नियोजन और विकास || 12 class political science 2nd book notes in Hindi

12 class political science 2nd book notes in Hindi

नियोजन और विकास

नियोजन क्या है?

साधारणत: जब कोई व्यक्ति किसी कार्य को कब करना है ? कैसे करना है ? कहां करना हैं ? और किस रूप में करना है आदि प्रश्नों को विचार करता है तो एक विभिन्न विकल्पों में से किसी एक निर्णय पर पहुचता है उसे ही नियोजन कहते है।

 नियोजन की प्रमुख विशेषताएँ

  1. निश्चित लक्ष्य का निर्धारण
  2. सर्वोत्तम विकल्प का चयन
  3. प्रबंध की प्रारंभिक क्रिया
  4. उद्देश्य का आधार
  5. सर्वव्यापकता
  6. लोचता
  7. बौद्धिक प्रक्रिया
  8. निरंतर चलने वाली प्रक्रिया

नियोजन का महत्व, आवश्यकता या लाभ

  1. लक्ष्य प्राप्ति में सहायक
  2. साधनों का सर्वोत्तम उपयोग
  3. न्यूनतम लागत
  4. मनोबल में वृद्धि
  5. निर्णय लेने में सुविधा
  6. समन्वय एवं नियंत्रण
  7. परिवर्तनुसार विकास
  8. भावी अनिश्चितता में कमी

भारत में नियोजन का इतिहास

भारत में आर्थिक नियोजन के विचार के प्रतिपादक या नियोजन की शुरुआत, “एम विश्वेश्वरैया” (भारत रत्न) द्वारा 1934 में लिखित पुस्तक “Planned Economy For India” से मानी जाती है। इनके द्वारा प्रस्तुत योजना 10 वर्षीय थी |

इस योजना के निम्नलिखित उद्देश्य थे-

  • राष्ट्रीय आय को दुगुना करना।
  • औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि करना।
  • लघु एवं बडे उद्योगों में सम्मिलित रूप से वृद्धि करना।
  • व्यय व आय में संतुलित वृद्धि करना।

नोट: यह योजना नियोजित आर्थिक विकास की दृष्टि से भारत की प्रथम योजना थी |

बॉम्बे योजना (BOMBY-PLAN)

वर्ष1944 में बंबई के 8 उद्योगपतियों ने ‘एक संक्षिप्त ज्ञापन भारत के लिए आर्थिक विकास की एक योजना की रूपरेखा तैयार’ (A brief memorandum outline a plan of economic development for India) नामक शीर्षक के अंतर्गत बॉम्बे योजना (Bombay Plan) पेश किया। यह योजना 15 वर्षीय थी जिसके प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:

  • राष्ट्रीय आय को तीन गुना करना।
  • प्रतिव्यक्ति आय को दो गुना करना।
  • औद्योगिक क्षेत्र के उत्पादन को पांच गुना करना।
  • शिक्षा को प्राथमिकता देना।
  • नागरिकों को 2,600 केलोरी भोजन, 30 गज कपड़ा एवं 100 वर्ग फीट भूमि की न्यूनतम पूर्ति सुनिश्चित करना।

नोटः  इस योजना को पूर्णता पूंजीवादी घोषित कर दिया गया जिसके फलस्वरूप यह योजना भी लागू न हो सकी। इस योजना को  टाटा-बिड़ला”  के नाम से भी जाना जाता है।

जन योजना’ (The Peoples Plan)

साल1944 में ही रूसी योजना से प्रेरणा लेते हुए साम्यवादी (Communism) दल के नेता “एमएनराय ने जन योजना’ (The Peoples Plan) नामक योजना प्रस्तुत की। यह योजना 10 वर्षीय थी। जिसका प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैः

  • 10 वर्ष में जनता की आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करना।
  • रोजगार सुविधाओं का विस्तार करना।

नोटः यह योजना पूर्णता साम्यवादी विचारधारा पर आधारित होने के कारण इसे देश के लिए उपयुक्त नहीं समझा गया।

गांधीवादी योजना

वर्ष 1944 में गांधीजी के आर्थिक विचारों से प्रभावित होकर श्री मन्नारायण द्वारा गांधीवादी योजना प्रस्तुत की गई। यह योजना 10 वर्षीय थी जिसका प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैः

  • जन समुदाय के जीवन स्तर को ‘निर्धारित न्यूनतम सीमा’ तक लाना।
  • प्रत्येक नागरिक को 2,600 कैलोरी युक्त संतुलित भोजन, 120 गज कपड़ा और 100 वर्ग फीट आवासीय भूखंड प्रदान करना।

