारतीय संघ में शामिल होने के लिए राजी किया था।
- अधिकतर रजवाड़ों के शासकों ने भारतीय संघ में अपने विलय के एक “सहमति पत्र” पर हस्ताक्षर कर दिये थे इस सहमति पत्र को “इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन” कहा जाता है ।
- जूनागढ़, हैदराबाद, कश्मीर और मणिपुरकी रियासतों का विलय बाकी रियासतों की तुलना में थोड़ा कठिन साबित हुआ ।
हैदराबाद का विलय
- हैदराबाद के शासक को‘ निजाम ‘ कहा जाता था ।
- उन्होंने भारत सरकार के साथ नवंबर 1947 में एक साल के लिए यथास्थिति बहाल रहने का समझौता किया ।
- कम्युनिस्ट पार्टी और हैदराबाद कांग्रेस के नेतृत्व में किसानों और महिलाओं ने निजाम के खिलाफ आंदोलन शुरू किया ।
- इस आंदोलन को कुचलने के लिए निजाम ने एक अर्द्ध – सैनिकबल (रजाकार) को लगाया ।
- इसके जबाव में भारत सरकार ने सितंबर1948 को सैनिक कार्यवाही के द्वारा निजाम को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया ।
- इस प्रकार हैदराबाद रियासत का भारतीय संघ में विलय हुआ|
मणिपुर रियासत का विलय
- मणिपुर की आंतरिक स्वायत्तता बनी रहे|
- इसको लेकर महाराजा बोधचंद्र सिंह व भारत सरकार के बीच विलय के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हुए ।
- जनता के दबाव में निर्वाचन करवाया गया|
- इस निर्वाचन के फलस्वरूप संवैधानिक राजतंत्र कायम हुआ।
- मणिपुर भारत का प्रथम भाग था जहाँ सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार के सिद्धांत को अपनाकर जून,1948 में चुनाव करवाया था|
राज्यों का पुनर्गठन
औपनिवेशिक शासन के समय प्रांतो का गठन प्रशासनिक सुविधा के अनुसार किया गया था, लेकिन स्वतंत्र भारत में भाषाई और सांस्कृतिक बहुलता के आधार पर राज्यों के गठन की माँग हुई।
आंध्र प्रदेश राज्य का निर्माण
- तेलगुभाषी , लोगों ने मांग की कि मद्रास प्रांत के तेलुगुभाषी इलाकों को अलग करके एक नया राज्य आंध्र प्रदेश बनाया जाए।
- आंदोलन के दौरान कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता पोट्टी श्री रामुलू की लगभग56 दिनों की भूख – हड़ताल के बाद मृत्यु हो गई।
- इसके कारण सरकार कोदिसम्बर 1952 में आंध्र प्रदेश नाम से अलग राज्य बनाने की घोषणा करनी पड़ी।
- इस प्रकारआंध्रप्रदेश भाषा के आधार पर गठित पहला राज्य बना।
राज्य पुनर्गठन आयोग (SRC)
- 22 दिसम्बर 1953 में केन्द्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय के भूतपूर्व न्यायाधीशफजल अली की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया ।
- इस आयोग के अन्य सदस्य – हृदयनाथ कुंजरू और केएम पाणिक्कर थे।
- इस आयोग ने 30 दिसंबर 1955 को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
राज्य पुनर्गठन आयोग की प्रमुख सिफारिशें
- भारत की एकता व सुरक्षा की व्यवस्था बनी रहनी चाहिए।
- राज्यों का गठन भाषा के आधार पर किया जाए।
- भाषाई और सांस्कृतिक सजातीयता का ध्यान रखा जाए।
- वित्तीय तथा प्रशासनिक विषयों की ओर उचित ध्यान दिया जाए।
- त्रिस्तरीय ( भाग ABC ) राज्य प्रणाली को समाप्त किया जाए ।
- केवल 3 केन्द्रशासित क्षेत्रों (अंडमान और निकोबार , दिल्ली , मणिपुर ) को छोड़कर बाकी के केन्द्रशासित क्षेत्रों को उनके नजदीकी राज्यों में मिला दिया जाए ।
- राज्यों की सीमा का निर्धारण वहाँ पर बोली जाने वाली भाषा होनी चाहिए ।
- इस आयोग की रिपोर्ट के आधार पर सन् 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित हुआ। इस अधिनियम के आधार पर 14 राज्य और 6 केन्द्रशासित प्रदेश बनाए गए।
राज्य पुनर्गठन का परिणाम
- इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट1955 में प्रस्तुत की|
- इसके आधार पर संसद मेंराज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 पारित किया गया|
- देश को14 राज्यों एवं 6 संघ शासित क्षेत्रों में बाँटा गया।
14 राज्यों के नाम
1.आंध्रप्रदेश
2.असम
3.बिहार
4.बंबई
5.केरल
6.मध्य प्रदेश
7.मद्रास
8.मैसूर
9.उड़ीसा
10.पंजाब
11.राजस्थान
12.उत्तर प्रदेश
13.बंगाल
14.जम्मू कश्मीर
6 केन्द्रशासित प्रदेशों के नाम
1.दिल्ली,
2.हिमाचल प्रदेश,
3.मणिपुर,
4.त्रिपुरा,
5.अंडमान और निकोबार,
6.लक्षद्वीप, मिनी कॉय और अमीन द्वीप शामिल किया गया था|
संघ शासित क्षेत्र जो बाद में राज्य बने
- मिजोरम
- मणिपुर
- त्रिपुरा
- गोवा आदि
पाक अधिकृत कश्मीर / आजाद कश्मीरं क्या है?
आजाद कश्मीर , कश्मीर का वह हिस्सा है, जो कि पाकिस्तान के अवैध नियंत्रण में है। इस हिस्से को पाक अधिकृत कश्मीर भी कहते हैं।
नोट : वर्तमान में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 समाप्त कर दिया गया । तथा इसे दो केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया जम्मू कश्मीर व लद्दाख (जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35 ए अब समाप्त कर दिया गया है – 5,अगस्त 2019)