नोटः यह योजना आत्म अनुशासनपर आधारित होने के कारण आव्यवहारिक थी साथ ही वित्तीय संसाधनों के अभाव में उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति करना संभव नहीं था अतः इस योजना को भी क्रियान्वित नहीं किया जा सका।

सर्वोदय योजना

30 जनवरी, 1950 में ‘जय प्रकाश नारायण’ द्वारा सर्वोदय योजना प्रस्तुत की गई। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैः

  • शोषण विहीन समाज की स्थापना करना।
  • आय एवं सम्पत्ति की असमानता को समाप्त करना
  • उद्योगों का संचालन सरकार द्वारा किया जाना।
  • भूमि का पुर्नवितरण करना।
  • सहकारी खेती का विकास करना।
  • विदेशी लाभ अर्जित करने वाले प्रतिष्ठानों पर कठोर नियंत्रण लगाना।
  • संपूर्ण राज्य की आय 50% भाग ग्राम पंचायतों द्वारा तथा शेष 50% भाग शासकीय सत्ता द्वारा व्यय किया जाना।

नोटः यह योजना सरकार ने पूर्णरूप से नही अपनाई किन्तु इस योजना के कुछ उद्देश्यों को अपना लिया गया।

योजना आयोग’(Planning Commission)

उपरोक्त सभी योजनाएं किसी न किसी कारणवश मूर्तरूप नहीं ले पाई परन्तु इन योजनाओं ने भारत के लिए नियोजन (Planning) का एक उपयुक्त माहौल तैयार कर दिया था जिसके फलस्वरूप भारत में ‘योजना आयोग’(Planning Commission) का गठन 15 मार्च, 1950 को एक गैरसंवैधानिक (Non-constitutional) एवं परामर्शदात्री निकाय के रूप में किया।

भारत में नियोजन की प्रमुख समस्याएँ

आधारभूत समस्याएं ( Basic problems )

  • नियोजन निर्माण की समस्या।
  • नियोजन के सफल क्रियान्वयन की समस्या।
  • जनसंख्या आधिक्य
  • पूंजी की कमी
  • तकनीकी ज्ञान की समस्या

विकास के मॉडल

 विकास के मुख्यत: दो मॉडल है-

  • उदारवादी – पूंजीवादी मॉडल
  • समाजवादी मॉडल

नोट: भारत ने मिश्रित अर्थव्यवस्था का मॉडल अपनाया है |

केरल मॉडल क्या है?

केरल मॉडल विकास और नियोजन के लिए अपनाए इस मॉडल में मुख्यत: – शिक्षा,स्वास्थ्य,भूमि सुधार,कारगर खाध्य वितरण,और गरीबी उन्मूलन पर जोर दिया गया था |

हरित क्रांति

  • खाद्यान उत्पादन को बढावा देना|
  • उच्च गुणवक्ता के बीज,उर्वरक,कीटनाशक,बेहतर सिचाई,अनुदान मुहैया करवाना आदि की व्यवस्था की गई |
  • भारत में हरित क्रांति के जनक – एम्.एस. स्वामीनाथन को कहा जाता है|

श्वेत क्रांति क्या है?

श्वेत क्रान्ति 1970 में शुरू हुई थी, इससे डेयरी उधोग में काफी बदलाव आया और लोगों को नवीन रोजगार के अवसर मिले साथ ही नवींन टेक्नोलोगी का इस्तेमाल भी किया गया ताकि वैश्विक स्तर पर दुग्ध उत्पादन को सर्वोतम स्तर पर पहुचाया जा सके

  • क्रान्ति के जनक – वर्गिस कुरियन|
  • दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देना|

पी.सी. महालनोबिस

  • प्रशांत चंद्र महालनोबिस को भारतीय सांख्यिकी का जनक माना जाता है|
  • 29 जून राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के रूप में मनाया जाता है
  • “जोनिंग” शब्द से अभिप्राय से अभिप्राय क्या है?
  • “जोनिंग” शब्द से अभिप्राय है – इलाकाबंदी की नीति का होना

नीति आयोग

 1जनवरी,2015 को योजना आयोग के स्थान पर “नीति आयोग” की स्थापना की गई थी|

  • “नीति आयोग” के अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री होतें है|
  • नीति आयोग का पूरा नाम – नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफारमिंग इंडियाहै

नीति आयोग क्या है? What is NITI Aayog?

“National institute for Transforming India” अर्थात राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान” 1जनवरी, 2015 को योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग की स्थापना वर्तमान सरकार द्वारा की गई थी| यह संस्था भारत सरकार को थिंक टैंक के रूप में सेवाएँ प्रदान करेगा| अर्थात सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सैन्य, प्रौधोगिकी, सांस्कृतिक आदि नीतियों पर गंभीर और व्यवहारिक चिंतन करके सलाह देगी |

नीति आयोग की खासियत (Features of NITI Aayog)

नीति आयोग NITI Aayog ने लोगों के विकास के लिए नीति बनाने के लिए  “विकेन्द्रीकरण” अर्थात सहकारी संघवाद को शामिल किया है। इसके आधार पर केंद्र के साथ राज्य भी योजनाओं को बनाने में अपनी राय रख सकेंगे।  इसके अंतर्गत योजना निचले स्तर पर स्थित इकाइंयों गांव, जिले, राज्य, केंद्र के साथ आपसी बातचीत के बाद तैयार की जाएगी। इसका उद्देश्य जमीनी हकीकत के आधार पर योजना बनाना होगा।

साथ में इस आयोग की कार्यप्रणाली में भी एक बड़े स्तर पर बदलाव किया गया है। इस नई संस्था को थिंक-टैंक “think tank” के रूप में वर्णित किया गया है। इस नीति आयोग का महत्व पूर्ण प्राथमिक कार्य सामाजिक व आर्थिक मुद्दों पर सरकार को सलाह देने का है ताकि सरकार ऐसी योजना का निर्माण करे जो लोगों के हित में हो।

वर्तमान में नीति आयोग का ढांचा (NITI Aayog’s Structure)

वर्तमान में नीति आयोग की प्रशासनिक संरचना को निम्नलिखित बिन्दुओं में देखा जा सकता हैं

अध्यक्ष: नीति आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री ही होतें हैं |

उपाध्यक्ष: नीति आयोग के उपाध्यक्ष की नियुक्ति प्रधानमंत्री द्वारा की जाती हैं |

संचालन परिषद इस परिषद् में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्रशासित प्रदेशों के उपराज्यपाल शामिल होतें हैं।

क्षेत्रीय परिषद-  इस परिषद् के अंतर्गत विशिष्ट क्षेत्रीय मुद्दों को संबोधित करने के लिये प्रधानमंत्री या उसके द्वारा नामित व्यक्ति मुख्यमंत्रियों और उपराज्यपालों की बैठक की अध्यक्षता करता है।

तदर्थ सदस्यता अग्रणी अनुसंधान संस्थानों से बारी-बारी से 2 पदेन सदस्य।

पदेन सदस्यता इसके अंतर्गत प्रधानमंत्री द्वारा नामित केंद्रीय मंत्रिपरिषद के अधिकतम चार सदस्य होतें हैं।

मुख्य कार्यकारी अधिकार – CEO : भारत सरकार का सचिव जिसे प्रधानमंत्री द्वारा एक निश्चित कार्यकाल के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया जाता है।

विशेष आमंत्रित इसके अंतर्गत प्रधानमंत्री द्वारा नामित विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ होतें हैं।

नीति आयोग NITI AAYOG  कार्य व भूमिका (NITI Aayog NITI AAYOG Functions and Role)

भारत की नीति आयोग रूपी यह संस्था भारत सरकार को “थिंकटैंक” के रूप में सेवाएँ प्रदान करेगा| अर्थात सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सैन्य,प्रौधोगिकी, सांस्कृतिक आदि नीतियों पर गंभीर और व्यवहारिक चिंतन करके सलाह देगी|इसके कार्यों व भूमिका को निम्न लिखित बिन्दुओं में देखा जा सकता है-

  • केंद्र और राज्यों को महत्वपूर्ण और तकनीकी परामर्श देना |
  • केंद्र और राज्यों को परामर्श देना |
  • सहयोगपूर्ण संघवाद को बढ़ावा देना |
  • नीति आयोग को बेहतर बनाना |
  • यह कोई वित्तीय आवंटन नहीं करता है |
  • राज्यों की भूमिका का बढ़ना |
  • गाँव के स्तर पर विश्वसनीय तंत्र विकसित करना |
  • आर्थिक,सामाजिक,प्रौधोगिकी,सांस्कृतिक,आदि नीतियों के लिए राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय नीतियों,विचारों और बेहतर नीतियों का समावेश पर कार्य करना |
  • नवाचार,ज्ञान,क्षमता निर्माण, आदि पर बल देगा |
  • राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं ,क्षेत्रों,तथा रणनीतियों के साझा दृष्टिकोण में राज्यों की भी सक्रिय भागीदारी विकसित हो, पर कार्य करना |
  • केंद्र,राज्यऔर ग्राम स्तर तक समस्या समाधान का मंच प्रदान करना |
  • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वैचारिक समूहों के मध्य साथ ही शैक्षिक और नीति अनुसंधान संस्थानों के बीच भागीदारी को बढ़ाना और परामर्श देना |
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